गोरखपुर

ईद-उल-अजहा आज, तैयारियां पूरी, बाजार में रही रौनक

गोरखपुर। अल्लाह की राह में कुर्बानी देने का त्योहार ईद-उल-अजहा रविवार को परंपरा के अनुसार मनाया जाएगा। कुर्बानी का सिलसिला 10, 11 व 12 जुलाई तक चलेगा। कोरोना महामारी के दो साल बाद कुर्बानी को लेकर मुसलमानों में खूब उत्साह है। सोशल मीडिया पर मुबारकबाद देने का सिलसिला शुरू हो गया है।

शहर की ईदगाहों व मस्जिदों में ईद-उल-अजहा की नमाज़ रविवार को अदा की जाएगी। इसे देखते हुए ईदगाह व मस्जिद कमेटियों ने खास तैयारी की गई है। भारी भीड़ को देखते हुए साफ सफाई, चटाई‌ व दरी का इंतजाम किया गया है। ईद-उल-अजहा की नमाज सबसे पहले चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर में सुबह 5:45 बजे अदा की जाएगी। सबसे अंत में सुन्नी जामा मस्जिद सौदागर मोहल्ला में सुबह 10:30 बजे ईद-उल-अजहा की नमाज होगी। इसके अलावा शहर की सभी ईदगाहों व मस्जिदों में ईद-उल-अजहा की नमाज अदा की जाएगी।

महानगर में रविवार को मनाये जाने वाले ईद-उल-अजहा त्योहार को लेकर शनिवार को बाजारों में काफी रौनक रही। ईद-उल-अजहा की तैयारियों में जुटे लोगों ने बाजार से जमकर खरीदारी की। लोगों ने घरों की साज सज्जा के साथ ही त्योहार के मौके पर घर आने वाले मेहमानों को लजीज पकवानों और सेवई खिलाने के लिए तमाम चीजों की खरीदारी की।

रातभर बकरा व भैंस मंडी में खरीदारों की भारी भीड़ जुटी रही। महंगाई का असर कुर्बानी के जानवरों पर साफ नज़र आया। इस बार भी जानवरों में एक हजार से पंद्रह सौ रुपये तक की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई। आठ हजार से लेकर चालीस हजार रुपये तक के जानवर बाजार में बिके। बाजार में ग्रामीण क्षेत्रों के लोग ज्यादा जानवर लेकर आए। कुर्बानी के जानवरों के महंगे होने की वजह से मध्यम वर्गीय परिवारों को दिक्कतें पेश आईं।

गोरखनाथ मछली दफ्तर, रसूलपुर, इलाहीबाग, खुनीपुर, जामा मस्जिद उर्दू बाजार, शाह मारूफ, रेती चौक देसी नस्ल के बकरों से गुलजार रहा। भैंस व पड़वा बाजार में भी खूब रौनक दिखी। बड़े जानवर में पेशगी के तौर पर एक हिस्से का 2500 व 3000 रुपया लिया जा रहा है।

तुर्कमानपुर, रसूलपुर, गोरखनाथ, अस्करगंज, गाजी रौजा, शाह मारूफ, रहमतनगर, जामा मस्जिद उर्दू बाजार, खूनीपुर, इलाहीबाग, बक्शीपुर आदि जगहों पर तो रात भर कुर्बानी के जानवरों का मेला लगा रहा। जमकर मोलभाव व खरीदारी का सिलसिला चला। जहां सामूहिक कुर्बानियां होती हैं वहां अपशिष्ट पदार्थ को दफ़न करने के लिए गड्ढे वगैरा भी खोदे गए।

खूब बिकी सेवई, मेवा व‌ खोवा

शहर के उर्दू बाजार, शाह‌ मारूफ, रेती, नखास, खोवा मंडी, इलाहीबाग, जाफरा बाजार, रसूलपुर व गोरखनाथ इलाके में सेवई, खोवा व मेवों की खूब बिक्री हुई। जामा मस्जिद उर्दू बाजार में सेवई की दुकान लगाने वाले मोहम्मद कैस व तुर्कमानपुर के तौहीद अहमद ने बताया कि रमजान, ईद व ईद-उल-अजहा के मौके पर सेवई की मांग ज्यादा रहती है। बनारसी सेवई हाथों-हाथ खरीदी जा रही है।

