(कंज़ुल ईमान)और औरतों को हाथ ना लगाओ जब तुम मस्जिदों में एअतिकाफ से हो।
📕 पारा 2,सूरह बक़र,आयत 187
हदीस:
मोअतकिफ ना तो किसी मरीज़ की इयादत को जा सकता है ना जनाज़े में शामिल हो सकता है ना किसी औरत को छू सकता है और ना मस्जिद से बाहर निकल सकता है।
📕 अबु दाऊद,जिल्द 2,सफह 492
हदीस:
इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु तआला अन्हु का क़ौल है कि हुज़ूर सल्लललाहु तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं जिसने रमज़ान में 10 दिनों का एअतिकाफ किया तो उसे 2 हज व 2 उमरे का सवाब मिलेगा।
📕 बहारे शरीअत,हिस्सा 5,सफह 146
मसअला:
मस्जिद में रब की रज़ा के लिए ठहरना एअतिकाफ कहलाता है इसकी 3 किस्में हैं;
- वाजिब:- किसी ने मन्नत मानी कि मेरा ये काम होगा तो मैं 1 या 2 या 3 दिन का एअतिकाफ करूंगा तो उतने दिन का एअतिकाफ उस पर वाजिब होगा।
- सुन्नते मुअक़्किदह:- रमज़ान में आखिर 10 रोज़ का यानि बीसवें रमज़ान को मग़रिब के वक़्त बा नियत एअतिकाफ मस्जिद में मौजूद हो,ये एअतिकाफ सुन्नते मुअक़्किदह अलल किफाया है यानि अगर पूरे शहर से 1 आदमी एअतिकाफ में बैठ जाये तो सबके लिए काफी है पर 1 भी नहीं बैठा तो सब गुनाहगार होंगे।
- मुसतहब:- जब भी मस्जिद में दाखिल हों तो पढ़ लें ‘नवैतो सुन्नतल एअतिकाफ’ तो जब तक मस्जिद में रहेंगे एअतिकाफ का सवाब पायेंगे।
📕 बहारे शरीअत,हिस्सा 5,सफह 147-148
मसअला:
मर्द का मस्जिद में एअतिकाफ करना ज़रूरी है और अगर औरत एअतिकाफ में बैठना चाहे तो जिस जगह वो नमाज़ पढ़ती है वहां एअतिकाफ में बैठ सकती है।
📕 दुर्रे मुख्तार,जिल्द 2,सफह 129
मसअला:
अगर औरत ने घर में नमाज़ के लिए जगह मुकर्रर नहीं की है तो एअतिकाफ में नहीं बैठ सकती हां ये कर सकती है कि जिस जगह एअतिकाफ में बैठना चाहे तो पहले उसी जगह को नमाज़ के लिए खास कर ले फिर एअतिकाफ में बैठे।
📕 बहारे शरीअत,हिस्सा 5,सफह 147
मसअला:
एअतिकाफ रमज़ान के लिए रोज़ा रखना शर्त है तो अगर रोज़ा नहीं रखा तो ये एअतिकाफ नफ्ल होगा सुन्नत नहीं।
📕 बहारे शरीअत,हिस्सा 5,सफह 148
मसअला:
मन्नत के एअतिकाफ के लिए भी रोज़ा रखना शर्त है अगर चे नियत करते वक़्त कहा भी हो कि ‘सिर्फ 1 महीने का एअतिकाफ करूंगा रोज़ा नहीं रखूंगा’ फिर भी रोज़ा रखना वाजिब है।
📕 बहारे शरीअत,हिस्सा 5,सफह 148
मसअला:
औरत ने एअतिकाफ की मन्नत मानी तो शौहर रोक सकता है अगर रोकता है तो औरत या तो तलाक़ के बाद या उसकी मौत के बाद मन्नत पूरी करे युंही शौहर ने इजाज़त दे दी फिर नहीं रोक सकता हां एक महीने की इजाज़त दी और औरत लगातार 1 महिना एअतिकाफ करना चाहती है तो भी रोक सकता है कि थोड़ा थोड़ा करके एक महीना पूरा करे और अगर किसी खास महीने का नाम लेकर इजाज़त दी तो अब नहीं रोक सकता।
