गोरखपुर। मरकजी मदीना जामा मस्जिद रेती में कुर्बानी पर दर्स के पांचवें दिन मुफ्ती मेराज अहमद क़ादरी ने कहा कि ने अल्लाह ने क़ुरआन-ए-पाक में क़ुर्बानी करने का हुक्म दिया है। पर्व के मौके पर गरीब मुसलमानों का खास ख्याल रखा जाए। जिन पर कुर्बानी वाजिब है वह क़ुर्बानी जरूर कराएं। क़ुर्बानी केवल तीन दिन 10, 11 व 12 जुलाई को ही होगी। कुर्बानीगाहों के चारों तरफ पर्दा लगाकर कुर्बानी करें। साफ-सफाई का ख्याल रखें। अपशिष्ट पदार्थ, खून व हड्डी वगैरा इधर-उधर न फेंके बल्कि गड्ढे में दफ़न कर दें। प्रशासन का सहयोग करें। कुर्बानी के मौके पर फोटो व वीडियो न बनाएं। सोशल मीडिया पर कुर्बानी से संबंधित किसी भी तरह का मजाकिया मैसेज व जोक्स पोस्ट करने से सख्ती के साथ बचें। कुर्बानी इबादत है।
उन्होंने बताया कि कुर्बानी का अर्थ होता है कि जान व माल को रब की राह में खर्च करना। इससे अमीर, गरीब इन दिनों में खास बराबर हो जाते हैं। कुर्बानी से भाईचारगी बढ़ती है। हदीस में नबी-ए-पाक हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि ने फरमाया जिस ने खुशदिली व दिली तालिबे सवाब होकर कुर्बानी की तो वह जहन्नम की आग से बच जाएगा। नबी-ए-पाक ने इरशाद फरमाया कि जो रुपया ईद के दिन कुर्बानी मे खर्च किया गया उस से ज्यादा कोई रुपया प्यारा नहीं।