जमुनहिया बाग शोह-दाए-कर्बला की याद में शहीदे आज़म जलसा
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गोरखपुर। आला हजरत मुस्लिम वेलफेयर सोसाइटी की ओर से मदरसा अरफिया नूरिया अहले सुन्नत जमुनहिया बाग गोरखनाथ में शोह-दाए-कर्बला की याद में शहीदे आजम जलसा हुआ है।अध्यक्षता मौलाना अल्ताफ निजामी व संचालन मौलाना अज़ीम अहमद ने किया।
मुख्य अतिथि मौलाना मोहम्मद अमीरुद्दीन ने कहा कि कर्बला के मैदान में जबरदस्त मुकाबला हक़ व बातिल के बीच हुआ। तीर नेजा और शमशीर के बहत्तर जख्म खाने के बाद इमाम हुसैन सजदे में गिरे और अल्लाह का शुक्र अदा करते हुए शहीद हो गए। करीब 56 साल पांच माह पांच दिन की उम्र शरीफ मे जुमा के दिन मुहर्रम की दसवीं तारीख सन् 61 हिजरी में इमाम हुसैन ने इस दुनिया को अलविदा कहा। साहबजादगाने अहले बैत (पैगंबर-ए-आज़म के घराने वाले) में से कुल 17 हज़रात हज़रत इमाम हुसैन के हमराह हाजिर होकर रुतबा-ए-शहादत को पहुंचे। कुल 72 अफराद ने शहादत पाई। यजीदी फौजों ने बचे हुए लोगों पर भी बहुत जुल्म किया। हज़रत इमाम हुसैन व उनके जांनिसार साथियों ने कर्बला के मैदान में अज़ीम कुर्बानी देकर दीन-ए-इस्लाम को बचा लिया।
विशिष्ट अतिथि मौलाना हारुन मिस्बाही ने कहा कि इमाम हुसैन ने अपने साथियों के साथ यजीद की कई गुना बड़ी फौज के साथ किसी मंसब, तख्तोताज़, बादशाहत, किसी इलाके को कब्जाने या धन दौलत के लिए जंग नहीं की बल्कि पैगंबरे इस्लाम के दीन-ए-इस्लाम व इंसानियत को बचाने के लिए जंग की। शोह-दाए-कर्बला ने दुनिया को सब्र व इंसानियत का अज़ीम पैग़ाम दिया। जिसे रहती दुनिया तक भुलाया नहीं जा सकता है।
नात-ए-पाक मौलाना करीमुल्लाह, अब्दुल गनी, अजीम अहमद, मौलाना शाहनवाज़, कासिद रज़ा इस्माईली ने पढ़ी। अंत में सलातो सलाम पढ़कर हज़रत सैयदना इमाम हुसैन के नक्शे कदम पर चलने एवं मुल्क में अमनो शांति की दुआ मांगी गई। अकीदतमंदों में कमेटी की तरफ से चाय, पानी, और शीरीनी बांटी गई। शहीदे आजम संगोष्ठी में इंडियन जर्नलिस्ट एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सेराज अहमद कुरैशी, उत्तर प्रदेश हज़ कमेटी के सदस्य इफ्तिखार हुसैन, डाॅ. शकील अहमद, राजू खान, असगर अंसारी, नौशाद अहमद, डाॅ. अब्दुल वासिर, अजमेर आलम, कबीर अली, मोहम्मद मुस्तकीम, सफायतुल्लाह खान, अबदुल करीम, अब्दुल कय्यूम, एहतेशाम हुसैन, फिरोज अहमद, महफूज अहमद, साजिद अली सहित तमाम अकीदतमंद मौजूद रहे।