मसाला, प्याज, लहसून की हुई खरीदारी

ईद-उल-अजहा त्योहार के तीन दिन जमकर मेहमान नवाजी की जाती है। इन दिनों मे अमीर गरीब बराबर हो जाते हैं। आपसी भाईचारा देखने को मिलता है। लोग एक दूसरे के घर जाते हैं और लजीज पकवानों का लुत्फ उठाते हैं। घरों में विभिन्न पकवानों के लिए तमाम तरह के मसाले, प्याज, अदरख, लहसुन आदि की बिक्री खूब हुई। साहबगंज में भारी भीड़ उमड़ी। शनिवार को महिलाओं ने तमाम तरह के मसाले तैयार कर लिए। धम्माल के खुर्शीद अहमद मून ने बताया कि शुक्रवार को ही सारा मसाला व प्याज, लहसुन आदि साहबगंज से खरीद लिया। अब समय कम है। घर में कई बकरे आ चुके हैं। घर में तीन दिन कुर्बानी होनी है।

कपड़ों की खरीदारी भी हुई

ईद-उल-अजहा में मुसलमान कुर्बानी तो करवाते ही हैं साथ ही नये कपड़े पहनकर ईद-उल-अजहा की नमाज अदा करते हैं। शनिवार को गीता प्रेस, घंटाघर, शाह मारूफ, रेती, गोलघर आदि क्षेत्रों में काफी लोग पहुंचे। जहां बड़े कुर्ता पायजामा खरीदते नजर आए वहीं बच्चे जींस, टी शर्ट लेते दिखे। रेडीमेड आइटमों की डिमांड रही। महिलाएं सलवार सूट लेती दिखी। दर्जियों के यहां कपड़ा लेने वाले भी पहुंचे। शाह मारूफ पर खरीदारी करने आईं हेरा व गौसिया ने बताया कि कपड़े वगैरा तो पहले ही खरीदे जा चुके हैं। दर्जी के यहां से कपड़ा लेना बाकी है। घर को सजाने के लिए पर्दा, फ्लावर व बर्तन वगैरा की खरीदारी की है।

होटल में बनने लगी बाकरखानी व शीरमाल

ईद-उल-अजहा में लजीज पकवानों का मजा लेने के लिए बाकरखानी, शीरमाल, बटर नान मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में स्थित मुस्लिम होटल तैयार कर रहे हैं। त्योहार के दिन विभिन्न प्रकार की रोटियों की खूब डिमांड रहती है। लिहाजा होटल वालों ने शनिवार से ही तैयारियां शुरु कर दीं। उर्दू बाजार जामा मस्जिद के निकट, तुर्कमानपुर व नखास स्थित होटलों में शनिवार की रात से ही रोटियां बनना शुरु हो गईं।

ठीहा व जिब्ह करने के औजार में लग रही धार

ईद-उल-अजहा में कुर्बानी करने के लिए बूचड़ व कसाई कई जगहों पर चाकू, चापड़ वगैरा में धार तेज करवाते नज़र आए। धार तेज करवाने वाली दुकानों पर भी भीड़ रही। ठीहा भी खूब बिका।

यहां होगी सामूहिक कुर्बानियां

मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया दीवान बाजार, गाजी रौजा, रहमतनगर, तुर्कमानपुर, अस्करगंज, बक्शीपुर, रसूलपुर, सिधारीपुर, बड़े काजीपुर, इलाहीबाग, जाफरा बाज़ार, निजामपुर, सिधारीपुर सहित तीन दर्जन से अधिक स्थानों पर भैंस व पड़वा की सामूहिक कुर्बानी होगी।

