गोरखपुर। नौज़वान कमेटी की ओर से बुधवार देर रात बड़गो में कोविड गाइडलाइन का पालन करते हुए हज़रत सैयदना इमाम हुसैन की याद में जलसा हुआ। संचालन मौलाना मो. उस्मान बरकाती ने किया। नात-ए-पाक हाफ़िज़ रईसुद्दीन निज़ामी ने पेश की।
मुख्य अतिथि मौलाना लाल मोहम्मद ने कहा कि दीन-ए-इस्लाम की तारीख शहादतों से भरी पड़ी है। ‘इमाम हुसैन’ आतंकवाद के खिलाफ आंदोलन का नाम है। पैगंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के बताए दीन-ए-इस्लाम को समझना है तो पहले कर्बला को जानना बेहद जरूरी है। इमाम हुसैन हक की जंग तभी जीत गए थे जब सिपह-सालार ‘हुर्र’ यजीद की हजारों की फौज छोड़कर मुट्ठी भर हुसैनी लश्कर में अपने बेटों के साथ शामिल हो गए थे। हुर्र जानते थे कि इमाम हुसैन की तरफ जन्नती लोग हैं और यजीद की तरफ जहन्नमी लोग हैं। उन्होंने कहा कि पैगंबर-ए-आज़म ने इरशाद फरमाया कि कोई बंदा मोमिने कामिल तब तक नहीं हो सकता जब तक कि मैं उसको उसकी जान से ज्यादा प्यारा न हो जाऊं और मेरी औलाद उसको अपनी जान से ज्यादा प्यारी न हो और मेरे घराने वाले उसको अपने घराने वालों से ज्यादा महबूब न हों।
अंत में सलातो सलाम पढ़कर मुल्क में खुशहाली की दुआ मांगी गई। शीरीनी बांटी गई। जलसे में हाफ़िज़ अशफाक निज़ामी, मौलाना गुलाम मोहम्मद, माहताब आलम, कमरुज्जमा, शहादत अली सिद्दीक़ी, एडवोकेट मिनहाज, जुबैर आलम, आसिफ, ज़ियाउल्लाह, लतीफ, शोएब सिद्दीक़ी, सैफ सिद्दीक़ी, इमरान खान, मो. इसराइल, मो. अशफाक, मोमिन अली सिद्दीक़ी आदि शामिल हुए।