कर्बला दुनिया-ए-इस्लाम की सबसे दर्दनाक दास्तान : अली अहमद
गोरखपुर। सुन्नी बहादुरिया जामा मस्जिद रहमतनगर में ग़ौसे आज़म फाउंडेशन व अली बहादुर शाह यूथ कमेटी की ओर से बुधवार को अमीरुल मोमिनीन हज़रत सैयदना उमर, हज़रत इमाम हुसैन और शहीद-ए-कर्बला की याद में क़ुरआन ख़्वानी, फातिहा ख़्वानी व दुआ ख़्वानी हुई। मस्जिद के बाहर दस दिनों के लिए लगे पानी के स्टाल (सबील) का उद्घाटन उलेमा-ए-किराम ने किया। जहां मुहर्रम के दसों दिन अकीदतमंदों को पानी के साथ शर्बत व लस्सी पिलाया जायेगा।
इस मौके पर मस्जिद में हुई महफिल में मौलाना अली अहमद ने कहा कि कर्बला दुनिया-ए-इस्लाम की सबसे दर्दनाक दास्तान है। जिसे सुनकर बड़े-बड़े बहादुरों के दिल हैबत से कांप जाते हैं। अगर इमाम हुसैन की जगह रुस्तम-ए-वक्त भी होता तो यह सदमा बर्दाश्त न कर पाता, लेकिन इमाम हुसैन के कदमों में लग्ज़िश तक न आई। आपने अपनी व अपने जांनिसारों की क़ुर्बानी देकर दीन-ए-इस्लाम को बचा लिया। इमाम हुसैन, उनकी औलाद व जांनिसारों की क़ुर्बानी को रहती दुनिया तक मुसलमान भुला नहीं सकते।oops
क़ुरआन ख़्वानी व फातिहा ख़्वानी में मौलाना फैजुल्लाह क़ादरी, हाफ़िज़ गुलाम रसूल, यासीन निज़ामी, समीर अली, हाफ़िज़ अमन, मो. फ़ैज़, मो. ज़ैद मुस्तफाई, सैयद ज़ैद, अमान अहमद, मो. आसिफ, अली गज़नफर शाह अज़हरी, मो. ज़ैद चिंटू, मो. समीर, मो. शादाब, मो. शारिक, इमाम हसन आदि ने शिरकत की।