📕 बहारे शरीअत,हिस्सा 5,सफह 149
मसअला:
अगर मोअतकिफ मस्जिद से बाहर निकला तो एअतिकाफ टूट जायेगा जिसकी क़ज़ा वाजिब होगी।
📕 बहारे शरीअत,हिस्सा 5,सफह 150
मसअला:
जिस तरह बिला उज़्रे शरई मर्द का मस्जिद से निकलना एअतिकाफ तोड़ देगा उसी तरह औरत का भी घर से बिला उज़्रे शरई निकलना एअतिकाफ को तोड़ देगा जिसकी क़ज़ा उस पर वाजिब होगी अगर चे भूल से ही निकले या सिर्फ 1 मिनट के लिए ही बाहर निकले।
📕 दुर्रे मुख्तार,जिल्द 2,सफह 132
मसअला:
मोअतक़िफ के मस्जिद से बाहर निकलने के 2 उज़्र हैं;
- हाजते शरई:- मसलन जिस मस्जिद में ये एअतिकाफ में है वहां जुमे की नमाज़ नहीं होती तो जुमा पढ़ने बाहर जा सकता है या अज़ान देने लिए मीनारे पर जाना है और रास्ता बाहर से है तो जा सकता है।
- हाजते तबई:- मसलन पेशाब पखाना वुज़ू गुस्ल अगर खारिजे मस्जिद में इनका इंतेज़ाम नहीं है तो बाहर जा सकता है।
📕 बहारे शरीअत,हिस्सा 5,सफह 150
मसअला:
मोअतकिफ को फालतू बातों से परहेज़ ज़रूरी है हां अगर लोगों को दर्स देने के लिए महफिल करता है तो इजाज़त है।
📕 दुर्रे मुख्तार,जिल्द 2,सफह 135
मसअला:
मस्जिद में खाना पीना सिवाये मोअतकिफ के दूसरों को नाजायज़ है तो जो लोग मस्जिद में अफ्तार करते हैं उन्हें चाहिये कि एअतिकाफ की नीयत करके बैठे वरना गुनाहगार होंगे।
📕 अलमलफूज़,हिस्सा 2,सफह 108
ए’तिकाफ़ कौन और कहां करे?
सवाल:
क्या मर्द हज़रात घर में रमज़ान के आखिरी अशरे का ए’तेक़ाफ़ कर सकता है ?
जवाब:- मर्द के लिए एतेक़ाफ़ घर में करना जायज़ नहीं कियोंकि ए’तेक़ाफ़ के लिए मस्जिद शर्त है- अल्लाह तआला के लिए मस्जिद में नियत के साथ ठहरने को ए’तेक़ाफ़ कहते हैं, ए’तेक़ाफ़ की दो शर्तें हैं:
1- पहली शर्त मस्जिद होना।
2- दूसरी शर्त एतेक़ाफ़ करने वाले का मुसलमान, आक़िल और जनाबत से पाक होना और औरत है तो उस का हैज़ वो निफास से पाक होना भी शर्त है अलबत्ता बालिग़ होना शर्त नहीं बल्कि नाबालिग बच्चा जो तमीज़ और समझ रखता हो तो ए’तेक़ाफ़ कर सकता है, ए’तेक़ाफ़ हर मस्जिद में जायज़ है अलबत्ता मस्जिद जमाअत यानि ऐसी मस्जिद जिस में इमाम मुअज़्ज़िन मुक़र्रर हों अगर चेह पांचों वक़्त की जमाअत न होती हो उस में ए’तेक़ाफ़ ज़्यादा मुनासिब है।
📚दुर्रे मुख़्तार व रद्दुल मुह़तार जिल्द 3 सफह 429
📚रोज़े के ज़रुरी मसाइल सफह 101
📚बहारे शरीयत जिल्द 1 हिस्सा 5 सफह 1020