गोरखपुर

माह-ए-रमज़ान: तरावीह की नमाज़ के लिए हाफ़िज़ व वक्त मुकर्रर

गोरखपुर। माह-ए-रमज़ान अनकरीब आने वाला है। अगले हफ्ते से रोजा शुरु हो जायेगा। रमज़ान के इस्तकबाल के लिए तैयारियां चल रही हैं। रमज़ान में तरावीह नमाज का विशेष महत्व है। तरावीह में बीस रकात नमाज़ अदा की जाती है। तरावीह की नमाज़ में हाफ़िज़ पूरा क़ुरआन शरीफ सुनाते हैं। शहर व देहात की हर छोटी-बड़ी मस्जिदों में तरावीह की नमाज़ विशेष रूप से अदा की जाती है। ज्यादातर मस्जिदों के लिए हाफ़िज़-ए-क़ुरआन तय हो चुके हैं। मुफ्ती व हाफ़िज़ खुश मोहम्मद, हाफ़िज़ रहमत अली, मौलाना व हाफ़िज़ रजिउल्लाह, हाफ़िज़ अब्दुर्रहमान, हाफ़िज़ महमूद रज़ा, हाफ़िज़ मो. शाबान, हाफ़िज़ अयाज, हाफ़िज़ मो. हुसैन आलम, हाफ़िज़ मो. अशरफ, हाफ़िज़ सद्दाम हुसैन, हाफ़िज़ मो. मुजम्मिल, हाफ़िज़ अंसारुल हक, हाफ़िज़ शराफत हुसैन, हाफ़िज़ नजरुल हसन, हाफ़िज़ अफ़ज़ल, हाफ़िज़ सद्दाम हुसैन, हाफ़िज़ मोहसिन, हाफ़िज़ व मौलाना मो. जाहिद, हाफ़िज़ महताब, हाफ़िज़ तुफैल, हाफ़िज सद्दाम, हाफ़िज़ शम्सुद्दीन, हाफ़िज़ गुलाम वारिस, हाफ़िज़ मो. दानिश, हाफ़िज़ अर्शे आज़म, हाफ़िज़ आसिफ रज़ा आदि तरावीह की नमाज पढ़ाने के लिए तैयारियों में लगे हुए हैं। क़ुरआन शरीफ दोहराया जा रहा है ताकि नमाज़ में कोई आयत छूटने न पाए। तरावीह की नमाज़ में उन्हें नमाज़ियों को पूरा क़ुरआन शरीफ सुनाना है। शहर की मस्जिदों में तरावीह की नमाज़ रात 8:30 से 9:00 बजे के बीच शुरू होगी।

मुफ्ती मो. अज़हर शम्सी (नायब काजी) ने बताया कि तरावीह की नमाज़ मर्द व औरत सबके लिए सुन्नते मुअक्कदा हैं। उसका छोड़ना जाइज नहीं। तरावीह की नमाज़ 20 रकात है। तरावीह की नमाज़ पूरे माह-ए-रमज़ान में पढ़नी है। रमज़ान में तरावीह नमाज़ के दौरान एक बार खत्में क़ुरआन करना सुन्नते मुअक्कदा हैं। दो बार खत्म करना अफ़ज़ल हैं। तीन बार क़ुरआन मुकम्मल करना फज़ीलत माना गया है। फिक्ह हनफ़ी के मुताबिक औरतों का जमात से नमाज़ पढ़ना जायज नहीं है। वह घर में ही तंहा-तंहा तरावीह की नमाज़ पढ़ेगी। माह-ए-रमज़ान में हर रोज जन्नत को सजाया जाता है। रोजेदारों की दुआएं कबूल होती हैं।

मुफ्ती अख्तर हुसैन मन्नानी (मुफ्ती-ए-शहर) ने बताया कि रमज़ान में न सिर्फ बंदों पर रोजे फर्ज किए गये बल्कि अल्लाह पाक ने सारी आसमानी किताबें रमज़ान के महीने में उतारी। क़ुरआन शरीफ इसी माह में नाज़िल हुआ। क़ुरआन शरीफ का हक है कि बंदे उसकी तिलावत करें और उसके हुक्म के मुताबिक जिंदगी गुजारें।

यहां इतने दिनों में मुकम्मल होगा एक क़ुरआन

  1. इमामबाड़ा वाली मस्जिद हांसूपुर – 08 दिन
  2. लाल जामा मस्जिद गोलघर, हज़रत मुबारक खां शहीद मस्जिद नार्मल, नूरानी मस्जिद तरंग क्रासिंग हुमायूंपुर, औलिया जामा मस्जिद घोसीपुरवा – 10 दिन
  3. सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफ़रा बाजार, ईदगाह रोड मस्जिद बेनीगंज, मदीना मस्जिद नौतन झुंगिया बाजार, जामा मस्जिद रसूलपुर, फिरदौस जामा मस्जिद जमुनहिया बाग, कलशे वाली मस्जिद मिर्जापुर, बेलाल मस्जिद इमामबाड़ा अलहदादुपर, अशरफी जामा मस्जिद हुमायूंपुर उत्तरी – 15 दिन
  4. सुब्हानिया जामा मस्जिद तकिया कवलदह, बरकातिया मस्जिद मिर्जापुर – 18 दिन
  5. मस्जिदे जामे नूर जफ़र कालोनी बहरामपुर, गाजी मस्जिद गाजी रौजा, नूरानी जामा मस्जिद कामरेडनगर, गौसिया जामा मस्जिद छोटे काजीपुर, निज़ामी मस्जिद मोगलहा, बहादुरिया जामा मस्जिद रहमतनगर, मक्का मस्जिद मेवातीपुर, गौसिया मस्जिद घोसीपुरवा, जोहरा मस्जिद मौलवी चक – 21 दिन
  6. चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर – 27 दिन

समाचार अपडेट प्राप्त करने हेतु हमारा व्हाट्सएप्प ग्रूप ज्वाइन करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *