जीवन चरित्र

मुसलमानों के तीसरे खलीफा, दो नूर वाले सहाबी, अमीरूल मोमिनीन, दामादे नबी सैयदना उस्मान गनी रदियल्लाहु तआला अन्हु

आपका नाम उस्मान और लकब गनी, जामे उल कुरआन (कुरआन पाक को जमा करने वाले) और जु़न्नूरैन (दो नूर वाले) वगैरह है। आप मुसलमानों के तीसरे खलीफा हैं।

आप रदियल्लाहु तआला अन्हु के निकाह में एक के बाद एक नबी पाक सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम की दो बेटियां रदियल्लाहु तआला अन्हुमा आई इसी वजह से आपको जु़न्नूरैन यानी दो नूरों वाला कहा जाता है।

आपने कुरआन ए मजीद को किताबी शक्ल में जमा फरमाया इसलिए आपको जामे उल कुरआन (कुरआन जमा करने वाला) कहा जाता है।

आपकी पैदाइश हाथी वाले वाक्ये के छह साल बाद यानी हिजरते नबवी से 47/ साल पहले हुई।

आपका ज़ाहिरी जिस्म दरमियानी कद, नर्म जिल्द, खूबसूरत व घनी दाढ़ी और चौड़े कंधों वाला था।

आप मुसलमानों के पहले खलीफा हज़रत अबू बकर सिद्दीक़ रदियल्लाहु तआला अन्हु की दावत और कोशिश से इस्लाम लाकर मुसलमान हुए। इस्लाम लाने वालों में आप चौथे नंबर पर हैं।

आप उन खुशनसीब सहाबा में से हैं जिन्हें दुनिया में ही नबी पाक सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम ने जन्नत की खुशखबरी दे दी थी। नबी पाक सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम पर नाज़िल होने वाली सच्ची किताब कुरआन मजीद की आयतों को आप रदियल्लाहु तआला अन्हु लिखा करते थे। यानी आप कातिबीन ए वही में भी शामिल हैं।

हज़रत उस्मान गनी रदियल्लाहु तआला अन्हु की फज़ीलत में बहुत सारी हदीसें आईं हैं। करीम आका अल्लाह पाक के आखरी नबी सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया: “हर नबी का एक रफीक़ होता है और जन्नत में मेरे रफीक़ हज़रत उस्मान गनी हैं।”

आप रदियल्लाहु तआला अन्हु ने 136 हदीसें रिवायत की हैं। यानी आगे उम्मत तक पहुंचाई हैं।

आपने तिजारत (Business) का पेशा इख्तियार किया और ईमानदारी व दयानत के साथ अपनी तिजारत को खूब फरोग़ दिया। आपने मुख़्तलिफ अहम मौकों पर दीन ए इस्लाम की मदद के लिए अपनी दौलत पेश की। मुसलमानों की मदद के लिए क़हत (अकाल) के ज़माने में आपने एक यहूदी से कुंआ खरीद कर वक़्फ किया। जंगे तबूक के मौके पर नबी पाक सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम के तरगीब दिलाने पर आपने तमाम समान के साथ 300 ऊंट पेश किए। बयान करने वाले सहाबी कहते हैं कि यह सुनकर नबी पाक सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम मिम्बर शरीफ से नीचे उतरे और दो मर्तबा फरमाया: “आज से उस्मान जो कुछ करे, उस पर पूछ गछ नहीं।”

इस्लाम लाने के बाद ज़ालिमों ने आपको बहुत सताया। लेकिन आप मज़बूती के साथ दीन पर क़ायम रहे। आप में इबादत व तिलावत का शौक बहुत ज़्यादा था। हज़रत सैयदना जु़बैर बिन अब्दुल्लाह रहमतुल्लाह तआला अलैह से रिवायत है कि अमीरूल मोमिनीन हज़रत सैयदना उस्मान रदियल्लाहु तआला अन्हु हमेशा रोज़ा रखते और इब्तेदाई रात में कुछ आराम करके फिर सारी रात इबादत में गुज़ारते।

मुसलमानों के दूसरे खलीफा हज़रत उमर रदियल्लाहु तआला अन्हु के बाद हज़रत उस्मान गनी रदियल्लाहु तआला अन्हु मुसलमानों के खलीफा बने। बारह साल तक आप मुसलमानों के खलीफा रहे। शहादत के वक्त आपकी उम्र बयासी साल थी। 18/ जुल हिज्जा 35 हिजरी जुमा के दिन नमाज़ ए असर के बाद आप रदियल्लाहु तआला अन्हु की शहादत हुई, किनाना बिन बशर खबीस ने आपकी पेशानी पर लोहे की सलाख मारी और सौदान बिन हमरान मलऊन ने तलवार मार कर आपको शहीद किया। शहादत के वक्त आप कुरआन मजीद की तिलावत फरमा रहे थे।

शहादत के बाद सनीचर की रात मगरिब व इशा के बीच जन्नतुल बक़ीअ़, मदीना शरीफ में आपको दफ्न किया गया। नमाज़ ए जनाज़ा हज़रत जु़बैर रदियल्लाहु तआला अन्हु ने पढ़ाई।

गुज़ारिश : इन्हीं मुक़द्दस और पाक हस्तियों के ज़रिए इस्लाम हम तक पहुंचा है। अपने बड़ों को याद रखना और आने वाली नस्लों को इन पाक लोगों के बारे में बताना हमारी ज़िम्मेदारी है। इस साल 2025 में 15, जून को हमारे तीसरे खलीफा हज़रत उस्मान गनी रदियल्लाहु तआला अन्हु का उर्स ए पाक है लिहाज़ा अपने घर में फातिहा ख्वानी, कुरआन ख्वानी और महफिल ए मिलाद वगैरह का एहतमाम करें और अपने बच्चों को सहाबी ए रसूल हज़रत उस्मान गनी रदियल्लाहु तआला अन्हु के बारे में ज़रूर बताएं। इसकी बरकत से अगर अल्लाह पाक ने चाहा तो वह आपकी तमाम परेशानियों को दूर फरमा देगा।

मिनजानिब : मकतब इस्लामियात, गोरखपुर उप्र।

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