सारे जग पर वही छा गई रौशनीराम के शह्र से जो उठी रौशनी क्यूँ न दीवाली ये छाए माहौल परझूट पर सच की है फ़तहा की रौशनी उन की किस किस सिफ़त का बयाँ मैं करूँराम के हर अमल से उगी रौशनी हर तरफ़ रात में था अँधेरा बहुतजगमगाए दिये तो हुई रौशनी क्या अजब […]
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नात: ऐ मेरे यार तू क्या मुस्तफ़ा शनास नहीं
ज़की तारिक़ बाराबंकवीसआदतगंज, बाराबंकी,उत्तर प्रदेशफ़ोन:7007368108 ये तेरे लहजे में क्यूँ उनसुरे-सिपास नहींऐ मेरे यार तू क्या मुस्तफ़ा शनास नहीं मदीने जाने के असबाब सिर्फ़ बन जाएंनहीं है ग़म कोई दौलत जो अपने पास नहीं मुझे दिलाएँ गे फ़िरदौसे-नाज़ आक़ा मेरेमेरा यक़ीन है ये दोस्तो क़ियास नहीं ब फ़ैज़े-आक़ा ऐ महशर मुझे तेरा हाँ तेराकोई भी […]