गोरखपुर

हिफ़्ज़ा फातिमा ने मुकम्मल किया क़ुरआन-ए-पाक, सजी मिलाद की महफिल

क़ुरआन व हदीस का इल्म सबसे अफ़ज़ल :मुफ़्ती अख्तर

गोरखपुर। ऊंचवा निवासी मरहूम हाजी मो. अब्दुल कुद्दूस खान की 11 वर्षीय पोती हिफ़्ज़ा फातिमा ने बुधवार को हाफ़िज़ व कारी मो. अयाज की देखरेख में क़ुरआन-ए-पाक मुकम्मल किया। हिफ़्ज़ा कक्षा छह में पढ़ती हैं। इस खुशी के मौके पर ऊंचवा स्थित आइडियल मैरेज हाउस में महफिल-ए-मिलादुन्नबी सजी।

जिसमें मुफ़्ती अख्तर हुसैन मन्नानी (मुफ़्ती-ए-शहर) ने कहा कि सबसे अफ़ज़ल इल्म क़ुरआन, हदीस और दीन का इल्म है। इसके बगैर कोई मुसलमान हकीकी मुसलमान नहीं बन सकता। मॉडर्न तालीम हासिल करने से पहले अपने बच्चों को क़ुरआन पढ़ना सिखाएं, दीन की जरूरी और अहम बातें सिखाएं, रहन-सहन के आदाब, बड़ों के साथ अदबो एहतराम का सुलूक, छोटों से प्यार से पेश आना, जरूरी तहजीब और तरबियत देना जरूरी है। औलाद का हक है कि उनकी अच्छी तालीम व तरबियत का इंतजाम किया जाए।

मौलाना रियाजुद्दीन क़ादरी ने कहा कि रसूल-ए-पाक हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने आज से चौदह सौ साल पहले स्पष्ट फरमा दिया कि मां-बाप की तरफ से औलाद को सबसे अफ़ज़ल तोहफा उनकी अच्छी तालीम और तरबियत है। यही उनके लिए दीन और दुनिया दोनों एतबार से अच्छी नेमत है। बाकी सारी चीजें फानी हैं और सानवी दर्जा रखती हैं इसलिए अपनी औलाद को पढ़ाइए और मेहनत करके पढ़ाइए। एक वक्त भूखे रहकर पढ़ाना पड़े तो भूखे रहकर पढ़ाइए ताकि अल्लाह के पास जवाबदेही आसान हो।

अंत में सलातो सलाम पढ़कर दुआ मांगी गई। तमाम लोगों ने हिफ़्ज़ा को दुआओं से नवाज़ा। शीरीनी बांटी गई। महफिल में कारी सरफुद्दीन, हाफ़िज़ मो. अयाज अहमद, मो. शादाब अहमद, हाजी उबैद अहमद खान, अब्दुल मतीन फैजी, नासिफ अहमद, सैयद युसूफ कमाल, सैयद ओबैदुर्रहमान, हाफ़िज़ रेयाज अहमद, हाफ़िज़ नज़रे आलम क़ादरी, मौलाना अली अहमद आदि मौजूद रहे।

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