कविता

नग़मा-ए-दीवाली

सारे जग पर वही छा गई रौशनीराम के शह्र से जो उठी रौशनी क्यूँ न दीवाली ये छाए माहौल परझूट पर सच की है फ़तहा की रौशनी उन की किस किस सिफ़त का बयाँ मैं करूँराम के हर अमल से उगी रौशनी हर तरफ़ रात में था अँधेरा बहुतजगमगाए दिये तो हुई रौशनी क्या अजब […]

कविता

कविता: रौशनी बन के छाई दीवाली

रौशनी बन के छाई दीवालीमेरे घर मुस्कुराई दीवाली आओ इस को दिलों में भर लें हमजो उजाला है लाई दीवाली हिज्र में यादों के दिये रख करअब के मैं ने जगाई दीवाली ज़ुल्म की तीरगी से गुज़रे हैंतब कहीं हम ने पाई दीवाली कट गया मरहबा मेरा बनबासआज मैं ने मनाई दीवाली पैरहन उस का […]

कविता

ग़ज़ल: उस ने जब मेरी तरफ़ प्यार से फेंका पानी

ज़की तारिक़ बाराबंकवीसआदतगंज,बाराबंकी, यूपी छूते ही जिस्म को बन बैठा शरारा पानीउस ने जब मेरी तरफ़ प्यार से फेंका पानी एक मुद्दत से वो, जो सूख चला था पानीग़म तेरा सुन के मेरी आँख से निकला पानी ढालता जाता है ज़ौ रेज़ से मोती जानाँक़तरा क़तरा तेरे बालों से टपकता पानी पूछो मत लाया है […]

कविता

दीवाली गीत

रौशनी बन के छाई दीवालीमेरे घर मुस्कुराई दीवाली आओ इस को दिलों में भर लें हमजो उजाला है लाई दीवाली हिज्र में यादों के दिये रख करअब के मैं ने जगाई दीवाली ज़ुल्म की तीरगी से गुज़रे हैंतब कहीं हम ने पाई दीवाली कट गया मरहबा मेरा बनबासआज मैं ने मनाई दीवाली पैरहन उस का […]

कविता

ग़ज़ल: किस की पुर कैफ़ सी याद आती रही

ज़की तारिक़ बाराबंकवीसआदतगंज, बाराबंकी यारो क्यूँ बेख़ुदी मुझ पे छाती रहीकिस की पुर कैफ़ सी याद आती रही पास आई तो थी ज़िन्दगी सिर्फ़ अश्कदूर जब तक रही मुस्कुराती रही चल पड़ी बे वफ़ाई की इक आँधी ओरप्यार के दीपकों को बुझाती रही नाली का कीड़ा नाली में ही बस जियामख़मली फ़र्श मौत उस पे […]

कविता

नात: ऐ मेरे यार तू क्या मुस्तफ़ा शनास नहीं

ज़की तारिक़ बाराबंकवीसआदतगंज, बाराबंकी,उत्तर प्रदेशफ़ोन:7007368108 ये तेरे लहजे में क्यूँ उनसुरे-सिपास नहींऐ मेरे यार तू क्या मुस्तफ़ा शनास नहीं मदीने जाने के असबाब सिर्फ़ बन जाएंनहीं है ग़म कोई दौलत जो अपने पास नहीं मुझे दिलाएँ गे फ़िरदौसे-नाज़ आक़ा मेरेमेरा यक़ीन है ये दोस्तो क़ियास नहीं ब फ़ैज़े-आक़ा ऐ महशर मुझे तेरा हाँ तेराकोई भी […]