गोरखपुर।
विशेष ऑपरेशन के लिए इनके मूल विभाग सशस्त्र सीमा बल दुमका झारखंड तबादला कर दिया गया है। गोरखपुर के अलग अलग हिस्सों में आयी किसी भी प्रकार की आपदा हो उसमे बढ़ चढ़ कर एनडीआरएफ टीम के जवानों का नेतृत्व किया। इनको प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के हाथों द्वारा भी सम्मानित किया गया था। कोरोना काल में भी इन्होंने युद्ध स्तर पर एनडीआरएफ टीम को गोरखपुर शहर में सैनेटाइजेशन के कार्य में लगाया।
यह जवानों को रचनात्मक कार्यों में लगाया,
जवानों को केवल आपदा ड्यूटी से अलग विभिन्न रचनात्मक कार्यों में भी जोड़ कर रखने वाले बेहद मृदुभाषी डिप्टी कमांडेंट पी एल शर्मा गोरखपुर के विभिन्न प्रकार के सामाजिक कार्यों एवम तालाबों और सरोवरों की साफ सफाई की मुहिम से भी जुड़े रहे।15 सितंबर 2015 को एनडीआरएफ ज्वाइन करने के बाद यह लगातार पूर्वांचल कई बड़े आपदा में अपने जौहर दिखाए जैसे 2016 की बाढ़ बलिया का हो या 2017मे गोरखपुर में जो बाढ़ की दयनीय स्थिति हुई उसमे इन्होंने पूरे देश की एनडीआरएफ टीम को गोरखपुर में लगवा कर इनके सूझ बूझ से कम छती मे ही निपटा जा सका। इनके मार्गदर्शन में 75 जिलों में से अकेले गोरखपुर जिले से 34 आपदा विशेषज्ञ पूरे प्रदेश में आपदा प्रबंधन की गति को आगे बढ़ा रहे हैं। गोरखपुर में स्थाई रूप से एनडीआरएफ को रहने में इनका ही योगदान रहा जो लगातार शासन
के टच में रह कर जमीन के लिए प्रयासरत किए और चरगावा मे स्थाई कैंप मिल गया। यहा से जाते जाते उन्होंने कहा कि गोरखपुर के लोगो ने जो मान सम्मान दिया उसको मैं कभी भूल नहीं पाऊंगा एवम यहां कि यादें मैं अपने दिल में सजो कर ले कर जा रहा हूं। इनके साथ ट्रांसफर होने वालों में एनडीआरएफ के मीडिया प्रभारी सतेंद्र यादव भी हैं, यह गोरखपुर में एनडीआरएफ के प्रचार प्रसार में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन्होंने कहा कि गोरखपुर के मीडियाकर्मि एनडीआरएफ को जो पहचान दिया हैं उसके लिए दिल से धन्यवाद। गोरखपुर की मीडिया मे एनडीआरएफ का जो कवरेज हुआ वह वाकई काबिले तारीफ हैं। उन्होंने मीडिया के प्रति आभार भी व्यक्त किए।