कानपुर,(अबू शहमा अंसारी) | वर्षा ऋतु में आहार विहार और व्यवहार की बड़ी महत्ता होती है। इनको अपनाने से बारिश के मौसम में अनेक बीमारियों से न केवल बचाव हो सकता है बल्कि व्यक्ति खुद को तारोताजा भी रख सकता है। यह बात गुरुवार को वर्षा ऋतु पर आयोजित संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए आयुर्वेदाचार्य डॉ वंदना पाठक ने कही।
उन्होंने कहा कि वर्षा ऋतु में सबसे अधिक प्रदूषण पानी में होता है ऐसे में जरूरी है कि लोग पानी उबाल कर पीए। इस मौसम में सुजल लेने से भी बहुत लाभ होता है। हरी सब्जियां इस मौसम में खानी चाहिए लेकिन उन्हे पर्याप्त रूप में धोकर ही सब्जियों को अच्छे से पकाकर खाना चाहिए। इस ऋतु में पाचन क्रिया थोड़ मंद हो जाती है इसलिए मौसमी फलों के अलावा कोशिश करना चाहिए कि गरिष्ठ भोजन न लिया जाए। जो आसानी से पच सके ऐसा भोजन बेहतर सेहत के लिए जरूरी है। इस कार्यक्रम में उन्होंने बच्चों को मुफ्त में स्वर्ण प्राशन भी कराया। कार्यक्रम में उन्होंने स्वर्ण प्राशन के फायदे गिनाते हुए कहा कि इसके सेवन से बच्चों को कई प्रकार की मौसमी और अन्य बीमारियों से न केवल बचाव होता है बल्कि बच्चों की मेधा भी तेज होती है। वह हृष्ट पुष्ट रहते हैं। उन्होंने कार्यक्रम के दौरान लोगों की काउंसलिंग भी की।
डॉ वंदना पाठक ने कहा कि बरसात के मौसम में कई तरह के इंफेक्शन होते हैं। इनसे बचाव का सबसे बेहतर तरीका है साफ सफाई और वर्षा ऋतु के आधार पर आहार विचार किया जाए। साफ सुथरे कपड़े पहनें और बारिश में भीगने के बाद अधिक देर तक गीले न रहें। धूप निकलने पर कपड़ों को धूप में जरूर डालें।