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हिन्दू युवा वाहिनी की चंगुल से निकली मुस्लिम लड़की की आप बीती सुनकर आपके हो जायेंगे रोंगटे खड़े

उत्तर प्रदेश; मेरठ: 10 मार्च 2019 यह वह दिन था जब उत्तर प्रदेश के मेरठ ज़िले की रहने वाली एक मुस्लिम लड़की भागती हुई और हांपती कांपती डर से थरथराती हुई थाने पहुंची जहाँ इत्तेफ़ाक़ से महमूद कुरैशी साहब अपना पद भार संभाल रहे थे। जैसे ही लड़की थाने के अंदर ऐसी स्तिथि में प्रवेश की वहां मौजूद सिपाही इंद्रेश सिंह ने उसे रोक लिया और कुछ पूछताछ के बाद उसे अंदर आने दिया।

पीएसआई महमूद कुरैशी के पास पहुंचने पर उन्होंने लड़की की बदहवासी देखते हुए उसे पहले तो बैठने बोला फिर पानी का एक गिलास उनके सामने कर दिया । मैं अपनी पत्रकारीयता के काम से महमूद साहब के पास ही मौजूद था । लड़की को हौसला देने के बाद महमूद साहब ने लड़की से उसका नाम पूछा तोह लड़की ने अपना नाम सोनी परवीन बताया । मज़ीद हालात मालूम करने के लिए के आखिर वह इतनी डरी और सहमी हुई क्यों है पूछा तोह लड़की ने बताया की वह किसी हिंदुत्व संस्था के चंगुल से भाग कर आ रही है। महमूद साहब ने कहा डरो नहीं और तफ्सील से बताओ की बात किया है जिसके बाद लड़की ने अपनी सारी आपबीती सुनाई।

10 अगस्त 2017 की बात है जब वह गोरखपुर यूनिवर्सिटी में अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन कर रही थी तब उसे एक लड़के से प्यार हो गया था । लड़का हिन्दू समुदाय से था और वह स्कॉलरशिप से लेकर किताबों के लेनदेन में मेरी हर तरह से मदद किया करता था। वह अक्सर कॉलेज की कैंटीन में मुझसे मिलकर मेरी ज़रूरत के बारे में पूछता और मौका मिलते ही मेरी तारीफ करने लगता, पहले तोह मैं ने उसे साफ़ कहा की उसे मेरी मदद करने की कोई ज़रूरत नहीं और वह अपनी ज़रूरत का ख्याल खुद रख सकती है पर असल में घर के हालात ऐसे नहीं थे की मैं अपनी पढ़ाई के सारे खर्चे उठा पति और कभी कभी मेरे पास इतने पैसे भी नहीं होते थे की मैं किताबें खरीद पाती लिहाज़ा ऐसे समय में वह मेरी ज़रूरतें पूरी किया करता था और मुझे चाहते ना चाहते उसकी मदद लेनी पड़ती थी। आहिस्ता आहिस्ता उसकी भागीदारी से मैं भी प्रभावित होने लगी थी क्योंकि वह मेरी हर तरह से मदद किया करता था।

31 दिसंबर नववर्ष के मौके पर उसने मुझे एक कार्ड दिया और कहा की मेरे जाने के बाद इसे खोलकर देखना और अगर सही लगे तोह मुझे कॉल करना, मैं तुम्हारे कॉल का इंतज़ार करूँगा यह कहकर वह वहां से चला गया ।
जब मैं ने कार्ड खोला तोह लिफाफे में कुछ गुलाब की पंखुड़ियां थीं और अंदर एक कार्ड था जिसमें उसने बड़े शायराना अंदाज़ में मुझे प्रोपोज़ किया था । पहले तो मैं सोची के लड़का दूसरी धर्म का है फिर सोचा की कहाँ मैं पढ़ लिख कर इन दकियानूसी बातों में पड़ रही हूँ । इतना मुझे मानता और चाहता है की मेरी हर ख़ुशी पूरी करने में कोई कसर नहीं छोड़ता । वह मुझे इतना प्यार करता है यह सोचकर मैं ने उसे मैसेज करके अपनी हाँ का इज़हार कर दिया और फिर हम मिलने लगे।

इसके बाद उसने मुझसे शादी के बारे में कहा तोह मैं ने कहा की मैं घर में बात करुँगी जिसपर उसने कहा की और अगर वह लोग नहीं माने तोह किया तुम मुझे छोड़ दोगी, मैं ने कहा की मैं उन्हें मना लुंगी और अगर नहीं माने तोह तुम्हारे साथ भाग कर शादी करलूँगी बाद में उन्हें एक्सेप्ट करना ही होगा। फिर मैं ने घर में लड़के के बारे में अम्मी से बात की तोह अम्मी ने साफ़ मना कर दिया और अब्बू से बता दिया जिसके बाद मुझे काफी कुछ सुन्ना पड़ा और मेरा घर से निकलना बंद हो गया और मैं उनको अपना दुश्मन समझने लगी। अम्मी ने मुझे कई बार समझाने की कोशिश की पर मैं उनकी बातों को सीरियस ही नहीं लेती थी।

