धार्मिक

अग्नि परीक्षा और नरसिंहानन्द का डर

तथाकथित स्वामी को अपनी हार के लिये तैयार रहना चाहिए जैसे श्रद्धा नंद ने करारी हार का सामना किया था वैसे ही इस के साथ भी होने वाला है।
इसने अपनी शर्मिंदगी बचाने के लिए जो चैलेंज स्वीकार किया है इसका अंदाजा तभी होगा जब बिना बाधा के अग्नि परीक्षा हो। लेकिन ये तथाकथित स्वामी अपने आप को जेल मे ले जायगा की वो इस अग्नि परीक्षा से बच जाये।

शुद्धि तहरीक में आर्याई पंडित श्रद्धा नंद को जो करारी हार हुई थी और 8 लाख गैर मुस्लिम, मुसलामान हुए थे शायद वो ज़माना इस स्वामी के आक़ाओं को याद नहीं है। अगर याद होता तो ऎसा नहीं करते। और अगर याद है फिर भी ऎसा कर रहे हैं तो जान लीजिये के वो अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहे है।
कई जगहों पर मुक़ाबला और एक जगह अग्नि परीक्षा से ही श्रद्धा नंद भाग खड़ा हुआ था ये जगह थी “आंवर जिला मथुरा” अगर किसी को इस बात पर कोई शंका हो तो वह रज़ा लाइब्रेरी रामपुर मे जाकर उस समय का अखबार “दबदब ए सिकंदरी” देख सकता है। (30 अप्रेल 1923)

इस्लाम के खिलाफ इस तरह के षड्यंत्र हमेशा से होते आये हैं और इस्लाम हमेशा विजयी रहा है। ना हम कल पीछे हटे थे और ना आज हटेंगे।
इस तथाकथित स्वामी की बागडोर जिनके हाथों मे है वह बहुत असर रखते हैं उन्हें चाहिये कि ये अग्नि परीक्षा होने दें। इस अग्नि परीक्षा मे किसी भी प्रकार से बाधा उत्पन्न होती है तो इसे सीधे उस स्वामी और उसके आकाओं की हार स्वीकार किया जायगी।
जिस तरह ये तथाकथित स्वामी और इसके तबलचिये साथी नागिन डांस कर रहे हैं अगर हिम्मत है तो बिना बाधा उत्पन्न किये ये काम हो जाने दें।
इस्लाम को मिटाने की उम्मीदें लिए ना जाने कितने सूरमा दुनिया से चले गये। इन कीड़े मकोडों की किया गिनती? फिर भी अपनी हसरत पूरी कर के देख लो फिर ये ना कहना कि हम ऎसा नहीं कर सके।

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