“3 बार पढ़ो 1 क़ुरआन पढ़ने का सवाब”
लेखक: जावेद शाह खजराना
दोस्तों क़ुरआन शरीफ़ 114 सूरतों से मिलकर बना है।इन 114 सूरतों में आप लोगों को बहुत-सी सूरतें मुंह जुबानी याद होगी। अक्सर हमें मालूम ही नहीं पड़ता कि क़ुरआन शरीफ़ की तक़रीबन 15 से 25 छोटी सूरतें हमें याद है। इसके अलावा बहुत-से लोग इन सूरतों की फजीलतों से भी वाकिफ भी नहीं रहते।
अगर आप सुरहों के नाम और फज़ीलत जान जाए तो कसम से ना जाने कितनी नेकियाँ और दुनियावी फ़ायदें बटोर ले।
ऐसी ही एक सूरह है ‘सूरतें इख्लास’
जिसे आप और हम ‘कुल हु वल्लाह अहद’ से आसानी से समझ जाते है।
इख्लास के मायने शुद्ध /ख़ालिस/Pure होते हैं। इस सूरह में ख़ालिस अल्लाह की शान बयान की गई है। इसमें तौहीद है । जिसकी बुनियाद पर इस्लाम है। इसलिए इसकी बहुत अहमियत है।
इस सूरह को याद करना बहुत ही आसान है। ये क़ुरआन की सबसे अहम और छोटी सूरतों में से एक है। इस सूरह में सिर्फ 4 आयातें (लाईन) है।
जिसने सूरे इख्लास पढ़ ली समझो उसने एक तिहाई क़ुरआन पढ़ लिया। इसमें तौहीद के बारे में बयान किया गया है। (3 बार पढ़ने से क़ुरआन शरीफ पढ़ने का सवाब)
(सही मुस्लिम हदीस नम्बर 1886)
एक मर्तबा प्यारे नबी ने एक सहाबी को सूरे इख्लास पढ़ते हुए सुना।
प्यारे आका ने फरमाया- ‘वाजिब हो गई।’
हजरत अबु हुरैरा उस वक़्त वहां मौजूद थे।
उन्होंने पूछा – ‘या रसूल अल्लाह क्या वाजिब हो गई?’
रसूलअल्लाह ने कहा- सूरे इख्लास पढ़ने पर जन्नत वाजिब हो गई बशर्ते ये शख्स इस कलमे के मुताबिक पूरी ज़िंदगी गुज़ारे। यानि अल्लाह की जात में किसी को शरीक ना करें और तौहीद पर अमल करें।
(सही मुस्लिम/बुखारी हदीस नम्बर 3220)
सुभान अल्लाह!!!
दोस्तों सूरे इख्लास को पढ़ने और उस पर अमल करने से जन्नत वाजिब हो जाती है । ये तो हदीस से भी साबित है।
जो सूरे इख्लास 10 मर्तबा पढ़ता है अल्लाह उसके लिए जन्नत में घर बना देता है।(मरहबा)
(मुसवद हदीस नम्बर 8869 )
दोस्तों सूरे इख्लास की ऊपर लिखी तमाम फजीलतें मैंने हदीस से बयान की हैं और उसमें हदीस का हवाला भी दिया है। ये बातें मनघडंत नहीं है।
रमज़ान शरीफ चल रहे है। इस मुबारक़ महीने में क़ुरआन के एक-एक लफ्ज़ पढ़ने का सवाब 70 गुना बढ़ जाता है। अगर सूरे इख्लास 3 मर्तबा पढ़ी तो एक क़ुरआन के बदले इंशा अल्लाह 70 क़ुरआन का सवाब मिलेगा।
अल्लाह मुझे और आपको दीन को समझने , अमल करने और इसे फैलाने की नेक तौफीक अता फ़रमाए।