20 जनुअरी 2018 को मैं ने किसी तरह राकेश को कांटेक्ट क्या उसने मुझे घर से भाग जाने की सलाह दी साथ ही कहा की घबराओ मत इस काम में उसकी मदद मेरी संस्था की अंशुका वर्मा करेगी । वह तुम्हारी अम्मी को फ़ोन करके बोलेगी की मैं रशीदा बोल रही हूँ सोनी की सहेली, उसके इम्तिहान की रूटीन आ गई है तोह वह आकर लेले क्योंकि मेरे पास वहां आने के लिए समय नहीं है । फिर मैं ने वैसा ही क्या अंशुका का फ़ोन अम्मी के मोबाइल पर आया जो मैं ने पहले ही राकेश को इसके लिए दे रक्खा था। अंशुका ने वैसा ही कहा और अम्मी ने आकर मुझे बताया की तुम्हारी सहेली रशीदा का फ़ोन आया था लिहाज़ा इम्तिहान की रूटीन लेकर फ़ौरन अब्बू के वापस लौटने से पहले लेकर आ जाना । मैं ने जी बोलकर घर से निकली और राकेश के साथ भाग गई जो कुछ दुरी पर मेरा इंतज़ार कर रहा था, फिर वह मुझे कुछ किलोमीटर का फासला तै करके एक संस्था में ले गया जहाँ कुछ लोग कीर्तन और भजन कर रहे थे और मुझे वहां बैठा कर कहा के तुम यहाँ बैठो मैं सारा इंतज़ाम करके आता हूँ फिर वह वहां से चला गया

वहां मौजूद भगवाधारी पुरुष और महिलायें मुझे घूरने लगे और राकेश को आँखों से इशारा करके जैसे अपनी ख़ुशी का इज़हार किया जो मैं समझ नहीं पाई फिर वह चला गया और मैं वहां उनके बीच अकेली रह गई। तक़रीबन आधे घंटे बाद उनका कीर्तन, भजन और कथा ख़त्म हुआ और उनमें से एक महिला मुझे लेकर कमरे में गई और बताया की तुम यहाँ आराम से रहो और किसी तरह की चिंता मत करना, कल तुम्हारी शादी राकेश के साथ पास वाले शिव मंदिर में हो जाएगी फिर तुम दोनों ख़ुशी से रहना और हाँ तुम्हें हमारे धर्म के प्रति श्रद्धा रखनी होगी, हर सुबह और शाम यहाँ कथा होगी उसमें तुम्हें प्रस्तुत रहना है। लिहाज़ा मैं ने सर हिला कर जवाब दिया। शादी से पहले मेरा नामकरण किया गया और मुझे सोनी से सोनालिका बना दिया गया।

अब मैं सोनालिका हो चुकी थी । मैं फिर भी खुश थी की मुझे मैं ने जिसे प्यार किया था मुझे मिल गया । दूसरे दिन राकेश और उनके साथ भगवा धारण किये हुए कुछ लोग मुझे मंदिर ले गए और मेरी शादी करवा दी गई । वह पहली रात मेरे साथ अच्छे से पेश आया पर वह पहला दिन था जब राकेश ने हमारे धर्म इस्लाम के प्रति अपनी कड़वाहट ज़ाहिर । मैं हर रोज़ सभा में जाया करती थी जहाँ हिन्दू औरतों को इस्लाम धर्म के बारे में बुराइयां बताई जाती थीं वह बातें जो आज तक मैं ने महसूस नहीं की थी। अब मुझे एक पुस्तक दी गई जो भगवा रंग में रंगी हुई थी और ऊपर की जिल्द पर माँ भवानी की तस्वीर छपी हुई थी । राकेश से शादी किये हुए तक़रीबन एक हफ्ते बीत गए थे और अब तक मैं उस संस्था के एक कोने में एक कमरे में पड़ी हुई थी । मैं ने एक दिन राकेश से कहा की वह अपने परिवार से कब मिलवा रहे हैं और कब अपने घर ले जा रहे हैं। वह हमेशा कोई न कोई बहाना बनाकर टाल दिया करता।

दो हफ्ते गुजरने के बाद उसका संस्था में आना कम सा हो गया । वहां हर रोज़ जो शाखा लगती उसमें वह शामिल होता बाद में वहां से चला जाता । धार्मिक कटटरपंथ और इस्लाम विरोधी बातों और नफरत भरे माहौल में अब मेरा दम घुटने सा लगा था। एक दिन राकेश रात में मेरे पास आया, वह शराब के नशे में धुत था और उसके मुंह से बहुत गन्दी बदबू आ रही थी । मैं ने उसे खुद से दूर रहने के लिए कहा तोह उसने अपना असली चेहरा दिखाना शुरू किया । उसने मुझे गन्दी गन्दी गालियां दिन और मुझे बेल्ट निकल कर मारने लगा । मेरी दर्द भरी चीखें बहार तक जा रही थी पर कोई भी मुझे बचाने नहीं आया फिर उसने मेरी इज़्ज़त की धज्जियां उधेड़ना शुरू कर दी । उसका यह रूप देख मैं सहम गई । थोड़ी देर ही हुई थी के वह कमरे से बाहर गया और वहां मौजूद भगवा कपडे पहने हुए कुछ पुजारी किस्म के लोग मेरे कमरे में जबरन दाखिल हो गए और मुझे उनका शिकार बनना पड़ा । उन्होंने मुझे खुद नोचा और हैवानियत की साड़ी हदें तार तार कर दीं । मुझे गालियां देते और मुझ पर हँसते ।

