पुलिस के दबाव में दब कर गई ग़रीब की आह
हरदोई। (यासिर कासमी)
पुलिस के दबाव में आकर एक ग़रीब की ज़िंदगी दम तोड़ती हुई नज़र आने लगी है। सड़क हादसे का शिकार हुए एक ग़रीब ने अपनी ज़िंदगी बचाने के लिए सारा कुछ दांव पर लगा दिया। यहां तक कि पुश्तैनी ज़मीन का एक टुकड़ा जो उसके लिए किसी पारस की बटिया से कम नहीं था,वो भी नगद कर लिया। लेकिन फिर भी ज़ख्म नासूर बनते जा रहे हैं। पुलिस के दबाव में उस ग़रीब कुनबे को बस आह के सिवा और कुछ भी हासिल नहीं हुआ। पैसों की खनक के आगे एक ग़रीब की ज़िंदगी बिखरने के मोड़ पर आकर खड़ी हो गई है।
कोतवाली शहर का गांव जोगीपुर मजरा तत्यौरा का ग़रीब गोबरे 16 फरवरी को मज़दूरी कर वापस घर लौट रहा था। रास्ते में एक तेज़ रफ़्तार बाइक ने उसे टक्कर मार दी।गोबरे की पत्नी मईका उर्फ रामवती की तहरीर पर पुलिस ने समुदा गांव के आदर्श पाण्डेय उर्फ पियूष के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया। इसके बाद से ही पुलिस ने असरदार आदर्श पाण्डेय को बचाने का ताना-बाना बुनना शुरू कर दिया।मीका उर्फ रामवती ने बताया कि हल्का इंचार्ज ने उसे मुकम्मल इलाज का भरोसा दिलाया। लेकिन गोबरे के घर वालों ने साफ इंकार कर दिया। वही पुलिस ने तो किसी की ज़िंदगी को दांव पर लगाने वाले को बचाने का ठेका ले रखा था।इसी लिए उसका दबाव और बढ़ता चला गया। नतीजतन छल-कपट के जाल का दायरा इतना बढ़ गया कि गरीब का कुनबा उसी में उलझ कर रह गया। पुलिस के भरोसे ठगा गया एक ग़रीब और उसका कुनबा चिकनी चुपड़ी बातों में आकर रूखी-सूखी भी गंवा बैठा।गोबरे अपने घर में छप्पर के नीचे ज़िंदगी की भीख मांग रहा है। उसने ज़िंदगी की खातिर सारा कुछ दांव पर लगा दिया।यही नही घर परिवार की गाड़ी खींचने के लिए उसके हिस्से में पुश्तैनी ज़मीन का एक टुकड़ा आया था,वह भी बिक गया। फिर भी ज़िंदगी को अभी सुकून नहीं मिल सका है। हालत यह है कि गोबरे का इकलौता दिव्यांग बेटा मज़दूरी कर किसी तरह दो जून की रोटी जुटा रहा है। तमाम जद्दोजहद के बाद भी गोबरे का इलाज हो पाना मुमकिन नहीं है। उसकी हालत इस बात की गवाही दे रही है ग़रीबी को मज़ाक समझने वालों की कोई कमी नहीं है।