रोज़ा तोड़ने वाली बातें:
★ खाने, पीने या हम बिस्तरी करने से रोज़ा जाता रहता है जब की रोज़ादार होना याद हो। {रद्दुल मुहतार, 3/365}
★ शकर वगैरा ऐसी चीज़े जो मुह में रखने से घुल जाती है मुह में रखी और थूक निगल गए रोज़ा जाता रहा। {बहारे शरीअत, 5/117}
★ दातो के दरमियान कोई चीज़ चने के बराबर या ज़्यादा थी उसे खा गए या कम ही थी मगर मुह से निकाल कर फिर खा ली तो रोज़ा टूट गया। {दुर्रे मुख्तार, 3/394{
★ दातो से खून निकल कर हल्क़ से निचे उतरा और खून थूक से ज़्यादा या बराबर या कम था मगर इस का मज़ा (टेस्ट) हल्क़ में महसूस हुवा तो रोज़ा जाता रहा और अगर कम था और मज़ा हल्क़ में महसूस न हुवा तो रोज़ा न गया। {दुर्रे मुख्तार, रद्दुल मुहतार, 3/368}
★ रोज़ा याद रहने के बा वुजूद हुक़्ना लिया (यानि किसी दवा की बत्ती पीछे के मक़ाम में चढ़ाना)। या नाक के नथनों से दवाई चढ़ाई रोज़ा टूट गया। {आलमगिरी, 1/204}
★ कुल्ली कर रहे थे बिला क़स्द पानी हल्क़ से उतर गया या नाक में पानी चढ़ाया और दिमाग को चढ़ गया रोज़ा जाता रहा। यु ही रोज़ादार की तरफ किसी ने कोई चीज़ फेकी वो उस के हल्क़ में चली गई तो रोज़ा टूट गया।
★ सोते में (या नींद की हालत में) पानी पी लिया या कुछ खा लिया, या मुह खुला था, पानी का क़तरा या बारिश का ओला हल्क़ में चला गया तो रोज़ा टूट गया।
★ दूसरे का थूक निगल लिया या अपना ही थूक हाथ में ले कर निगल लिया तो रोज़ा टूट गया।
जब तक थूक बलगम मुह के अंदर मौजूद हो उसे निगल जाने से रोज़ा नही टूटता, बार बार थूकते रहना ज़रूरी नही।
★ मुह में रंगीन डोरा वगैरा रखा जिस से थूक रंगीन हो गया फिर वो रंगीन थूक निगल गए तो रोज़ा टूट गया।
★ आसु मुह में चला गया और आप उसे निगल गए। अगर क़तरा दो क़तरा है तो रोज़ा न गया और ज़्यादा था की उस की नमकिनी पुरे मुह में महसूस हुई तो रोज़ा टूट गया। पसीने का भी यही हुक्म है।
★ फुज़ले (पखाने) का मक़ाम बाहर निकल आया तो हुक्म ये है की खूब अच्छी तरह किसी कपड़े वगैरा से पोंछ कर उठे ताकि तरी बाक़ी न रहे। अगर कुछ पानी उस पर बाक़ी था और खड़े हो गए जिस की वजह से पानी अन्दर चला गया तो रोज़ा फासिद हो गया। इसी वजह से फुकहाऐ किराम फ़रमाते है की रोज़ादार इस्तिन्ज़ा करने में सांस न ले।