धार्मिक

सीरते रसूल का महत्व

लेखक: जफर कबीर नगरी
छिबरा, धर्मसिंहवा बाजार, संत कबीर नगर उ.प्र.

सीरत क्या है? सीरत अरबी भाषा का शब्द है, इस का शाब्दिक अर्थ है विधि और तरीके, और सीरत-ए-रसूल का अर्थ है पैगंबर की जीवनी, जीवनशैली, रहन सहन, आदतें, मेल जोल, लोगों से संबंध एवं चरित्र आद, सीरत-ए-रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम एक ऐसा विषय है जिस पर हजारों नहीं बल्कि लाखों पुस्तकें लिखी जा चुकी हैं लेकिन विषय ही इतना विशाल है कि कोई व्यक्ति सीरत के सभी पहलुओं का भाषण या लेखन दोनों स्तर पर हक अदा नहीं कर सकता، जिन लोगों ने इस शुभ विषय पर किसी प्रकार का प्रयास किया है वो बहुत ही भाग्यशाली एवं महान लोग हैं, अन्यथा कहाँ एक सामन्यत व्यक्ति और कहां नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का व्यक्तित्व, वर्तमान समय में सीरत का महत्व और भी बढ़ जाता है, इस लिए आवश्यकता है कि सीरत-ए-रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को जन जन तक पहुंचाया जाए, हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की सीरत हर व्यक्ति के लिए लाभदायक है, आप के अतिरिक्त किसी नबी की सीरत न तो सुरक्षित है और न ही पूर्ण रूप से मार्गदर्शन करती है, अतः हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के जीवन का अनुसरण भावनात्मक समस्या नहीं अपितु मानवता की आवश्यकता है, सीरत-ए-रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम जीवन व्यतीत करने बेहतरीन एवं पूर्ण आदर्श है।

कुरान में कहा गया है कि “पैगंबर का जीवन आपके लिए सबसे अच्छा उदाहरण है”, पवित्र पैगंबर का जीवन हमारे लिए दिन की तरह ही स्पष्ट है, पवित्र पैगंबर के धन्य जीवन के सभी काल जैसे, बचपन, युवावस्था और वृद्धावस्था वह सब हमारे लिए सबसे अच्छा उदाहरण हैं, दूसरी जगह अल्लाह का फरमान है, “रसूल जो कुछ तुम्हें दें लेलो, और जिस चीज से रोकें रुक जाओ, पैगंबर बनाये जाने से पहले, उन्हें अपनी सच्चाई और ईमानदारी के कारण सादिक और अमीन की उपाधियों से सम्मानित किया गया था, पति के रूप में आप एक आदर्श एवं प्रेम करने वाले पति थे, आपकी पत्नियों ने आपसे कभी शिकायत नहीं की, एक पिता के रूप में एक प्यार करने वाले तथा मेहरबान बाप थे, वह सभी बच्चों के लिए प्यार और करुणा का एक आदर्श उदाहरण थे, भले ही वे काफिरों के बच्चे क्यों न हों, वह मानव कल्याण के लिए समर्पित एक व्यक्ति थे, नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम आशीर्वाद प्राप्त सद्गुणों का स्रोत थे, पैगंबर पूरी दुनिया के लिए एक दया के रूप में आये थे, उनकी दया किसी भी राष्ट्र, संप्रदाय, वर्ग या प्राणी के लिए नहीं थी, बल्कि सभी मानव जाति के लिए के लिए थी, अल्लाह की आखिरी किताब, पवित्र क़ुरआन, उनके ऊपर अवतरित हुई, एक बार किसी ने हज़रत आयशा से उनकी नैतिकता के बारे में पूछा, हज़रत आयशा ने कहा, “क़ुरान आपकी नैतिकता है। कुरआन आपकी जीवनी से परिचित होने का सबसे पक्का तरीका है”,

आज के युग में जब हम नैतिक क्षय की स्थिति में हैं और पश्चिमी मकड़जाल के प्रभाव में हैं, महिलाओं का नंगापन, पुरुषों के साथ अवैध संबंध, बैंकों में ब्याज दर प्रणाली, रेडियो और टेलीविजन पर अनैतिक कार्यक्रमों का प्रसारण, पश्चिमी सभ्यता आदि के घेरे में हैं, ऐसी स्थिति में, सीरत-ए-तैयबा के अध्ययन को महत्व देने और सिरत-ए-तैयबा के प्रकाश में नई पीढ़ी के चरित्र और चरित्र का निर्माण करने की आवश्यकता है ताकि हमारी नई पीढ़ी समाज में एक इस्लामी माहौल बनाए, चूंकि पैगंबर का जीवन इस्लाम की सच्ची और पूरी तस्वीर है और उनके शब्दों और कर्मों से वह क्रांति लाई जा सकती जो कुरआन के अवतरण का उद्देश्य है, इस लिए पैगंबर के जीवन को जानना हर मुसलमान पर अनिवार्य है, आइए कुरान के हर पहलू का अध्ययन करें क्योंकि आज दुनिया जिस चिंता और संघर्ष से पीड़ित है उसका इलाज पैगंबर की शिक्षाओं में ही पाया जाता है, जॉर्ज बर्नार्ड शाह ने कहा: “मुहम्मद को मानवता का उद्धारकर्ता कहा जाना चाहिए, यह निश्चितता के साथ कहा जा सकता है कि अगर आज की दुनिया मुहम्मद जैसे नेता और मार्गदर्शक के हाथों में होती, तो वह निश्चित रूप से दुनिया को कठिनाइयों से बाहर निकालते और शांति और सुरक्षा लाते, ऐसे व्यक्ति की कल्पना करना कठिन है, आज मुसलमानों को न केवल स्वयं सीरत के अध्ययन पर ध्यान देने और तदनुसार अपने व्यावहारिक जीवन को स्थापित करने की आवश्यकता है, बल्कि पैगंबर द्वारा प्रस्तुत क्रांतिकारी कार्यक्रम से दुनिया को अवगत कराने की भी आवश्यकता है, अल्लाह तआला ऐसा करने के लिए हम सब की मदद करे, आमीन।

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