अल्लाह तआला के लिए माल के एक हिस्सा का जो शरीयत ने मुक़र्रर किया है किसी फ़क़ीर को मालिक बना देना ज़कात कहलाता है।
ज़कात फ़र्ज़ है इसकी फ़र्जीयत का इनकार करने वाला काफ़िर और ना अदा करने वाला फ़ासिक़, अदायगी में ताख़ीर करने वाला गुनहगार मरदूदुश्शहादा है।
अल्लाह तआला ने इरशाद फ़रमाया:
आयते करीमा (तर्जमा)
और वो (फ़लाह पाते हैं जो) ज़कात देने का काम करते हैं।
📚 पारा 18,सूरह ए मोमिनून, आयत 4, रुकू 17
और इरशाद फ़रमाया:
आयते करीमा (तर्जमा)
और वो के जोड़ कर रखते हैं सोना और चांदी और उसे अल्लाह की राह में खर्च नहीं करते उन्हें खुशख़बरी सुनाओ दर्दनाक अज़ाब की जिस दिन वो तपाया जाएगा जहन्नम की आग में फिर उससे दागेंगे उनकी परेशानियां और करवटें और पीठें ये है वो जो तुमने अपने लिए जोड़ कर रखा था अब चखो मज़ा उस जोड़ने का।
📚 पारा 10, सुरह ए तौबा आयत 34–35 रुकू 11
हदीस शरीफ़:
हुजूर सल्लल्लाहू तआला अलैही वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया:
ज़कात का माल जिसमें मिला होगा उसे तबाह कर देगा।
📚 बैहक़ी, शुएबुल ईमान, जिल्द 3 सफ़ह 273
हदीस शरीफ़:
हुजूर सल्लल्लाहू तआला अलैही वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया:
जो क़ौम ज़कात ना देगी अल्लाह तआला उसे क़हत (गरीबी फ़ाक़े-भुकमरी) में मुब्तिला फ़रमाएगा।
📚 तिबरानी, जिल्द 2 सफ़ह 275
हदीस शरीफ़:
हुज़ूर सय्यदे आलम सल्लल्लाहू तआला अलैही वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया:
जिसके पास सोना चांदी हो और उसकी ज़कात ना दे क़ियामत के दिन उसकी तख्तियां बनाकर जहन्नम की आग में तपायेंगे फिर उससे उस शख्स की पेशानी करवट और पीठ को दागा जाएगा जब वो तख्तियां ठंडी हो जाएंगी फिर उन्हें तपाएंगे, क़ियामत का दिन 50,000 बरस का है यूं ही करते रहेंगे यहां तक के तमाम मख़्लूक़ का हिसाब हो चुके।
📚 कुतुबे हदीस
हदीस शरीफ़:
तुम्हारा खज़ाना क़ियामत के दिन एक गंजा सांप बनेगा उसका मालिक उससे भागेगा और सांप उसको ढूंढता फिरेगा यहां तक के उसको पा लेगा और उसकी उंगलियों को लुक़्मा बनाएगा।
📚 मुसनदे इमाम अहमद बिन हंबल, जिल्द 3 सफ़ह 626
हदीस शरीफ़:
जो शख्स सोने या चांदी के शरई निसाब का मालिक हो और वह उसका हक़ यानी जकात ना अदा करे तो क़ियामत के दिन उसके लिए उस सोने और चांदी की सिलें बनाई जाएंगी और उन्हें आग में तपाया जाएगा फिर आतिशी सिलों से उसके पहलू पेशानी और पीठ को दागा जाएगा और जब वह ठंडी हो जाएंगी तो फिर दोज़ख़ की आग में तपा कर दागा जाएगा और इसी तरह होता रहेगा।
📚 कुतुबे हदीस
हदीस शरीफ़:
हुज़ूर सय्यदे आलम सल्लल्लाहू तआला अलैही वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया:
जिसको अल्लाह तआला माल दे और वह जकात ना अदा करे तो क़ियामत तक वो माल गंजे सांप की शक्ल में कर दिया जाएगा जिसके सर पर दो चित्तियां होंगी वह सांप उसके गले में तौक़ बनाकर डाला जाएगा फिर वह सांप उसकी बांछें पकड़ेगा और कहेगा मैं तेरा माल हूं मैं तेरा खज़ाना हूं इसके बाद आयते करीमा तिलावत फ़रमाई: (आयते करीमा तर्जमा) और जो बुख़्ल करते हैं उस चीज में जो अल्लाह ने उन्हें अपने फ़ज़्ल से दी हरगिज़ उसे अपने लिए अच्छा न समझें बल्के वह उनके लिए बुरा है अनक़रीब वो जिसमें बुख़्ल किया था क़ियामत के दिन उनके गले में तौक़ होगा।
📚पारा 4 सूरह ए आले इमरान आयत 180 रुकू 9 & बहारे शरीअत, हिस्सा 5 सफ़ह 4 & बुख़ारी शरीफ़ जिल्द 1, सफ़ह 188
ज़कात के सिलसिले में मालिके निसाब वह शख्स है जो साढ़े बावन (52.5) तोला चांदी या साढ़े सात (7.5) तोला सोने का मालिक हो या इनमें से किसी एक की क़ीमत के सामाने तिजारत का मालिक हो और ममलूका चीजें हाजते असलिया से ज़ायद और देन कर्ज़ से फारिग़ हों, गेहूं जौ, ज्वार, बाजरा, धान, और हर क़िस्म के गल्ले, अल्सी, अख़रोट बादाम और हर क़िस्म के मेवे रूई, फूल, गन्ना, ख़रबूज़, तरबूज़, खीरा, बैगन, हर क़िस्म की तरकारीयों सब में उशर वाजिब है। तफ़सील बहारे शरीयत वा दीगर कुतुबे फ़िक़्ह में मुलाहिज़ा फरमाएं!
लेखक: अब्दुल्लाह रज़वी क़ादरी, मुरादाबाद यू पी, इंडिया