गोरखपुर

तकबीरे तशरीक पढ़ना वाजिब है, बुधवार से पढ़ी जाएगी: कारी अनस

  • अरफा के दिन रोजा रखने की बहुत फज़ीलत है
  • ईद-उल-अजहा पर सेवईयों का बाज़ार सज कर तैयार

गोरखपुर। ईद-उल-अजहा त्योहार गुरुवार 29 जून को है। उर्दू बाज़ार, नखास चौक, घंटाघर, जाफ़रा बाज़ार, गोरखनाथ आदि जगहों पर सेवईयों का बाज़ार सज चुका है। जहां मोटी, बारीक, लच्छेदार के साथ कई वैराइटीज की सेवईयां मौजूद हैं, जो गुणवत्ता और अपने नाम के मुताबिक डिमांड में है। बाहर व आसपास के इलाकों से लोग खरीदारी करने शहर आ रहे हैं।

उर्दू बाज़ार स्थित ताज सेवई सेंटर के मोहम्मद कैस व मोहम्मद आरिफ़ ने बताया कि उनके यहां छड़ व सादी सेवई, छत्ते वाली सेवई, किमामी सेवई, बनारसी, भुनी सेवई, लाल लच्छा, सफेद लच्छा, बनारसी लच्छा, सूतफेनी, रूमाली, दूध फेनी आदि बिक रही है। इस समय सबसे ज्यादा मांग में बनारसी किमामी सेवई है, जो हाथों हाथ खरीदी जा रही है। ईद-उल-फित्र व ईद-उल-अजहा में सेवई की खूब बिक्री होती है। वहीं कुर्बानी के लिए तमाम रंग व नस्ल के बकरे बाजार में बिक रहे हैं।

मकतब इस्लामियात तुर्कमानपुर के शिक्षक कारी मोहम्मद अनस रज़वी ने बताया कि दीन-ए-इस्लाम में कुर्बानी देना वाजिब है। उन्होंने बताया कि बुधवार 28 जून को फज्र की नमाज से लेकर हर फर्ज नमाज के बाद तकबीरे तशरीक बुलंद आवाज से पढ़ी जाएगी। जिसका सिलसिला रविवार 2 जुलाई की असर की नमाज तक जारी रहेगा। जमात से जो नमाज अदा की जाएगी उसमें ही तकबीरे तशरीक पढ़ी जाएगी। नौवीं जिलहिज्जा के फज्र से तेरहवीं के असर तक हर फर्ज नमाज के बाद सभी नमाजियों को एक मर्तबा तकबीरे तशरीक ‘‘अल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर ला इलाहा इल्लल्लाह वल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर व लिल्लाहिल हम्द’ बुलंद आवाज से पढ़ना वाजिब है और तीन बार अफ़जल है। अरफा (9 जिलहिज्जा) के दिन रोजा रखने की बहुत फजीलत हदीस शरीफ में आई है। अरफा इस बार बुधवार 28 जून को पड़ रहा है।

सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफ़रा बाज़ार के इमाम हाफिज रहमत अली ने कहा कि दीन-ए-इस्लाम में दो खास ईदें हैं ईद-उल-फित्र व ईद-उल-अज़हा। ईद-उल-फित्र व ईद-उल-अज़हा के दिन रोजा रखना हराम है क्योंकि यह दिन मेहमान नवाजी का है। यह हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम व हजरत इस्माईल अलैहिस्सलाम की सुन्नत है। जिसे अल्लाह ने इस उम्मत के लिए बाकी रखा। साफ-सफाई अल्लाह तआला को पसंद हैं इसका हर मुसलमान को खास ख्याल रखना चाहिए। कुर्बानी का फोटो व वीडियो न बनाएं और न ही अपने कुर्बानी के जानवर की नुमाइश करें। खास जानवर को खास दिनों में कुर्बानी की नियत से जिब्ह करने को कुर्बानी कहते हैं। जिनके यहां कुर्बानी न हुई हो उनके घर सबसे पहले गोश्त भेजवाएं। जिन पर कुर्बानी वाजिब है वह कुर्बानी जरूर कराएं।

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