खरादी टोला तुर्कमानपुर में जलसा-ए-ईद मिलादुन्नबी
गोरखपुर। दरगाह हज़रत मुबारक खां शहीद मस्जिद नार्मल के इमाम मुफ़्ती मुनव्वर रज़ा रज़वी ने कहा कि क़ुरआन में अल्लाह तआला इरशाद फरमाता है रसूल जो दें वह ले लो और जिससे मना करें उससे रुक जाओ। अल्लाह का यह फरमान हर दौर के लिए है। रसूल-ए-पाक हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हमारे आइडियल हैं। हमें उन्हीं के नक्शेक़दम पर चलकर दीन व दुनिया की कामयाबी मिल सकती है। रसूल-ए-पाक की तालीमात पर अमल कर दुनिया वालों के लिए बेहतरीन नमूना बनें। इससे रसूल-ए-पाक खुश होंगे। दीन-ए-इस्लाम सलामती का मजहब है।
खरादी टोला तुर्कमानपुर में आयोजित जलसा-ए-ईद मिलादुन्नबी में बतौर मुख्य वक्ता बोलते हुए उन्होंने कहा कि मुसलमानों के ज्ञान व विद्या में किए गये कारनामों को नई नस्ल के सामने पेश किया जाए और उन्हें यह एहसास कराया जाए कि दीन-ए-इस्लाम के दामन से ही रौशनी मिलेगी। दीन-ए-इस्लाम की रौशनी इंसान को फायदा पहुंचाने वाली है। हम पश्चिमी जगत की भौतिक उन्नति देखकर हीन-भावना का शिकार न हों और विज्ञान व टेक्नाॅलाजी के क्षेत्र में आगे आएं।
सदारत करते हुए नायब काजी मुफ़्ती मोहम्मद अज़हर शम्सी ने कहा मुसलमान ज्ञान के हर क्षेत्र में आगे थे। चाहे उसका सम्बन्ध धार्मिक ज्ञान से हो या आधुनिक ज्ञान से। धार्मिक ज्ञान में वे मुफक्किर-ए-इस्लाम और वलीउल्लाह थे, तो आधुनिक ज्ञान में उनकी गणना दुनिया के बड़े वैज्ञानिकों में होती थी, यही कारण था कि अल्लाह ने धार्मिक और आधुनिक ज्ञान के कारण उन्हें बुलंदियों पर बिठा दिया था। तब हम तादाद में कम थे, लेकिन ज्ञान के हुनर-ओ-फन में हमारा कोई सानी नही था। हमारे ज्ञान व कला को देख कर विरोधी तक हमारी प्रशंसा करने के लिए मजबूर हो जाते थे। आज हम करोड़ो में हैं लेकिन ये फन हमारे हाथों से निकलता जा रहा है, क्यूंकि हमारा सम्बन्ध अल्लाह और उसके रसूल से हटता जा रहा है।
अंत में सलातो सलाम पढ़ कर दुआ मांगी गई। जलसे में हाफ़िज़ आतिफ रज़ा, कासिद इस्माइली, कारी हसन, कारी मोहम्मद अनस रज़वी, एडवोकेट मोहम्मद आज़म, हाजी खुर्शीद अहमद , हाफ़िज़ सलमान अशरफी आदि मौजूद रहे।