हम अहले सुन्नत वल जमात को परवाह नहीं है कि सऊदी अरब की सरकार कितनी रकअत तरावीह पढ़ रही है। पहले 20 रकअत पढ़ी गईं। अब 10 रकअत पढ़ी जाने लगी हैं।
सऊदी अरब में, नाच-गाना सिनेमा, कैसीनो और अय्याशीयों को इस तरह से अंजाम दिया जा रहा है कि इस्लामिक सल्तनत में सोचा ही नहीं जा सकता है। सऊदी अरब एक तथाकथित इस्लामिक सल्तनत बन कर रह गया है। अब उसने तरावीह की नमाज 20 रकअत को कम करके 10 रकअत करना शुरू कर दिया है। हिन्द-पाक बांग्लादेश सहित पूरी दुनिया में तरावीह की 20 रकअत पढ़ी जाती हैं। और सउदी अरब में भी 20 रकअतें पढ़ी गई हैं। अब ये सऊदी अरब की हुकूमत कह रही है कि 10 रकअत पढ़नी चाहिए।
जिससे अब लोगों के बीच यह नया फ़ितना उठेगा और इस्लामी दुनिया में लोगों में मतभेद होगा कि मक्का मदीना में अगर तरावीह की 10 रकअत पढ़ी जाती हैं तो हमें भी 10 रकअत करनी चाहिए। इसलिए हम सऊदी अरब के शासकों से मांग करते हैं कि तरावीह की केवल 20 रकअत पढ़ी जानी चाहिए ताकि शरिया का पालन किया जा सके और शांति और व्यवस्था बनी रहे और लोगों का दिल न टूटे।