गोरखपुर। चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर व सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफ़रा बाज़ार में मंगलवार को पैग़ंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की पत्नी हज़रत आयशा सिद्दीक़ा रदियल्लाहु अन्हा के यौमे विसाल (वफात) पर आयोजित कार्यक्रम में खिराजे अकीदत पेश किया गया। इस मौके पर हाफ़िज़ महमूद रज़ा क़ादरी ने कहा कि उम्मुल मोमिनीन (मोमिनों की मां) हज़रत आयशा सिद्दीक़ा रदियल्लाहु अन्हा पैग़ंबर-ए-आज़म की शरीके हयात व दीन-ए-इस्लाम के पहले ख़लीफा हज़रत अबू बक्र रदियल्लाहु अन्हु की पुत्री हैं। आप बहुत विद्वान थीं। आप पैग़ंबर-ए-आज़म से बहुत सी हदीस रिवायत करने वाली हैं। आप इल्म का चमकता हुआ आफताब हैं। आपकी ज़िन्दगी का हर पहलू दुनिया की तमाम महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत है। आप महिला सशक्तिकरण की सशक्त पहचान हैं। आप पूरी ज़िंदगी महिलाओं के हक़ की अलमबरदार रहीं।
हाफ़िज़ रहमत अली निज़ामी ने कहा कि तकवा परेहजगारी में हज़रत आयशा का कोई सानी नहीं हैं। क़ुरआन-ए-पाक में आपकी पाकीज़गी अल्लाह बयान फरमाता है। पैग़ंबर-ए-आज़म की निजी ज़िंदगी की तर्जुमान हज़रत आयशा हैं। आपने 17 रमज़ानुल मुबारक को इस फानी दुनिया को अलविदा कहा। उम्मुल मोमिनीन हज़रत आयशा तमाम मुसलमानों की मां हैं। अंत में सलातो-सलाम पढ़कर कौमो मिल्लत की भलाई के लिए दुआ मांगी गई और अहले बैत व सहाबा-ए-किराम के नक्शे कदम पर चलने का प्रण लिया गया।