बाराबंकी

अंतरराष्ट्रीय बाजार पर धूम मचा रही बाराबंकी की राखियां


अबू शहमा अंसारी
सूरतगंज (बाराबंकी) : स्वयं सहायता समूहों की दीदियां आत्मनिर्भरता की राह पर कदम बढ़ा रही हैं। इनके हाथों तैयार उत्पाद अब जिले में ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में धूम मचा रही हैं। महाराष्ट्र और जम्मू कश्मीर से हाथों से बनीं राखियों की मांग आई है। यह सब सीडीओ एकता सिंह की मेहनत रंग लाने लगी है। इन्होंने राखियां ही नहीं बल्कि अन्य उत्पादों को भी अंतरराष्ट्रीय बाजार से लिंकअप किया था। ताकि महिलाओं की आमदनी में बढ़ोतरी हो सके। लोगों के आर्डर भी आने लगें है। महिलाओं को पहचान मिलेगी, वहीं सूरतगंज का भी नाम रोशन होगा। समूह की दीदियों को स्वयं के हाथों निर्मित हो रहे उत्पाद बिक्री के लिए परेशान एवं भटकना नहीं पड़ेगा। ई-कामर्स कंपनी अमेजन पर उत्पादों की बिक्री की जाएगी। अमेजन और जिला प्रशासन के मध्य बात तय हो गई है और दोनों के बीच सभी शर्तों को मंजूर भी कर लिया गया है। एक अगस्त को पंजीकरण भी हो गया है। इसमें सूरतगंज ब्लाक महादेवा प्रेरणा महिला संकुल समिति नाम के आईडी का प्लेटफार्म भी मिल गया है। इसमें अभी जिले के तीन ब्लाक ही शामिल किए गए हैं। सूरतगंज, देवा, फतेहपुर को उत्पाद बेचने की अनुमति मिली है और सूरतगंज को नोडल बनाया गया है। सूरतगंज के चैनपुरवा व महादेवा, सूरतगंज, लालपुर और छेदा क्लस्टर के साथ देवा और फतेहपुर में निर्मित हो रही राखियों को बेचने का आदेश भी मिल चुका है। उपभोक्ताओं ने भी पसंदीदा राखियों के खरीद शुरू कर दी है। महाराष्ट्र, जम्मू कश्मीर के साथ कर्नाटक आदि देशों के लोगों राखियों के आर्डर लगा दिए है। अमेजन ने इन राखियों की कीमत टैक्स के साथ ही 199 रुपये रखी है। इसमें टैक्स और अमेजन के 12 प्रतिशत कमीशन को छोड़कर शेष धनराशि समूह की दीदी को मिलेंगे। समूह की दीदियों को सही लाभांश प्राप्त होगा। इनके उत्पादों को बेचने के लिए अमेजन एप आनलाइन शापिंग प्लेटफार्म देने में ब्लाक मिशन प्रबंधक मोनू श्रीवास्तव का सहयोग रहा है। महिलाओं को मिलेगा फायदा : पहले महिलाएं हाथ से सामान बनाती थीं। जिन्हें कम दाम पर क्षेत्रीय व्यापारी खरीद कर अधिक दाम पर बेचते थे। अब इन्हें इनके मेहनत के उचित दाम मिल सकेंगे। इस माह से स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के प्रोडक्ट की आनलाइन बिक्री शुरू हो गई है और राखियों की डिमांड भी आने लगी हैं। इससे समूह की महिलाएं स्वयं के हाथों तैयार हो रहे उत्पादों का उचित मूल्य प्राप्त कर सकेंगे। बीके मोहन, उपायुक्त, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन।

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