धार्मिक सामाजिक

बीवी के हुक़ूक़

हज़रत अबू हुरैरह रदियल्लाहु अन्हु फ़रमाते हैं कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया “ईमान में कामिल तरीन वह शख्स है जो सब से ज़्यादा बा अखलाक हो और तुम में सब से ज़्यादा बेहतर वह है जो अपनी औरतों के लिए बेहतर हो!

रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया औरत टेढ़ी पसली से पैदा की गयी है। अगर कोई शख्स टेढ़ी पसली को सीधी करने की कोशिश करेगा तो पसली की हड्डी टूट जायेगी मगर वह कभी सीधी न होगी और अगर छोड़ देगा तो टेढ़ी बाकी रहेगी ठीक इसी तरह अगर कोई शख्स अपनी बीवी को बिल्कुल ही सीधी करने की कोशिश करेगा तो टूट जायेगी यानी तलाक की नौबत आ जायेगी। लिहाज़ा अगर औरत से फ़ायदा उठाना है तो उसके टेढ़े पन ही से फ़ायदा उठा लो।

रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया तुम में बेहतर वह है जो अपने घर वालों के लिए अच्छा है और मैं तुम सब में अपने अहल के लिए बेहतर हूँ।

एक सहाबी ने हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से दरयाफ्त किया या रसूलल्लाह! बीवी का उसके शोहर पर क्या हक़ है आपने फ़रमाया जब तू खाये उसको भी खिलाये, जब तू कपड़ा पहने उसको भी पहनाये उसके मुँह पर मत मार उसको गालियाँ न दे और उसको न छोड़ मगर घर में!
(तिरमिज़ी शरीफ जिल्द 1, सफ़ह 138)
(बुखारी शरीफ जिल्द 2, सफ़ह779)
(तिर्मिज़ी शरीफ जिल्द1, सफ़ह 228)
(अबु दाऊद सफ़ह 291)

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