गोरखपुर

हम सब अल्लाह के बंदे हैं: मौलाना अली अहमद

रहमतनगर में तीन रोजा उर्स-ए-पाक का दूसरा दिन

गोरखपुर। रहमतनगर स्थित दरगाह पर हज़रत मोहम्मद अली बहादुर शाह अलैहिर्रहमां के 105वें तीन रोजा उर्स-ए-पाक के दूसरे दिन सरकारी चादर पेश की गई। सोमवार भोर में मजार शरीफ का गुस्ल व गुलपोशी की गई। इसके बाद क़ुरआन ख़्वानी व फातिहा ख़्वानी हुई।

बहादुरिया जामा मस्जिद के इमाम मौलाना अली अहमद ने उर्स-ए-पाक में अवाम को पैग़ाम देते हुए कहा कि अल्लाह एक और अकेला है। न कोई उसका बेटा है। न वो किसी से पैदा हुआ है, न कोई उसके बराबर है। किसी को अल्लाह का बेटा, भाई या रिश्तेदार मानना कुफ्र है। अल्लाह का कोई शरीक नहीं, न जात में, न सिफ़ात में, न अफ़आल में, न अहकाम में, न अस्मा में। सारे पैग़ंबर अल्लाह के महबूब बंदे हैं। तमाम जहानों का बनाने वाला अल्लाह है। ज़मीन आसमाँ, अर्श व कुर्सी, लौह व क़लम, चाँद व सूरज, आदमी-जानवर, दरिया, पहाड़, वगैरा दुनिया में जितनी भी चीज़ें हैं, सबका पैदा करने वाला अल्लाह है, वही रोज़ी देता है, वही सबको पालता है। अमीरी-गरीबी, इज्ज़त-ज़िल्लत, मारना-जिलाना सब उसके अख़्तियार में है। हम सब अल्लाह के मोहताज हैं, वो किसी का मोहताज नहीं, वो हमेशा से है और हमेशा रहेगा। वह हर ऐब से पाक है, उसके लिए किसी ऐब का मानना कुफ्र है। वह हर ज़ाहिर और छिपी चीज़ को जानता है। हम सब अल्लाह के बंदे हैं। वो हमारा मालिक है। वही इबादत का हक़दार है। दूसरा कोई इबादत के लायक़ नहीं, हम सब उसकी मख़लूक़ हैं, वो हमारा ख़ालिक है, वो अपने बंदों पर रहमान व रहीम है।

अंत में सलातो-सलाम पढ़कर मुल्क में अमनो अमान की दुआ मांगी गई। उर्स-ए-पाक में गज़नफर शाह अज़हरी, हाफ़िज़ यासीन, हाफ़िज़ अमन, हाजी नफ़ीस, रफीक, तौसीफ अहमद, अली अख़्तर शाह, फिरोज अहमद, मो. फैज़, अरशद, जैद चिंटू, अमान, शाहिद, शहबाज, आसिफ, आरिफ, रेयाज, समीर अली, अली जफ़र शाह, अली मुजफ्फर शाह आदि ने शिरकत की।

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