गोरखपुर। उलमा-ए-अहले सुन्नत द्वारा जारी रमज़ान हेल्प लाइन नंबरों पर रविवार को सवाल-जवाब का सिलसिला जारी रहा। लोगों ने नमाज़, रोज़ा, जकात, फित्रा आदि के बारे में सवाल किए। उलमा-ए-किराम ने क़ुरआन व हदीस की रोशनी में जवाब दिया।
- सवाल : क्या बूढ़ा व्यक्ति रोजा रखने के बजाए उनका फिदया दे सकता है? (मोहम्मद शहाबुद्दीन, सूफीहाता)
जवाब : अगर बूढ़ा व्यक्ति इतना कमज़ोर है कि न अभी रोज़ा रख सकता है न आने वाले वक्त में ताकत की उम्मीद है तो ऐसा व्यक्ति रोज़ों के बजाए फिदया दे सकता है। (मुफ्ती अख़्तर हुसैन मन्नानी)
- सवाल : बकद्रे निसाब माल पर साल रमज़ान से पहले ही पूरा हो जाए, तो जकात के लिए रमज़ान का इंतज़ार करना कैसा? (खुर्शीद अहमद, धम्माल)
जवाब : बकद्रे निसाब माल पर साल पूरा होते ही जकात देना फ़र्ज़ है, साल पूरा होने के बाद जकात की अदाएगी के लिए रमज़ान का इंतज़ार करना जायज नहीं है। (मौलाना मोहम्मद अहमद निज़ामी)
- सवाल : रोज़े की नियत कर ली जबकि सेहरी का वक्त अभी बाकी है तो क्या नियत करने के बाद कुछ खा पी सकता है? (ज़फ़र, तिवारीपुर)
जवाब : हां। सेहरी का वक्त खत्म होने तक खा सकता है। (हाफ़िज़ रहमत अली निज़ामी)
- सवाल : क्या जहरीले जानवर सांप, बिच्छू वगैरा के डंसने से रोज़ा टूट जाएगा? (सैयद मोहम्मद काशिफ, घोसीपुर)
जवाब : सांप, बिच्छू वगैरा के डंसने से रोज़ा नहीं टूटेगा, बल्कि अगर जान जाने का खतरा हो तो रोज़ा तोड़ लें और बाद में उसकी कजा करे। (मौलाना बदरे आलम निज़ामी)
- सवाल : अगर फिदया देने के बाद कमज़ोरी जाती रही तो क्या हुक्म होगा? (सैयद मोहम्मद ओसामा, घोसीपुर)
जवाब : अगर रोज़ों की फिदया देने के बाद रोज़ा रखने की ताकत आ गई तो जो फिदया दिया था वो नफली सदका हो जाएगा, और रोज़ों की कजा रखना लाज़िम होगा। (मुफ्ती मेराज अहमद क़ादरी)