गोरखपुर

जून‌ में मनाया जाएगा सदरुश्शरिया, ताजुश्शरिया सहित मुकद्दस हस्तियों का उर्स

गोरखपुर। इस्लाम धर्म का 11वां महीना ज़िल क़ादा है। जो 1 या 2 जून से शुरु होगा। ज़िल क़ादा माह में शहर की कई मस्जिदों में हिन्दुस्तान, मोरक्को, इराक, ईरान, मिस्र आदि देशों की अज़ीम हस्तियों का उर्स-ए-पाक मनाया जाएगा। जिसमें सहाबी-ए-रसूल हज़रत साद बिन अबी वक़्क़ास, सदरुश्शरिया, ताजुश्शरिया, हज़रत हम्माद, इमाम सैयद मोहम्मद अल जज़ूली, इमाम अबुल हसन, हज़रत सैयद अबू सालेह, हज़रत मोहम्मद बिन कासिम, इमाम अबू जाफ़र, हज़रत सैयद फ़ज़्लुल्लाह, हज़रत ख़्वाजा बंदा नवाज़, इमाम सरफुद्दीन अल बुसीरी, मुजद्दिद हज़रत औरंगज़ेब आलमगीर, हज़रत सुल्तान फ़तेह अली खान, इमाम सैयद मो. तकी, अल्लामा नक़ी अली खां का उर्स-ए-पाक शामिल है।

हाफ़िज़ महमूद रज़ा कादरी ने कहा कि 31 मई को ज़िल क़ादा माह का चांद देखा जाएगा। अगर चांद दिख गया तो 1 जून से ज़िल क़ादा माह शुरु हो जाएगा। ज़िल क़ादा में कई मुक़द्दस हस्तियों का उर्स-ए-पाक है। मस्जिद में तमाम उर्स-ए-पाक के मौके पर क़ुरआन ख़्वानी, फातिहा ख़्वानी व दुआ ख़्वानी की जाएगी।

हाफ़िज़ रहमत अली निज़ामी ने कहा कि ज़िल क़ादा दीन-ए-इस्लाम का 11वां महीना है। इसमें खूब इबादत करें। ज़िल क़ादा माह में बहुत ही अज़ीम हस्तियों का उर्स-ए-पाक पड़ेगा। मस्जिद में भी इसाले सवाब किया जाएगा। लोगों से भी गुजारिश है कि इस माह इबादत करें। अज़ीम हस्तियों की याद में क़ुरआन ख़्वानी व फातिहा ख़्वानी करें। अमन चैन की दुआ मांगें। अज़ीम हस्तियों की तारीख़ को पढ़कर उनके नक़्शेकदम पर चलने की कोशिश करें।

ज़िल क़ादा माह की इस तारीख़ में है अज़ीम हस्तियों का उर्स-ए-पाक

2 ज़िल क़ादा ‘बहारे शरीअत’ के लेखक हज़रत सदरुश्शरिया अल्लामा मुफ़्ती अमजद अली आज़मी अलैहिर्रहमां, हज़रत हम्माद बिन इमाम अबू हनीफा अलैहिर्रहमां, 4 ज़िल क़ादा ‘दलाइलुल खैरात’ के लेखक हज़रत इमाम सैयद मोहम्मद अल जज़ूली अलैहिर्रहमां, 6 ज़िल क़ादा हज़रत ताजुश्शरिया अल्लामा मुफ़्ती मोहम्मद अख्तर रज़ा खां अज़हरी अलैहिर्रहमां, 8 ज़िल क़ादा ‘सुनन् अल दारक़ुतनी’ के लेखक हज़रत इमाम अबुल हसन अली बिन उमर अल दारक़ुतनी मुहद्दिस अलैहिर्रहमां, 11 ज़िल क़ादा हज़रत सैयद अबू सालेह मूसा जंगी दोस्त (गौसे पाक के वालिद) अलैहिर्रहमां, हज़रत मोहम्मद बिन कासिम अलैहिर्रहमां, 14 ज़िल क़ादा हज़रत इमाम अबू जाफ़र अहमद बिन मोहम्मद अहमद बिन तहावी अलैहिर्रहमां, हज़रत सैयद शाह फ़ज़्लुल्लाह कालपवी अलैहिर्रहमां, 16 ज़िल क़ादा हज़रत ख़्वाजा सैयद सदरुद्दीन अबुल फ़तह मोहम्मद हुसैनी (बंदा नवाज, गेसू दराज़) अलैहिर्रहमां, 25 ज़िल क़ादा हज़रत सैयदना साद बिन अबी वक़्क़ास रदियल्लाहु अन्हु, ‘कसीदा बुर्दा शरीफ़’ के लेखक हज़रत इमाम सरफुद्दीन अबू अब्दुल्लाह मोहम्मद अल बुसीरी अलैहिर्रहमां, 28 ज़िल क़ादा ग्यारहवीं सदी हिजरी के मुजद्दिद हज़रत औरंगजेब आलमगीर अलैहिर्रहमां, हज़रत सुल्तान फ़तेह अली खान ‘टीपू सुल्तान’ अलैहिर्रहमां, 29 ज़िल क़ादा हज़रत इमाम सैयद मोहम्मद तकी रदियल्लाहु अन्हु व आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खां के वालिद हज़रत अल्लामा मौलाना मुफ़्ती नक़ी अली खां अलैहिर्रहमां का उर्स-ए-पाक क़ुरआन ख़्वानी, फातिहा ख़्वानी व दुआ ख़्वानी करके मनाया जाएगा।

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