गोरखपुर

माह-ए-रमज़ान: तरावीह की नमाज़ के लिए हाफ़िज़ व वक्त मुकर्रर

गोरखपुर। माह-ए-रमज़ान अनकरीब आने वाला है। 3 या 4 अप्रैल से रोजा शुरू हो जाएगा। रमज़ान के स्वागत की तैयारियां चल रही हैं। रमज़ान में तरावीह नमाज़ का विशेष महत्व है। तरावीह में बीस रकात नमाज़ अदा की जाती है। तरावीह की नमाज़ में हाफ़िज़ पूरा क़ुरआन-ए-पाक सुनाते हैं। शहर व देहात की हर छोटी-बड़ी मस्जिदों में तरावीह की नमाज़ विशेष रूप से अदा की जाती है। ज्यादातर मस्जिदों के लिए हाफ़िज़-ए-क़ुरआन मुकर्रर (तय) हो चुके हैं। शहर की मस्जिदों में तरावीह की नमाज़ रात 8:15 से 8:45 बजे के बीच शुरू होगी।

यह पढ़ायेंगे तरावीह की नमाज़

हाफ़िज़ मो. आरिफ़ रज़ा इस्माईली, हाफ़िज़ रहमत अली निज़ामी, हाफ़िज़ मो. औरंगज़ेब, हाफ़िज़ महमूद रज़ा क़ादरी, हाफ़िज़ अयाज, हाफ़िज़ मो. अशरफ, हाफ़िज़ मो. मोइनुद्दीन निजामी, हाफ़िज़ शादाब आलम, हाफ़िज़ अफजल, हाफ़िज़ मो. शहीद रज़ा, हाफ़िज़ मिनहाजुद्दीन, हाफ़िज़ मो. वहाजुद्दीन, मौलाना सद्दाम हुसैन निज़ामी, हाफ़िज़ मो. मुजम्मिल रज़ा, हाफ़िज़ शमसुद्दीन, हाफ़िज़ शराफत हुसैन क़ादरी, हाफ़िज़ मोहसिन रज़ा, हाफ़िज़ सद्दाम हुसैन, हाफ़िज़ आमिर हुसैन निजामी, हाफ़िज़ मो. फुरकान, हाफ़िज़ अब्दुल अज़ीज़, हाफ़िज़ अमीर हम्ज़ा, हाफ़िज़ हसन रज़ा आदि तरावीह की नमाज़ पढ़ाने के लिए तैयारियों में लगे हुए हैं। क़ुरआन-ए-पाक दोहराया जा रहा है ताकि नमाज़ में कोई आयत छूटने न पाए। तरावीह की नमाज़ में उन्हें नमाज़ियों को पूरा क़ुरआन-ए-पाक सुनाना है।

तरावीह की नमाज़ सुन्नते मुअक्कदा है : मुफ्ती मेराज

मुफ्ती मेराज अहमद क़ादरी (खतीब व इमाम मदीना जामा मस्जिद रेती चौक) ने बताया कि तरावीह की नमाज़ मर्द व औरत सबके लिए सुन्नते मुअक्कदा है। उसका छोड़ना जाइज नहीं। तरावीह की नमाज़ 20 रकात है। तरावीह की नमाज़ पूरे माह-ए-रमज़ान में पढ़नी है। रमज़ान में तरावीह नमाज़ के दौरान एक बार खत्मे क़ुरआन करना सुन्नत है। दो बार खत्म करना अफ़ज़ल हैं। तीन बार क़ुरआन मुकम्मल करना फज़ीलत माना गया है। फिक्ह हनफ़ी के मुताबिक औरतों का जमात से नमाज़ पढ़ना जायज नहीं है। वह घर में ही तन्हा-तन्हा तरावीह की नमाज़ पढ़ेगी। माह-ए-रमज़ान में हर रोज जन्नत को सजाया जाता है। रोजेदारों की दुआएं कबूल होती हैं।

रमज़ान में उतरा क़ुरआन : मुफ्ती अख़्तर

मुफ्ती अख्तर हुसैन मन्नानी (मुफ्ती-ए-शहर) ने बताया कि रमज़ान में न सिर्फ बंदों पर रोजे फर्ज किए गए बल्कि अल्लाह पाक ने सारी आसमानी किताबें रमज़ान के महीने में उतारी। क़ुरआन-ए-पाक इसी माह में नाज़िल हुआ। क़ुरआन-ए-पाक का हक़ है कि बंदे उसकी तिलावत करें और उसके हुक्म के मुताबिक ज़िंदगी गुजारें।

यहां इतने दिनों में मुकम्मल होगा एक क़ुरआन

मदरसा दारूल उलूम हुसैनिया दीवाना बाज़ार – 07 दिन

लाल जामा मस्जिद गोलघर, हज़रत मुबारक खां शहीद मस्जिद नार्मल – 10 दिन

3.हुसैनी जामा मस्जिद बड़गो – 11 दिन

नूरानी मस्जिद तरंग क्रासिंग हुमायूंपुर उत्तरी- 12

मरकजी मदीना जामा मस्जिद रेती चौक, नूरी जामा मस्जिद अहमदनगर चक्शा हुसैन, क़ादरिया मस्जिद निकट कोतवाली नखास चौक, सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफ़रा बाजार, बेलाल मस्जिद इमामबाड़ा अलहदादुपर, मदरसा अंजुमन इस्लामिया के पीछे वाली मस्जिद खूनीपुर, कलशे वाली मस्जिद मिर्जापुर, मुकीम शाह जामा मस्जिद बुलाकीपुर, अक्सा मस्जिद शाहिदाबाद हुमायूंपुर उत्तरी- 15 दिन

गॉर्डन हाउस मस्जिद जाहिदाबाद गोरखनाथ – 17 दिन

सुब्हानिया जामा मस्जिद सूर्यविहार कॉलोनी तकिया कवलदह – 20 दिन

रज़ा मस्जिद जाफ़रा बाज़ार, चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर, मस्जिदे जामे नूर जफ़र कालोनी बहरामपुर, गाजी मस्जिद गाजी रौजा, गौसिया जामा मस्जिद छोटे काजीपुर, बहादुरिया जामा मस्जिद रहमतनगर, काजी जी की मस्जिद इस्माइलपुर, मियां बाज़ार पूरब फाटक मस्जिद – 21 दिन

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