सिद्दीक़ी मुहममद ऊवैस, नई दिल्ली
नई दिल्ली : देश भर के विभिन्न क्षेत्रों से अब कॉलेज युनिवर्सिटीयों को दोबारा खोलने की मांग के साथ छात्रों की आवाज़ें बुलंद होना शुरू हो गई हैं । अब धीरे-धीरे छात्र अपने अधिकार की लड़ाई लड़ते सड़कों पर भी दिखाई दे रहे हैं ।
इसी संबंध में स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ़ इंडिया (एस आई ओ) द्वारा #ReopenCampus विषय के तहत एक मुहिम शुरू की गई है । जिसमें एस आई ओ के साथ साथ साथ देश भर के छात्र और देश के कुछ बड़े शिक्षा संस्थानों के छात्र नेता भी शामिल हैं । पिछले दिनों 9 सितंबर 2021 को इस मुहीम के तहत “राष्ट्रीय विरोध दिवस” के तौर पर मनाया गया, जिस दिन एस आई ओ जामिया मिलिया इस्लामिया युनिट के नेतृत्व में जामिया के छात्रों द्वारा विश्वविद्यालय के गेट पर एक विरोध प्रदर्शन किया गया । प्रदर्शन के दौरान जामिया से पोस्ट ग्रेजुएशन के छात्र मुसद्दिक़ मुबीन का कहना है कि “पिछले डेढ़ साल से महामारी के प्रकोप को देखते हुए सरकारों द्वारा देश भर में लाॅकडाउन लगाया गया तब से लेकर अब जबकि कुछ ही राज्यों को छोड़ कर अगर देखें तो महामारी का प्रकोप बहुत हद तक नियंत्रण में है । और तो और शिक्षा संस्थानों के अलावा बाज़ार, सिनेमा हॉल, शिपिंग सेंटर, रेस्ट्रोंट आदि को स्वास्थय प्रोटोकॉल के साथ जब खोला जा रहा है तो कॉलेज, विश्वविद्यालयों एवं शिक्षा संस्थानों को क्यो बंद रखा गया है ? हमें शिक्षा प्राप्त करने से क्यों रोका जा रहा है ? सरकार अब तक ख़ामोश क्यो है ?” इसके अलावा छात्रों ने शिक्षा संस्थानों को ना खोलने पर सरकार की नियत पर कई आरोप लगाए । साथ ही साथ छात्रों द्वारा विश्वविद्यालय के एडमिनिस्ट्रेशन को एक मेमोरेन्डम भी दिया गया और प्रोक्टर वसीम सर के भी युनिवर्सिटी खोलने के मुद्दे पर वातालाब किया गया । छात्रों का कहना है कि युनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन की ओर हर बार तरह ही इस बार भी सिर्फ़ झुठा आश्वासन दिया गया । लेकिन छात्रों का प्रयास जारी रहेगा । इस विरोध प्रदर्शन के एस आई ओ और जामिया, जे एन यू, अलीगढ़ विश्वविद्यालयों के कुछ छात्र नेताओं ने एक प्रेस कांफ्रेंस कर अपनी मांगों को सरकारतक पहुंचाने का प्रयास किया ।
प्रेस कोंफ्रेंस में अपनी बात रखते हुए सी ए ए विरोधी आंदोलन नेता और जामिया के छात्र आसिफ इक़बाल तन्हा ने कहा कि अब देश भर में कोविड -19 मामले कम हो रहे हैं, कुछ अपवादों को छोड़कर, और अधिकांश क्षेत्रों में जीवन सामान्य हो रहा है, विश्वविद्यालयों को फिर से खोलने की तत्काल आवश्यकता है। हालांकि उनका कहना है कि अधिकारी इसे लेकर गंभीर नहीं हैं। उन्होंने संस्थानों से स्वास्थ्य प्रोटोकॉल और प्रतिबंधों का पालन करते हुए शिक्षा की सुविधा प्रदान करने के लिए कहा ।
एस आई ओ महासचिव सैयद मुज़क्किर ने बताया कि देश गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। हालांकि, उन्होंने आरोप लगाया कि छात्रों के दर्द को कम करने के बजाय, कई शिक्षण संस्थान अभी भी पुस्तकालयों, प्रयोगशालाओं और अन्य परिसर गतिविधियों जैसी सुविधाओं के लिए शुल्क ले रहे हैं। उन्होंने मांग की कि सरकार और संस्थानों द्वारा सभी अनावश्यक फीस माफ की जाए । सैयद मुज़क्किर से सवाल किया गया की इस मुहीम को लेकर संगठन की क्या रंण नीती होगी और एस आई ओ के अलावा भी दुसरे छात्र इसमें शामिल हैं ? सवाल के जवाब में मुज़क्किर बताते हैं कि यह मांगें किसी खास संगठन या किसी विशेष व्यक्ति के लिए नहीं हैं बल्कि यह मुद्दा इस समय पुरे देश के छात्रों कि समस्या बना हुआ है और तो और ऑनलाइन शिक्षा ऑफलाइन शिक्षा की जगह नहीं ले सकती । इस प्रेस कांफ्रेंस में जे एन यू कौंसिलर आफ़रीन फातिमा, ए एम यू के छात्र अब्दुल वदूद और शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र (सी ई आर टी) के निदेशक एडवोकेट फ़वाज़ शाहीन शामिल थे ।
इन सभी मांगों के साथ छात्रों ने अपनी बात रखी और बिल्कुल स्पष्ट रूप से ये बात भी कही गई कि जब तक उन्हें शिक्षा से रोक कर रखा जाएगा तब तक वे हर मुमकिन प्रयास करते रहेंगे और अपने अधिकार की लड़ाई जारी रखेंगे । अब ऐसे में देखना ये है कि शिक्षा के मुद्दे पर काफ़ी समय से चुप्पी साधी हुई सरकार और प्रशासन द्वारा क्या क़दम उठाया जाता ? कोई ठोस क़दम उठाया जाता भी है या नहीं ये भी एक बड़ा सवाल है जो यह छात्र सरकार से कर रहे हैं । सरकार के अनुसार शायद महामारी का सबसे ज़्यादा खतरा शिक्षा संस्थानों को ही है !