गोरखपुर। माह-ए-रमज़ान का हर पल बेमिसाल व बेहतरीन है। जहां रोज़े में सहरी का मजा है वहीं इफ्तार की लज्ज़त भी है साथ ही जिक्र, शुक्र, सब्र, नेमत, रहमत, तिलावत, नमाज़ का संगम भी है। भूख, प्यास के साथ अल्लाह को राज़ी करने की चाहत भी है। अल्लाह के बंदों ने रविवार को आठवां रोजा इबादत में गुजारा। चारों तरफ अल्लाह व रसूल का जिक्र हो रहा है। कसरत से नबी हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम और आले नबी पर दरूदो सलाम का नज़राना पेश किया जा रहा है। मस्जिदे बेलाल हज़रत कंकड़ शाह निकट रेलवे म्यूजियम में हाफ़िज़ तनवीर आलम ने तरावीह की नमाज़ में एक कुरआन-ए-पाक पूरा किया।
रविवार को मस्जिदों में जारी दर्स के दौरान चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर में हाफ़िज़ महमूद रज़ा क़ादरी ने बताया कि रमज़ान का मुबारक महीना चल रहा हैं। पहला अशरा रहमत का हमसे जुदा होने वाला है। मग़फिरत का अशरा शुरु होने वाला है। रमज़ान के रोजे हर मुसलमान आकिल, बालिग मर्द और औरत पर फ़र्ज़ हैं। रोजे के फ़र्ज़ होने का इंकार करने वाला काफ़िर और बिला उज्र छोड़ने वाला सख्त गुनाहगार और फासिक है, यानी उसकी गवाही कुबूल नहीं है और बच्चें की उम्र जब दस साल हो जाए और उसमें रोज़ा रखने की ताकत हो तो उससे रोज़ा रखवाया जाए।