गोरखपुर

जरूरत पड़ने पर रोज़ेदार खून दे सकता है: उलमा-ए-किराम

गोरखपुर। उलमा-ए-अहले सुन्नत द्वारा जारी रमज़ान हेल्प लाइन नंबरों पर बुधवार को सवाल-जवाब का सिलसिला जारी रहा। लोगों ने नमाज़, रोज़ा, जकात, फित्रा आदि के बारे में सवाल किए। उलमा-ए-किराम ने क़ुरआन व हदीस की रोशनी में जवाब दिया।

सवाल : प्रोविडेंट फंड पर जकात है या नहीं? (नसीम, दीवान बाज़ार)
जवाब : हां। अगर यह रकम निसाब को पहुंच जाए तो साल बसाल जकात अदा करनी पड़ेगी। (मुफ्ती मेराज अहमद क़ादरी)

सवाल : रोजे की हालत में खून देना कैसा? (सद्दाम हुसैन, मौलवी चक)

जवाब : सख्त मजबूरी में जबकि जान का खतरा हो रोज़े की हालत में भी खून देना जायज है, मगर इतना खून देना जिससे कमज़ोरी महसूस हो मकरुह है। (मुफ्ती अख़्तर हुसैन)

सवाल : रोजे की हालत में आंख में दवा डालना कैसा? (निशात, सूफीहाता)
जवाब : रोजे की हालत में आंख में दवा डालना जायज है, इससे रोजा नहीं टूटेगा, अगरचे उसका जायका हलक में महसूस हो। (मुफ्ती मोहम्मद अजहर शम्सी)

सवाल : रोजे की हालत में जख्म पर मरहम या दवा लगा सकते हैं? (आबिद, पिपरापुर)
जवाब : हां। लगा सकते हैं। (हाफ़िज़ रहमत अली)

सवाल : इंजेक्शन के ज़रिए खून निकाला या चढ़ाया गया तो वुजू टूट जाएगा? (मेहताब, खूनीपुर)
जवाब : हां। वुजू टूट जाएगा। (मौलाना बदरे आलम निज़ामी)

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