सिलसिला-ए-नक्शबंद के बहुत बड़े दरवेश बुज़ुर्ग हुए हैं जो वक़्त के मुहद्दिस भी हैं आप 17 वी सदी ई० के बुजुर्ग हैं और आप हज़रत सैय्यद नूर मुहम्मद बदायूँनी रहमतुल्लाह अलैह के ख़लीफ़ा हैं
आपके वालिद का नाम जान मुहम्मद था जो बादशाह औरंगजेब अलामगीर के मुशीर थे जब आपकी विलादत हुई तो आपका नाम बादशाह औरंगजेब ने रखा जान की जान और इस तरह मशहूर हो गया जाने-जाना
हज़रत मिर्ज़ा मज़हर जाने’जाना रहमतुल्लाही तालाह अलैह!!
आपके नाम पर ही मनसूब कर के आपके ख़लीफ़ा बहुत बड़े आलिम-ए-दीन क़ाज़ी सनाउल्लाह पानीपती नक्शबंदी रहमतुल्लाही तआला अलैह ने अपनी तफ़्सीर का नाम तफ़्सीर-ए-मज़हरी रखा!!!
आपकी ख़ानक़ाह तुर्कमान गेट दिल्ली में आज भी मौजूद है “ख़ानक़ाह ए मज़हरी”
आप एक अज़ीम आशिक़-ए-अहले बैत व आशिके मौला अली थे
आप फ़रमाते है की मेरा अमल ऐसा नही के बक्शा जाऊँ हाँ मुझे इस पर भरोसा है की मेरी अहले बैत से मुहब्बत मेरी निजात का ज़रिया बनेगी मेरी मौला अली से बेपनाह मुहब्बत मुझे निजात दिलाएगी।