दूसरे दिन मैं दर्द के मारे बिलबिला रही थी, मेरा सर दर्द से फटा जा रहा था, मैं अपनी इज़्ज़त गँवा चुकी थी और अब मेरे पास कुछ नहीं बचा था । मैं यह सोच रही थी की मैं ने यह क्या किया । यह संस्था हिन्दू युवा वाहिनी का था जिसके करीब आरएसएस की संस्था भी मौजूद थी जहाँ शाखा लगा करती थी। मैं फूट फूट कर रोने लगी । बाद में पता चला के जिस से मैं ने शादी की थी वह एक छलावा था और उसका काम ही यही था की वह मुस्लिम लड़कियों को फांसी, शादी करे और उसकी इज़्ज़त रौंद कर कहीं का ना छोड़े फिर लड़की के पास कोई रास्ता नहीं रह जाता के वह वापस लौट पाए। इस काम के लिए संस्था उन्हें हर महीने हज़ारों रूपये दिया करती है और लड़की मिलने पर उसे उपहार देने के लिए भी पैसे दिए जाते हैं ।

अब मेरी स्तिथि दर्दनाक हो गई थी । वहां के पुजारी, और भगवा धरी लोग जब चाहते मेरे कमरे में चले आते और मेरे साथ दुष्कर्म किया करते। मेरे आस पास पहरे लगा दिए गए और मुझे बन्दुक दिखा कर धमकाया गया की भूल से भी यहाँ से भागने की कोशिश मत करना नहीं तोह ख़तम कर देंगे । मुझे मुल्ली कह कर गालियां दी जाती थी । खाने के नाम पर बसी बची हुई रोटियां दी जाने लगी। वहां मौजूद औरतें मुझे देख कर कहती की तुम मुल्लों के साथ ऐसा ही होना चाहिए। तुम अपना धर्म परिवर्तन करके मेरा धर्म स्वीकार करलो और मेरे धर्म का प्रचार तथा इस्लाम धर्म की बुराई किया करो तो तुम ऐश करोगी।

फिर मुझे एक तरकीब सूझी मैं ने कहा की ठीक है मैं कर लूँगी लेकिन मुझे पहले उन सभाओं में लेकर चलो जो आसपास में होती है ताकि मैं हिन्दू धर्म को करीब से जान सकूँ फिर किया था जैसे उनके चेहरे पर मुस्कान खिल गई और दूसरे दिन उन्होंने मुझे भगवा कपडे पहना कर एक राम कथा में लेकर गई जहाँ मर्द और औरतें राम नाम का जाप कर रहे थे और मुसलमानो को गालियां दे रहे थे । मैं वहां एक कोने में बैठ गई और कुछ देर बाद मैं ने बाथरूम का बहाना बनाया जो वहां संस्था में गेट के पास ही था । मैं उठकर गेट की तरफ गई तो इत्तेफ़ाक़ से गेट पर कोई सिक्योरिटी मौजूद नहीं था । हालात का फायदा उठा कर मैं बदहवासी में वहां से भागी और थोड़ी देर भागने पर मुझे एक ऑटो मिला जो एक मुस्लिम था, उसने मुझसे रास्ते में पूछा तो मैं ने उन्हें सारा दास्ताँ बताया फिर वह मुझे यहाँ तक लेकर आये।

कुरैशी साहब ने सारा वाक़ेअ सुना और फिर एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई करने का भरोसा दिया फिर उन्होंने लड़की से उसके घर का नंबर लेकर उसकी अम्मी और अब्बू को थाने बुलवाया । अम्मी अब्बू के थाने आने पर वह उनसे लिपट कर खूब रोई और उनसे माफ़ी मांगने लगी । लड़की के वालिद ने तसल्ली दी और घर लेकर गए । इसतरह से ना जाने कितनी मुस्लिम लड़कियों को यह भगवाधारी संस्था के लोग अपना शिकार बनाते हैं । ज़रूरी है की अपनी लड़कियों को जागरूक करें और उन्हें आज के हालात से आगाह करें ।

लेख: Rifa Fatema

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2 thoughts on “हिन्दू युवा वाहिनी की चंगुल से निकली मुस्लिम लड़की की आप बीती सुनकर आपके हो जायेंगे रोंगटे खड़े

  1. Masla. Islam ka nahi ki islam Prem karta hai ki nahi, Sabha dharm bura na karne ki Salah hi dete hain.
    Ye Kaisa ittefak hai ke poori dunia me ek hi dharm ki aurton ko Devi Mana jata hai aur ek doosre samudaye ke apne hi log unhi deviyon ko pashu ki tarah istemal karate hain.

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