फ़ैसल क़ादरी गुन्नौरी
ग़म ए दुनिया से यूँ बेज़ार होना
नबी की याद में बीमार होना
वूजूद ए ख़ल्क़ का मक़सद यही था
मिरे आक़ा का जलवा बार होना
बुलायें जब कभी सरकार तैबा
अदब से हाज़िर ए दरबार होना
यक़ीनन बादशाही से है अफ़ज़ल
गदा ए सय्यद ए अबरार होना
क़यामत में नज़र आयेगा मुन्किर
नबी का मालिक ओ मुख़्तार होना
अगर ख़्वाहिश है कुछ होने की तुझ को
तो पहले साहिब ए किरदार होना
करम से हो गये आक़ा के फ़ैसल
बहुत मुश्किल था ये अशआर होना