सामाजिक

ख़्वाहिशात का प्याला

बादशाह ने फ़क़ीर से ख़ुश होकर बोला कहा मांगो क्या मांगते हो__?

फ़क़ीर ने कहा हुज़ूर बस मेरा प्याला भर दीजिये मुझे और कुछ नहीं चाहिए ! बादशाह हंसा और कहने लगा बस ! फिर उसने सारे पहने हुए जवाहरात उसमे डाल दिए मगर प्याला नहीं भरा, बादशाह हैरान हुआ मगर ये उसकी इज़्ज़त का मुआमला था उसने वज़ीरों को हुक्म दिया वहाँ मौजूद वज़ीरों ने भी अपने जवाहरात उतार कर डाल दिए मगर प्याला ख़ाली का ख़ाली !!! सल्तनत का खज़ाना भी मंगवा कर डाल दिया गया मगर प्याला ना भर सका !! फ़क़ीर मुस्कुराते हुए वापस जाने लगा बादशाह हाथ बांधे खड़ा हो गया !

फ़क़ीर का ये जवाब सबको लाजवाब कर गया !
हुज़ूर ये ख़्वाहिशात का प्याला है इसे क़ब्र की मिटी के सिवा कोई चीज़ नहीं भर सख्त __!!!!

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