गोरखपुर। मस्जिदों में चल रहे रमज़ान के दर्स के दौरान शनिवार को मुसलमानों के चौथे ख़लीफा अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली रदियल्लाहु अन्हु के यौमे शहादत (21 रमज़ान को) पर खास बयान हुआ।
सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफ़रा बाज़ार के इमाम हाफ़िज़ रहमत अली निज़ामी ने कहा कि जिसे क़ुरआन की तफसीर देखनी हो वह हज़रत अली की ज़िंदगी का अध्ययन करे। हज़रत अली इल्म का समंदर हैं। बहादुरी में बेमिसाल हैं। आपकी इबादत, रियाजत, परहेजगारी और पैग़ंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से मोहब्बत की मिसाल पेश करना मुश्किल है।
मस्जिद खादिम हुसैन तिवारीपुर में कारी अफ़ज़ल बरकाती ने कहा कि पैग़ंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के दामाद व मुसलमानों के चौथे ख़लीफा हज़रत अली रदियल्लाहु अन्हु की शहादत 21 रमज़ान को हुई।
गौसिया जामा मस्जिद छोटे काजीपुर में मौलाना मोहम्मद अहमद निजामी ने कहा कि हज़रत अली की शान बयान करने के लिए किसी दलील की जरूरत नहीं हैं। बस इतना ही काफी हैं कि आप खाना-ए-काबा में पैदा हुए। आप दामादे रसूल हैं। दो जन्नती जवानों के सरदार हज़रत इमाम हसन व हज़रत इमाम हुसैन के वालिद हैं। खातूने जन्नत हज़रत फातिमा ज़हरा के शौहर हैं। बच्चों में सबसे पहले ईमान लाने वाले हैं।
मरकजी मदीना जामा मस्जिद रेती चौक में मुफ्ती मेराज अहमद क़ादरी ने कहा कि पैग़ंबर-ए-आज़म का फरमान है कि जिसका मैं मौला, अली भी उसके मौला। जिसका मैं आका, अली भी उसके आका। जिसका मैं रहबर, अली भी उसके रहबर। जिसका मैं मददगार, अली भी उसके मददगार।
सुब्हानिया जामा मस्जिद तकिया कवलदह में मौलाना जहांगीर अहमद अज़ीज़ी ने कहा कि पैग़ंबर-ए-आज़म ने फरमाया कि मैं इल्म का शहर हूं और अली उसके दरवाजा हैं। अब जो इल्म से फायदा उठाना चाहता है वह बाबे इल्म (हज़रत अली) से दाखिल हो।
चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर में हाफिज महमूद रज़ा कादरी ने हज़रत अली की शान में कहा कि इल्म का गौहर आपके खानदान से निकला। विलायत की शुरुआत आपके खानदान से हुई। हज़रत अली फरमाते हैं कि अल्लाह की कसम मैं क़ुरआन की आयतों के बारे में सबसे ज्यादा जानने वाला हूं।
नूरी मस्जिद तुर्कमानपुर में मौलाना मो. असलम रज़वी ने कहा कि हज़रत अली का बहुत बड़ा मर्तबा हैं। हमें भी हज़रत अली के नक्शेकदम पर चलने की पूरी कोशिश करनी चाहिए तभी दुनिया व आख़िरत में फायदा होगा।