अमन शांति से मनाएं त्योहार, साफ सफाई का रहे ध्यान : मुफ्ती-ए-शहर

मुफ्ती-ए-शहर मुफ्ती अख्तर हुसैन मन्नानी ने लोगों से अपील की है कि कुर्बानी के दिनों में साफ-सफाई का खास ख्याल रखें। अपशिष्ट पदार्थ, खून व हड्डियां सड़कों पर न फेंकें बल्कि गड्ढे में दफ़न कर दें। दीन-ए-इस्लाम में साफ-सफाई को आधा ईमान करार दिया गया है। कुर्बानी इबादत है इसे खुशदिली से अदा करें। कुर्बानी के समय वीडियो व फोटो बिल्कुल न बनाया जाए और न ही सोशल मीडिया पर डाला जाए। यह मेहमाननवाजी का दिन है भाईचारे को आम करें। चमड़ा ले जाने वालों के साथ बेहतरीन सुलूक करें। उलमा किराम व मदरसा छात्रों के साथ अदब से पेश आएं। गरीब व जरूरतमंदों की मदद करें। कुर्बानी के जानवर के चमड़े के साथ बेहतर रकम मदरसों को दी जाए। जिससे मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों को सहूलियत हो।

अल्लाह को प्यारी है कुर्बानी : मुफ्ती मेराज

-क़ुर्बानी पर दर्स का अंतिम दिन

गोरखपुर। मरकजी मदीना जामा मस्जिद रेती में क़ुर्बानी पर चल रहे दर्स के अंतिम दिन शनिवार को मुफ्ती मेराज अहमद क़ादरी ने कहा कि एक मशहूर हदीस है कि नबी-ए-पाक हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया कि सींग वाला मेढ़ा लाया जाए जो स्याही में चलता हो (तीन बार इरशाद फरमाया) और स्याही में बैठता हो, पेट स्याह हों और आंखें स्याह (काली) हो, कुर्बानी के लिए हाजिर किया गया। नबी-ए-पाक ने फरमाया छुरी लाव, फिर फरमाया इसको पत्थर पर तेज कर लो। फिर नबी-ए-पाक ने छुरी ली और मेढ़े को लिटाया और उसे जिब्ह किया और दुआ की या अल्लाह इसको मेरे व मेरी आल और उम्मत की तरफ से कबूल फरमा। लिहाजा जो लोग हैसियत वाले हों वह अपनी तरफ से कुर्बानी करवाने के बाद नबी-ए-पाक हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की तरफ से भी कुर्बानी करवाएं तो बेहतर है।

उन्होंने बताया कि तकबीरे तशरीक वाजिब हैं, जरूर पढ़ें। मुसलमानों के लिए बेहतर है कि दसवीं जिलहिज्जा को नमाज से पहले कुछ न खाएं। गुस्ल करें। साफ सुथरे या नये कपड़े पहनें। खुश्बू लगाएं। ईदगाह को तक्बीरे तशरीक बुलंद आवाज से कहते हुए एक रास्ते से जाएं और दूसरे रास्ते से वापस आएं फिर कुर्बानी करें।

उन्होंने बताया कि हदीस में आया है कि नबी-ए-पाक ने फरमाया कि यौमे जिलहिज्जा (10वीं जिलहिज्जा) में इब्ने आदम का कोई अमल अल्लाह के नजदीक कुर्बानी करने से ज्यादा प्यारा नहीं है। दूसरी हदीस में आया है कि नबी-ए-पाक ने फरमाया कि जिसे कुर्बानी की ताकत हो और वह कुर्बानी न करे, वह हमारी ईदगाहों के करीब न आए।

कुर्बानी अदा करने का तरीका बताया

कारी मोहम्मद अनस रजवी ने बताया कि कुर्बानी के जानवर को बाएं पहलू पर इस तरह लिटाएं कि किब्ला को उसका मुंह हो और अपना दाहिना पांव उसके पहलू पर रख कर जल्द जिब्ह करें। अलबत्ता जिब्ह से पहले दुआ पढ़ें फिर ‘‘बिस्मिल्लाहि अल्लाहु अकबर’’ पढ़ कर जिब्ह करें फिर दुआ पढ़ें ‘‘ अल्लाहुम्म तक़ब्बल मिन्नी कमा तक़ब्बल त मिन खलीलि क इब्राहीम अलैहिस्सलाम व हबीबिक मुहम्मदिन सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम’’ अगर कुर्बानी अपनी तरफ से हो तो ‘‘मिन्नी’’ और अगर दूसरों की तरफ से हो तो ‘‘मिन्नी’’ के बजाए ‘‘मिन’’ कह कर उसका नाम लें।

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