संतकबीर नगर

हर्ष व उल्लास से मनाया गया हज़रत सूफ़ी निज़ामुद्दीन अ०र० का 9वॉ उर्स ए पाक

भारत के प्रसिद्ध सूफी बुजुर्ग एवं इस्लामिक विद्वान हजरत सूफी मुहम्मद निजामुद्दीन बरकाती का नौंवा उर्स-ए पाक सोमवार को अगया स्थित खानकाहे निजामिया पर आयोजित हुआ।
हजरत सूफी निजामुद्दीन एक बड़े आलिम-ए-दीन और सूफी बुजुर्ग के रूप में प्रसिद्ध थे। देश के विभिन्न प्रांतों, पाकिस्तान, बांग्लादेश एवं खाड़ी देशों में उनके अनुयाई बड़ी संख्या में मौजूद हैं। हर वर्ष उनका वार्षिक उर्स भव्य रूप में मनाया जाता है जिसमें देश के विभिन्न प्रांतों से श्रद्धालु पहुंचते हैं।
सज्जादह नशीन हजरत मुफ्ती हबीबुर्रहमान साहब ने श्रद्धालुओं से कोविड-19 की गाईड का पालन करते हुये उर्स में आने की अपील की थी।

अरबी शिक्षा जगत को हजरत सूफी साहब ने एक नया आयाम दिया। सूफी साहब ने शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सैकड़ों मदरसों का शिलान्यास किया।अमनों शांति के प्रतीक सूफी साहब की किताबों को पढ़ कर लोग अमन व शांति का संदेश दे रहे हैं। पूरी जिन्दगी अपने अमल व किरदार से सीधा रास्ता दिखाने का कार्य किया।
हजरत सूफी निजामुददीन साहब के पौत्र मौलाना जियाउल मुस्तफा निजामी ने बताया हमारे दादा खतीबुल बराहीन अलहाज अश्शाह हजरत सुफी निजामुद्दीन मुहद्दिस बस्तवी पूरी जिन्दगी शिक्षाा को बढावा देने के लिए सैकड़ों मदरसे की स्थापना किया।अपनी कलम व जुबान से समाज को एक अच्छा रास्ता दिखाते रहे। उन्होंने बताया कि हमारे दादा खतीबुल बराहीन हजरत सुफी निजामुद्दीन मुहद्दिस बस्तवी का जन्म सेमरियावाँ के अगया में 15 जनवरी 1928 को हुआ था। घर पर प्रारम्भिक शिक्षा लेने के बाद 1947 में आगे की शिक्षा बसडीला में लिया। उच्च शिक्षा के लिए 1948 में अल्जामीयतुल अशरफिया मुबारकपुर से लिया।मुबारकपुर में शिक्षा लेने के बाद 1952 में हजरत की दस्तार बंदी हुइ। जन्म से ही सीधे व सरल स्वभाव के होने के कारण इनका नाम सूफी पड़ गया।हजरत सूफी निजामुद्दीन शिक्षा को बढ़ावा देते हुए 14 मार्च 2013 को पैत्रिक गांव अगया में निधन हुआ था।

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