आज के दिन

आज ही के दिन जब मुगलों ने सिर्फ 3 घंटों में ही खदेड़ दिया था राणा प्रताप को

आज ही के दिन 18 जून 1576 को हल्दीघाटी का ऐतिहासिक जंग मुग़ल बादशाह अकबर और राणा प्रताप के बीच लड़ी गयी। अक़बर की तरफ से उनके सेनापति मानसिंह थे जबकि राणाप्रताप की तरफ से उनके सेनापति हकीम खान सूरी और उनकी अफ़ग़ान लड़ाकों की फौज थी।

इस जंग की दो वज़ह थी, पहला मानसिंह अपने अपमान का बदला राणाप्रताप से लेना चाहते थे जिन्हें राणाप्रताप ने एक भोज में अपमानित किया था। दूसरा अकबर ने लगभग ज़्यादातर राजपूत राजाओं को अपने अधीन कर लिया था लेकिन मेवाड़ के राजा महाराणा प्रताप ने मुग़लो के अधीन होने से इनकार कर दिया था। मेवाड़ छेत्र राजनीति और व्यवसायिक दोनो तरह से अकबर के लिए ज़रूरी था। अकबर मेवाड़ को जीतकर गुजरात के लिए मेवाड़ से होकर रास्ता चाहते थे जो व्यापारिक नज़रिए से फायदेमंद था।
अक़बर ने मान सिंह और टोडरमल सहित अपने कई मंत्रियों को राणाप्रताप के पास भेजा लेकिन राणा प्रताप तैयार नही हुए। और आखिरकार जंग की नौबत आ गयी। दोनों सेनाएं जंग के लिए हल्दीघाटी के पास इकट्ठा हुई।

जंग शुरू होने के तीन घण्टो के अंदर ही मुग़ल सेना राणाप्रताप की सेना पर हावी हो गयी थी। बिखरती सेना देख राणा प्रताप जंग का मैदान छोड़कर भाग गए। उनके अंगरक्षक ने राणा प्रताप की शाही छतरी अपने ऊपर लगा कर मुग़ल सेना को भृमित किया और राणा प्रताप को भागने में मदद की। जंग सिर्फ़ आधे दिन में ही ख़त्म हुई और राजा मान सिंह के नेतृत्व में मुग़ल सेना ने फ़तह हासिल की।

यह जंग राजनीतिक वजहों से लड़ी गयी थी लेकिन आज इस जंग को हिंदू और मुस्लिम जोड़कर पेश किया जाता है जबकि इस जंग में अक़बर शामिल भी नही थे उनकी सेना की कमान राजपूतों के हाथ मे थी जबकि राणा प्रताप की तरफ से मुस्लिम सेनापति और अफगानों ने भी लड़ाई लड़ी थी।

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