गोरखपुर

गोरखपुर में वसीम रिज़वी के खिलाफ़ प्रदर्शन, मुर्दाबाद के लगे नारे

  • वसीम रिज़वी की गिरफ़्तारी व विवादित किताब पर प्रतिबंध की मांग : हिंदू मुस्लिम एकता कमेटी
  • तहफ्फुजे नामूस-ए-रिसालत कानून की भी मांग
  • त्रिपुरा के मुसलमानों के हक़ में आवाज़ की बुलंद
  • पैग़ंबर-ए-इस्लाम की शान में गुस्ताख़ी नाक़ाबिले बर्दाश्त : शाकिर सलमानी

गोरखपुर। मंगलवार को हिंदू मुस्लिम एकता कमेटी व इमामबाड़ा मुतवल्लियान कमेटी के लोगों ने डीएम कार्यालय पर प्रदर्शन कर हुकूमत से मांग किया कि वसीम रिज़वी के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई करते हुए सज़ा दी जाए। मुसलमान पैग़ंबर-ए-इस्लाम की शान में गुस्ताख़ी कतई बर्दाश्त नहीं कर सकते। प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट को सौंपा गया।त्रिपुरा में पैग़ंबर-ए-इस्लाम की शान में गुस्ताख़ी व मुसलमानों पर हुए जुल्म ज्यादती के खिलाफ़ भी आवाज़ बुलंद की गई। वसीम रिज़वी मुर्दाबाद का नारा लगाया गयाा।

हिन्दू व मुस्लिम समाज के लोगों ने प्रदर्शन करते हुए कहा कि पैग़ंबर-ए-इस्लाम हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की शान में गुस्ताख़ी करने वालों को सख़्त सजा देने के लिए हुकूमत की ओर से सख्त क़दम उठाए जाने की जरूरत है। शिया सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड के सदस्य वसीम रिज़वी ने पैग़ंबर-ए-इस्लाम पर विवादित किताब लिखकर करोड़ों मुसलमानों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। लिहाजा वसीम रिज़वी की जल्द गिरफ़्तारी कर विवादित किताब पर प्रतिबंध लगाया जाए।

कमेटी के संरक्षक शाकिर अली सलमानी ने कहा कि अभी चंद दिन पहले कश्मीर में हमारे सिख भाईयों का नाम पूछ कर हत्या की गई। किसी का नाम पूछ कर, धर्म जाति पूछ कर हत्या कर देना निंदनीय है। लोकतंत्र में सबको जीने का अधिकार है। दोषियों को जेल भेजा जाए। मज़हबी पेशवाओं व रहनुमाओं के ख़िलाफ़ होने वाली बयानबाज़ी और बोहतान तराशियों के ख़िलाफ़ क़ानून की ज़रूरत है। इस ओर हुकूमत को ध्यान देना चाहिए। इस तरह के कानून से मज़हबी शख़्सियात की अज़मत को पामाल होने से महफ़ूज़ रखा जा सकता है और इस तरह की गुस्ताख़ियां करने वालों को सख़्त सज़ा दी जा सकती है। इस्लाम धर्म के अंतिम पैग़ंबर हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर शिया सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड उप्र के सदस्य वसीम रिज़वी ने विवादित किताब लिखी है। जिसमें इस्लाम धर्म व पैग़ंबर-ए-इस्लाम की शान में गुस्ताखी की गई है। मुस्लिम समाज यह गुस्ताखी बर्दाश्त नहीं करेगा। वसीम रिज़वी समाज में नफ़रत फैला रहा हैं। सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए आये दिन नई-नई चाल व योजनाएं बना रहा हैं। तथ्यविहीन व दूषित मानसिकता को बढ़ावा दे रहे हैं। उनके बयान व काली करतूतों से पता चलता है कि वह मानसिक रूप से बीमार हैं। अपनी काली करतूतों को छुपाने के लिए इस्लाम धर्म, पैग़ंबर-ए-इस्लाम, क़ुरआन शरीफ, सहाबा, मदरसा व मुसलमानों पर उलजलूल बयानबाजी करते रहते हैं। वसीम रिज़वी के इस घिनौने कृत्य से मुसलमानों में बहुत गुस्सा व रंजोगम है। उसके बावजूद मुसलमान सब्र से काम ले रहे हैं।

मुतवल्लियान कमेटी के जिलाध्यक्ष सैयद इरशाद अहमद ने कहा कि मुल्क की मौजूदा सूरत-ए-हाल इंतहाई नाज़ुक हो चुकी है और इस सूरते हाल में हुकूमत की यह ज़िम्मेदारी है कि वह अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की तस्वीर को मुतास्सिर होने से बचाने के लिए ज़रूरी इक़दामात करे। अमन पसंद अवाम भारत सरकार से मांग करती है कि वसीम रिज़वी को तत्काल प्रभाव से गिरफ़्तार कर देशद्रोह के तहत मुकदमा पंजीकृत किया जाए। उनके द्वारा लिखित विवादित किताब पर प्रतिबंध लगाया जाए। साथ ही पैग़ंबर-ए-इस्लाम की शान में गुस्ताख़ी करने वाले यति नरसिंहानंद सरस्वती की भी गिरफ़्तारी की जाए तथा ऐसी दूषित मानसिकता वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए ताकि देश में सौहार्द का माहौल बना रहे। वहीं त्रिपुरा की मस्जिदों व मुसलमानों की हिफ़ाजत के लिए उचित क़दम उठाया जाए। त्रिपुरा में मुसलमानों पर हुई घटना की सीबीआई जांच करवा कर दोषी संगठनों व लोगों पर सख्त कार्रवाई की जाए।

लोकतांत्रिक जनता दल के प्रदेश महासचिव गौतम लाल श्रीवास्तव ने कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक देश है। यहां किसी धर्म के संत फकीर या देवी देवता पीर पैग़ंबर पर कोई विवादित टिप्पणी करता है तो इसका मतलब कि वह मानसिक दिवालिया हो गया है उसका ठिकाना जेल है। वसीम रिज़वी बार-बार पैग़ंबर-ए-इस्लाम का अपमान कर प्रदेश व देश का माहौल खराब करना चाहता है। वसीम रिज़वी की गिरफ़्तारी होनी चाहिए। उसकी विवादित किताब को बैन किया जाए। त्रिपुरा के जो हालात बने हुए हैं उस पर पैनी नज़र रखी जाए और अल्पसंख्यकों की आबादी में भीड़ तंत्र द्वारा जो हमले हो रहे हैं उसे खत्म किया जाए। जो लोग दोषी हैं उन पर कार्रवाई हो चाहे वर किसी भी धर्म पंथ के मनाने वाले हों।

ज्ञापन सौंपने वालों में सैयद तहव्वर हुसैन, कारी जाकिर अली क़ादरी, सोहराब खान, पैग़ाम शेख, भोला अंसारी, योगेंद्र गौड़ एडवोकेट, हाफ़िज़ आतिफ रज़ा, वाजिद अली, शमीम सलमानी, आफताब अहमद, नेहाल अहमद अंसारी, गुलाम अली खान आदि शामिल रहे।

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