लेखक: अब्दुल्लाह रज़वी क़ादरी
मुरादाबाद यू पी, इंडिया
मनक़ूल है क़ियामत के रोज़ मर्द अल्लाह तआला की जनाब में खड़ा किया जाएगा उसकी बीवी और औलाद अल्लाह अज़्ज़ व जल्ल की जनाब में शिकायत करते हुए अर्ज़ करेंगे
ऐ हमारे रब इस मर्द को हमारे हक़ के बारे में मुवाख़िज़ा (पूछ गछ) कर,
कयोंके इसने हमें हमारे दीन की बातें ना सिखाईं, और हमें हराम रोज़ी खिलाता था, और हम बे इल्म थे, लिहाज़ा उस (कम’नसीब) को हराम रोज़ी कमाने के सबब पीटा जाएगा, यहां तक के उसका गोश्त झड़ जाएगा, इसके बाद उन्हें मीज़ान (आमाल तोलने की जगह तराज़ू) पर ले जाया जाएगा, फिर फ़िरिश्ते पहाड़ के बराबर मर्द की नेकियां लाएंगे, (तो इयाल औलाद वग़ैरह) में का एक शख़्स बढ़ेगा, और कहेगा मेरा वज़न कम है और वो उसकी नेकियों में से ले लेगा, फिर दूसरा इयाल का शख़्स आएगा वो भी उसकी नेकियों से अपनी कमी पूरी करेगा, ग़र्ज़ ये के सब (अहल व इयाल) उसकी नेकियां ले जाएंगे, फिर वो अपने घर वालों की तरफ़ रुख़ करके कहेगा
आह मेरी गर्दन पर अब वो गुनाह रह गए हैं जो तुम्हारे लिए मेंने उठाए, फिर फ़िरिश्ते कहेंगे ये वो (बदनसीब) शख़्स है जिसके घर वाले इसकी तमाम नेकियां ले गए और ये उनकी वजह से जहन्नम में चला गया,
📚 क़ुर्रतुल उयून)
हज़रत सय्यिदुना मालिक बिन दीनार रज़िअल्लाहू तआला अन्ह फ़रमाते हैं
मनक़ूल है के
बनी इसराइल में एक आलिम साहिब लोगों को घर पर जमा करके बयान सुनाया करते थे,
उन आलिम साहिब का एक नौजवान लड़का था एक दिन उसने एक ख़ूबसूरत लड़की की तरफ़ इशारा किया जो उन आलिम साहिब ने देख लिया और कहा ऐ बेटे सब्र कर ये कहते ही आलिम साहिब अपने तख़्त से फ़ौरन मुंह के बल गिर पड़े यहां तक के उनके बअज़ जोड़ भी टूट गए,
अल्लाह तआला ने उस वक़्त के नबी अलैहिस्सलाम को वही फ़रमाई (पैग़ाम दिया) के फ़ुलां आलिम को ख़बर करदो के में उसकी नस्ल से कभी सिद्दीक़ पैदा नहीं करूंगा, क्या मेरे लिए सिर्फ़ इतना ही नाराज़ होना था के वो अपने बेटे को कहदे ऐ बेटे सब्र कर
मतलब ये है के अपने बेटे पर सख़्ती क्यों नहीं की और उसको इस बुरी हरकत से अच्छी तरह बाज़ क्यों ना रखा,
📚 तम्बीहुल मुग़तरीन)
अपने बेटे को बुराई पर सज़ा ना देने के जुर्म में बनी इसराइल के इन आलिम का दर्दनाक अंजाम इस वाक़िआ में अपनी औलाद को बुराई से ना रोकने वाले के लिए इबरत ही इबरत है,
जब एक आलिमे दीन का यह हाल है कि जो अपने अज़ीज़ो अक़ारिब को गुनाहों से न रोके, तो फिर आजकल के जो ग़ैर आलिम हैं उनका क्या हाल होगा जबकि उन्होंने न इल्मे दीन सीखा और ना सीखने की कोशिश करते हैं,
न उल्मा ए किराम से राबता रखते हैं बस खाने कमाने में लगे हैं न गुनाहों से खुद रुकते हैं न दूसरों को रोकते हैं, यानी एक गुनाह इल्मे दीन ना सीखने का दूसरा गुनाह न अपने को और न अपने अज़ीज़ो अक़ारिब को गुनाहों से रोकने का,
हदीस शरीफ़
हज़रत सय्यिदुना नोमान इब्ने बशीर रज़िअल्लाहू तआला अन्ह फ़रमाते हैं के मेंने हुज़ूर सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम को फ़रमाते सुना के
अल्लाह तआला के हुक़ूक़ में नर्मी या सुस्ती करने वाले और इन हुक़ूक़ को ज़ाएअ करने वाले और इनकी हिफ़ाज़त करने वाले उन तीन क़िस्म के लोगों की तरह हैं जो बहरी जहाज़ में सवार थे, उन्होंने उसकी मंजिलें बाहम तक़सीम करलीं,
एक को ऊपर वाली दूसरे को दरम्यानी (बीच वाली) और तीसरे को पहली मंजिल मिली, सफ़र जारी था के निचली मंज़िल वाला एक शख़्स कुल्हाड़ा ले आया साथी कहने लगे क्या करता है,
वो कहने लगा अपनी मंज़िल में सुराख़ करना चाहता हूं इससे पानी भी क़रीब हो जाएगा और दीगर हाजात (ज़रूरत) के लिए भी आसानी रहेगी,
ये सुनकर बअज़ नादान लोग तो यूं कहने लगे इसे दफ़अ करो अपने हिस्से की मंज़िल में जो चाहे करे, दूसरे समझदार लोग बोले हरगिज़ ऐसा ना करने दो वरना ये हमें भी डुबो देगा और ख़ुद भी ग़र्क़ होगा, पस अगर वो लोग उस शख़्स का हाथ पकड़ते हैं तो वो ख़ुद भी बचता है और ये लोग भी बचते हैं अगर उसे छोड़ते हैं तो वो ख़ुद भी हिलाक होगा और उन्हें भी हिलाक करेगा,
📚 तम्बीहुल ग़ाफ़िलीन)
प्यारे मुसलमानों ज़ाहिर है के अगर निचले हिस्से वाले बेवक़ूफ़ आदमी को अगर जहाज़ में सुराख़ करने से ना रोका गया तो समंदर का पानी उस सुराख़ के ज़रिए जहाज़ में दाख़िल हो जाएगा नतीजतन जहाज़ डूब जाएगा और नीचे ऊपर जितने लोग हैं वो सब के सब हिलाक हो जाएंगे इसी तरह नेक और परहेज़गार लोग या शैख़ अपनी अपनी देख, के तहत सिर्फ़ ख़ुद अपनी इस्लाह की फ़िक्र में लगे रहें और दूसरों की इस्लाह की तरफ़ कोई तवज्जोह ना दें तो बुराईयां बढ़ते बढ़ते इनको भी घेर लेंगी और ये तबाह व बर्बाद हो जाएंगे जैसा के आहादीसे मुबारिका से पता चलता है चुनाचे हुज़ूर सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम का फ़रमाने आलीशान है👇
क़सम है उसकी जिसके दस्ते क़ुदरत में मेरी जान है या तो तुम अच्छी बात का हुक्म करोगे और बुरी बात से मना करोगे या अल्लाह तआला तुम पर जल्द अपना अज़ाब भेजेगा फिर दुआ करोगे और तुम्हारी दुआ क़ुबूल ना होगी
📚 तिर्मिज़ी शरीफ़