गोरखपुर

औलिया-ए-किराम ने पूरी ज़िन्दगी अल्लाह की फरमाबरदारी में गुजारी : हबीबुर्रहमान

गोरखपुर। बाब-ए-रहमत कमेटी की ओर से रसूलपुर अजमतनगर में शनिवार को सालाना जलसा हुआ। अध्यक्षता मौलाना मो. शादाब बरकाती ने की। संचालन तामीर अहमद अज़ीज़ी ने किया।

मुख्य अतिथि संतकबीरनगर के पीरे तरीकत अल्लामा हबीबुर्रहमान रज़वी ने कहा कि औलिया-ए-किराम ने अपनी पूरी ज़िन्दगी अल्लाह व पैगंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की पैरवी व फरमाबरदारी में गुजारी। सभी औलिया-ए-किराम शरीअत व सुन्नत के जबरदस्त आलिम थे। सहाबा-ए-किराम और अहले बैत के सच्चे आशिक़ और वफादार गुलाम थे। हमें उनके नक्शेकदम पर चलना है।

विशिष्ट अतिथि मुफ्ती मो. अज़हर शम्सी (नायब काजी) ने कहा कि इल्म का सीखना हर मुसलमान पर अनिवार्य है। इस्लामी विद्वानों व औलिया-ए-किराम ने इल्म सीखने और उसे प्राप्त करने के लिए अपनी पूरी कोशिशें लगा दीं। इस्लामी विद्वानों व औलिया-ए-किराम ने जिस प्रकार इस रास्ते में परिश्रम किया दुनिया के इतिहास में इसका कोई उदाहरण नहीं मिलता। हमें उन विद्वानों के नक्शेकदम पर चलकर इल्म हासिल करने की कोशिश करनी चाहिए। हर व्यक्ति को इल्म हासिल करने के लिए दिन या रात में कुछ घंटे अवश्य निकालने चाहिए। इल्म हासिल करने के लिए धैर्य और सहनशीलता से काम लेना होगा, दिल को मनाना होगा, इच्छाओं को मारना होगा।

कुरआन-ए-पाक से जलसे का आगाज हुआ। नात-ए-पाक कारी मो. असलम बरकाती व कफील अहमद ने पेश की। अंत में सलातो सलाम पढ़कर मुल्क की तरक्की व खुशहाली की दुआ मांगी गई। उर्स में कारी मो. अफजल बरकाती, कारी बदरे आलम निज़ामी, कारी निज़ामुद्दीन मिस्बाही, मौलाना मो. अनवार निज़ामी, इकरार अहमद, खैरुल बशर, हाजी खुर्शीद आलम खान आदि मौजूद रहे। मदरसा ग़ाजिया मसूदुल उलूम बहरामपुर में भी उर्स-ए-पाक मनाया गया।

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