गोरखपुर शिक्षा

मिसाल: मदरसे के छात्र नूरुद्दीन ने सीखी फर्राटेदार अंग्रेजी तो मिला दो लाख रुपये सैलरी का पैकेज

गोरखपुर। दिल में ज़ज़्बा, लगन और मेहनत हो तो कामयाबी कदम चूमती है। इसे साबित किया है मदरसे से पढ़ाई पूरी करने वाले 22 वर्षीय मौलाना नूरुद्दीन निज़ामी ने। उन्होंने मदरसे से तालीम हासिल की। अंग्रेजी सीखने की जद्दोजहद की। एक साल लगातार मेहनत करके फर्राटेदार अंग्रेजी सीखी। अंग्रेजी लिखने, पढ़ने व बोलने में महारत हासिल की। जिसके नतीजे में नूरुद्दीन को अंग्रेजी का शिक्षक बनने का मौका मिला और करीब दो लाख रुपया सालाना सैलरी का पैकेज भी हासिल हुआ।

मदरसे में पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए मौलाना नूरुद्दीन किसी प्रेरणास्रोत से कम नहीं हैं। शहर के मदरसे में पढ़ने वाले छात्र हाफ़िज़ अलकमा, हाफ़िज़ महमूद, हाफ़िज़ रहमत आदि अंग्रेजी भाषा की कक्षा में हिस्सा लेकर मौलाना नूरुद्दीन की तरह कामयाब बनना चाह रहे हैं और कामयाबी की नई इबारत लिखने की कोशिश में प्रयासरत हैं।

मदरसे में पढ़ने वाले बच्चों के लिए मौलाना नूरुद्दीन का प्रयास मील का पत्थर साबित हो सकता है। तरक्की की तेज रफ़्तार में क़दम से क़दम मिलाकर चलने के लिए मदरसे के बच्चों को अंग्रेजी व कम्प्यूटर की तालीम हासिल करनी बहुत जरूरी है। जिसे मौलाना नूरुद्दीन ने समझा और कोशिश की। जिसका नतीजा हम सबके सामने है।

मूलत: महराजगंज जिले के मुजरी गांव के रहने वाले मौलाना नूरुद्दीन निज़ामी ने गांव के मकतब से कक्षा पांच तक की पढ़ाई की। इसके बाद नौ साल तक कड़ी मशक्त के साथ दारुल उलूम अहले सुन्नत क़ादरिया सेराजुल उलूम से मौलाना (आलिम) की पढ़ाई पूरी की। फिर वीएनबीपी डिग्री कॉलेज से स्नातक किया। इसी के साथ कम्प्यूटर की तालीम हासिल की। फिर एकाउंट की पढ़ाई की। करीब 8 माह तक कई दुकानों पर एकाउंट का काम किया। जाफ़रा बाजार की एक मस्जिद के हुजरे में रहकर एक साल तक अंग्रेजी सीखने की जद्दोजहद की। इस जद्दोजहद में उनका साथ दिया फ्रीडम एम्प्लॉयमेंट एकेडमी व अश्वनी राय ने। यह संस्था युवाओं को निशुल्क अंग्रेजी भाषा सीखाती है। बक्शीपुर, गोरखनाथ, तारामंडल व रुस्तमपुर में संस्था की शाखा है। नूरुद्दीन ने हर दिन की कड़ी मशक्त के बाद एक साल के अंदर अंग्रेजी भाषा सीख ली। अंग्रेजी भाषा में इतनी महारत भी हासिल कर ली की संस्था ने गोरखनाथ स्थित शाखा में इन्हें बतौर अंग्रेजी भाषा का शिक्षक नियुक्ति कर दिया। 32 दिन की ट्रेनिंग के बाद मौलाना नूरुद्दीन ने इसी माह नौकरी ज्वॉइन कर ली है। करीब दो लाख रुपये सालाना सैलरी का पैकेज तय हुआ है।

अंग्रेजी भाषा के साथ मौलाना नूरुद्दीन उर्दू, हिन्दी, अरबी व फारसी भी जानते हैं। उनका ख़्वाब बड़ा वकील बनने का है। ताकी वह लोगों के लिए इंसाफ व हक़ हुक़ूक की लड़ाई लड़ सकें। वह एलएलबी की प्रवेश परीक्षा की तैयारी में पूरे मन से जुटे हुए हैं।

मौलाना नूरुद्दीन ने मदरसे के बच्चों को पैग़ाम देते हुए कहा कि मदरसे में पढ़ने वाले बच्चे अपने अंदर आत्मविश्वास पैदा करें। दीनी तालीम के साथ दुनियावी तालीम भी हासिल करें। कम्प्यूटर व अंग्रेजी भाषा में महारत हासिल करें।

उन्होंने कहा कि मदरसे में पढ़ने वाले बच्चे देश का भविष्य हैं। सरकार के साथ समाज के प्रबुद्ध वर्ग को उनकी रहनुमाई करनी चाहिए। मदरसे के बच्चों में टैलेंट कूट-कूट कर भरा हुआ है। सही रहनुमाई मिल जाए तो यह बच्चे समाज व कौम की दिशा व दशा बदलने में सक्षम हैं। शर्त यह है कि बच्चों को करीने से संवारा जाए। मदरसों में दीनी व आधुनिक विषयों की शिक्षा का स्तर ऊपर उठाने की जरूरत है। मदरसे के बच्चे भी कम्प्यूटर व अंग्रेजी भाषा सीखना चाहते हैं लेकिन उन्हें मौका नहीं मिल पाता है। लिहाजा मदरसा संचालकों को इस ओर खास ध्यान दिए जाने की जरूरत है।

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