प्रयागराज के उद्यमी परेशान हैं। उनकी तमाम समस्याएं हैं लेकिन समाधान नहीं हो रहा है। इन्हीं सब समस्याओं पर उद्योग बंधुओं की बैठक में विचार-विमर्श किया गया। नैनी औद्योगिक क्षेत्र में हुई बैठक में प्रशासन के उपेक्षात्मक रवैये पर नाराजगी जताई गई। अफसरों पर असहयोग का आरोप लगाया गया। टैक्स देने के बावजूद सुविधा के नाम पर कुछ भी न मिलने की बात कही गई।
टैक्स बढ़ाने पर जताया गया असंतोष
उद्योग बंधुओं ने सरकारी जमीन पर किसी तरह का टैक्स न लगने की बात कही। मेंटिनेंस के लिए कई गुना टैक्स बढ़ा देने पर असंतोष जताया। औद्योगिक क्षेत्र के नगर निगम को ट्रांसफर करने के मसले पर भ्रांतियां फैलाने का मसला भी जोरशोर से उठा। इससे उनमें असमंजस की स्थिति है। उद्यमियों ने एक स्वर से कहा कि उद्योग बंधुओं की बैठक में प्रशासन उनकी समस्याओं का निदान कराना तो दूर ठीक से सुनने को भी तैयार नहीं होता है। पिछली बैठकों में की गई शिकायतों के निस्तारण के संबंध में होने वाली कार्रवाई का भी जवाब देने वाला कोई नहीं होता है। शासन द्वारा शुरू की गई सिंगल विंडो योजना भी महज कोरा आश्वासन है।
युवा उद्यमी दूसरे राज्यों को कर जाते हैं पलायन
उद्यम के क्षेत्र में पैर जमाने वाले युवा उद्यमियों को सही दिशा दिखाना तो दूर संबंधित विभाग में जाने पर चपरासी से लेकर अधिकारी तक उनसे सीधे मुंह बात नहीं करते हैं। थककर युवा उद्यमी प्रदेश छोड़कर दूसरे राज्यों को पलायन कर जाता है। हालात यह हैं कि उद्यम से चार-पांच लाख रुपए कमाने वाले युवा उद्यमी दूसरे प्रदेशों में 40-50 हजार की नौकरी करके खुद को सुखी महसूस करता है।
बिजली की आवाजाही से उत्पादन पर असर
उद्यमियों ने कहा कि औद्योगिक क्षेत्र में युकेलिप्टस के पेड़ बहुत पुराने हो जाने के कारण तेज हवा चलने पर बिजली के तारों पर गिर जाते हैं। इससे घंटों बिजली की आपूर्ति बाधित रहती है। इसका सीधा असर उद्योगों पर पड़ता है। वहीं, बिजली की दिनभर आवाजाही से उत्पादन में भी गिरावट होती जा रही है, जिसका खामियाजा उद्यमियों को भुगतना पड़ रहा है। इस समस्या के निदान के लिए कई बार प्रशासन से कहा जा चुका है लेकिन, कोई सुनवाई नहीं होती है। सुरक्षा के नाम पर थाना स्थापित किया गया है पर गश्त करती पुलिस क्षेत्र में नजर नहीं आती है।
बोले उद्यमी
आज के एक दशक पहले तक औद्योगिक जमीन की र्सिकल रेट काफी कम होता था। शासन व प्रशासन उद्यमियों का ध्यान रखता था लेकिन, अब ऐसा नहीं है। अब गलत तरीके से टैक्सों का बिल भेज कर परेशान किया जाता है।
- विनय कुमार टंडन, अध्यक्ष ईस्टर्न यूपी चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज।
उद्योग बंधुओं की समस्या को अब उद्योग बंधुओं को ही निपटाना होगा। इसके लिए सभी को एकजुट होने की जरूरत है। अपने हक के लिए हर स्तर पर लड़ाई लडऩी होगी। इसके लिए व्यवस्था से मोर्चा लेने के लिए कमर कसनी होगी।
- अरविंद कुमार राय, अध्यक्ष उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक संघ।
उद्योग बंधु नगर निगम में शामिल नहीं होना चाहते हैं वह यूपीएसआइडीसी के साथ खुश हैं। प्रशासन को चाहिए कि वह दूसरे औद्योगिक क्षेत्रों में जाकर देखें, वहां कैसे उद्यमियों को प्रोत्साहन दिया जाता है। नगर निगम केवल उद्यमियों का गला घोटने का काम करेगा।
- डा. जीएस दरबारी, प्रबंध निदेशक दरबारी इंडस्ट्रीज।
उद्यमियों की समस्या के निराकरण के प्रति प्रशासन गंभीर नहीं है। इससे उद्यमियों की समस्याएं कम होने के बजाय बढ़ती जा रही हैं। लिहाजा, प्रदेश का उद्योग जगत अंधेंरे में है। समस्या का निदान तो दूर अधिकारी समस्या सुनने में भी परहेज करते हैं।
- दिनेश कुंद्रा, निदेशक त्रिवेणी इलेक्ट्रोप्लास्ट प्राइवेट लिमिटेड।
समस्या बताने पर अधिकारी उसके निदान के बजाय उद्यमियों का पत्र कानपुर भेजकर अपना कर्तव्य पूरा मान लेते हैं। स्थानीय स्तर पर समस्या का निराकरण करने के बजाय उद्यमियों से टाल-मटोल किया जाता है। कई बार चक्कर लगाने के बाद वह थककर बैठ जाता है।
- राजीव नैयर, अध्यक्ष नैनी इंडस्ट्रीज एसोसिएशन।
समस्या का निस्तारण कराने के लिए पहले हमें स्वयं मजबूत होना होगा। जब हम शासन-प्रशासन के सामने मजबूती से खड़े होंगे, तभी हमारी सुनी जाएगी। अन्यथा समस्याएं कम होने के बजाय और बढ़ती रहेंगी।
- अजय शर्मा, निदेशक हिंद एलीवेटर प्राइवेट लिमिटेड।
टैक्स उद्यमी देता है लेकिन, सड़क सिविल लाइंस क्षेत्र की बनती हैं, जहां अधिकारी रहते हैं। टैक्स लेने वाला फोरम है मगर, उद्योग बंधुओं की समस्या के निस्तारण के लिए कोई फोरम नहीं है। अधिकारी बैठक में शामिल होकर केवल कोरम पूरा करते हैं।
- आशुतोष तिवारी, विधिक सदस्य उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक संघ।