गोरखपुर दिल्ली शिक्षा

मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षकों का जंतर-मंतर पर धरना आज

मदरसों में विज्ञान-गणित-अंग्रेजी पढ़ाने वाले शिक्षकों को 57 महीनों से मानदेय नहीं दे रही है सरकार

गोरखपुर। केंद्र पुरोनिधानित मदरसा (एसपीएमएम) आधुनिकीकरण योजना के तहत प्रदेश के मदरसों में विज्ञान, गणित, हिंदी, अंग्रेजी पढ़ाने वाले शिक्षकों को 57 माह से मोदी सरकार मानदेय नहीं दे रही है। जिससे नाराज मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षक अल्पसंख्यक अधिकार दिवस पर 18 दिसम्बर से नई दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना- प्रदर्शन करेंगे।

उप्र के 6726 मदरसों में केंद्र पुरोनिधानित मदरसा आधुनिकीकरण योजना संचालित है। यह योजना वर्ष 1993 में कांग्रेस की नरसिम्हा सरकार ने शुरू की थी। इस योजना के तहत 30,000 शिक्षकों की नियुक्ति हुई जो मदरसों में विज्ञान, हिंदी, गणित, अंग्रेजी, सामाजिक विज्ञान, कम्प्यूटर की शिक्षा वर्ष देते चले आ रहे हैं। पहले हर मदरसे में दो शिक्षकों की नियुक्ति हुई जिसे दो बार में बढाकर चार कर दिया गया। ये शिक्षक पांच वर्ष की संविदा पर रखे गए।

योजना के तहत केंद्र सरकार स्नातक शिक्षक को 6 हज़ार रुपये और स्नातकोत्तर शिक्षक को 12 हज़ार रुपये देती है। राज्य सरकार स्नातक शिक्षक को 2 हज़ार रुपये और स्नातकोत्तर शिक्षक को 3 हज़ार रुपये अलग से देती है।

मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षकों ने बताया कि मोदी सरकार के सत्ता में आते ही इस योजना पर हमले शुरू हो गया। वर्ष 2018 में चौथे शिक्षक के रूप में रखे गए शिक्षकों को संविदा समाप्त होते ही नौकरी से हटा दिया गया। तमाम आन्दोलन के बाद भी उन्हें वापस नहीं लिया गया। उत्तर प्रदेश में ऐसे करीब सात हजार शिक्षकों की नौकरी गई।

इसके पूर्व से केंद्र सरकार ने शिक्षकों का मानदेय देना बंद कर दिया। मोदी सरकार ने पिछले 57 माह से मानदेय नहीं दिया है। मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षक प्रदेश सरकार से मिलने वाले दो हजार और तीन हजार के मानदेय पर गुजरा करने को विवश हैं। यह मानदेय भी उन्हें नियमित रूप से नहीं मिलता है।

शिक्षक मोहम्मद आज़म ने बताया कि अभी हाल में ही उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद के अध्यक्ष डॉ. इफ्तिखार अहमद जावेद जिले में आए थे, तो उनके सामने शिक्षकों की समस्या उठी थी। उन्हें ज्ञापन सौंपा गया था। उन्होंने भी आश्वासन दिया।

मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षक एकता समिति के प्रदेश महासचिव सुनील कुमार सिंह ने बताया कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार / अल्पसंख्यक मंत्रालय भारत सरकार द्वारा संचालित (SPEMM) योजनान्तर्गत कार्यरत मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षकों के वेतन का 57 माह से केंद्राश भुगतान नहीं किया गया है जिससे मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षकों को भुखमरी का सामना करना पड़ रहा है तथा 100 से अधिक मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षकों की गंभीर बीमारी एवं भुखमरी के कारण दर्दनाक की मृत्यु हो चुकी है। इस सम्बन्ध में केन्द्र एवं राज्य सरकार समेत सभी सम्बन्धित अधिकारियों कर्मचारियों एवं प्रशासन को समय-समय पर अवगत कराते हुए प्रधानमंत्री के भी संज्ञान मे लाया जा चुका है फिर भी अब तक 57 माह के बकाया वेतन/केंद्राश मानदेय का भुगतान नहीं किया जा रहा है।

शिक्षिका गौसिया सुम्बुल ने कहा कि मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षकों पर मदरसों में हिन्दी, विज्ञान, गणित, सामाजिक विज्ञान, अंग्रेजी पढ़ाने का दारोमदार हैं। शिक्षक दिल्ली से लेकर लखनऊ तक गुहार लगा चुके हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। रोजी-रोटी, चिकित्सा समेत तमाम दुश्वारियों से दो चार होना पड़ रहा है। 57 माह से मानदेय नहीं मिलने से मदरसा शिक्षकों के सामने रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है। हमारी मांग है कि मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षकों का बकाया मानदेय जल्द दिया जाए, उन्हें स्थायी किया जाय, केंद्र सरकार के बराबर उप्र सरकार द्वारा अंशदान दिया जाए, प्रतिमाह मानदेय दिए जाने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए और केंद्र व प्रदेश सरकार का मानदेय एक साथ दिया जाय।

जमुनहिया बाग गोरखनाथ के रहने वाले शिक्षक आसिफ महमूद खान का बच्चा थैलीसीमिया बीमारी से पीड़ित है। दो माह में तीन बार उसे खून चढ़ाया जाता है। इनके बेटे को को पैदाइश के पांचवें माह में मेजर थैलीसीमिया जैसी बीमारी ने चपेट में ले लिया। उन्होंने बताया कि 57 माह से केंद्र सरकार ने मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षकों का मानदेय नहीं भेजा है। ऐसे में बच्चे का इलाज कराने में काफी परेशानी हो रही है। बच्चे को दो माह में तीन बार खून चढ़ता है। हर बार ढ़ाई से तीन हजार रुपया खर्च होता है। प्रदेश सरकार द्वारा मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षकों को दिया जाने वाला राज्यांश भी नियमित रूप से नहीं मिला है। ऐसे में इलाज व घर का खर्चा चलाना मुश्किल होता है। वहीं बेटे की बीमारी पर काफी खर्च होता है। काफी कर्जदार हो गया हूं।

शिक्षक नवेद आलम ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा संचालित मदरसा आधुनिकीकरण योजना जब से शुरू हुई है तब से सरकार माहवार मानदेय देने की व्यवस्था तक सुनिश्चित नहीं कर सकी है। जिले में करीब 163 के आस-पास मदरसे केंद्र सरकार द्वारा संचालित मदरसा आधुनिकीकरण योजना के तहत आच्छादित हैं। इसमें करीब 489 शिक्षक कार्यरत हैं। सरकार कई बार मदरसों की जांच करवा चुकी है। मदरसा शिक्षकों ने हर बार जांच में पूरा सहयोग किया इसके बाद भी मानदेय रोके जाने से शिक्षक आक्रोशित हैं।

मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षक एकता समिति के प्रदेश सलाहकार इसरार अहमद इदरीसी ने कहा कि मानदेय भुगतान हेतु कोई भी कार्यवाही न करना यह दर्शाता है कि शासन में उच्च पदों पर आसीन अधिकारियों की नज़र में प्रधानमंत्री के विजन की कोई अहमियत ही नहीं है। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से तत्काल इसका संज्ञान लेकर सम्बन्धित शासन के अधिकारियों-कर्मचारियों पर कार्यवाही किए जाने की अपेक्षा की है |

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