गोरखपुर

इस्लाम धर्म के पहले खलीफा हज़रत अबू बक्र का मनाया गया उर्स

गोरखपुर। इस्लाम धर्म के पहले ख़लीफा अमीरुल मोमिनीन हज़रत सैयदना अबू बक्र सिद्दीक़ रदियल्लाहु अन्हु का उर्स-ए-मुबारक मुस्लिम घरों, चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर, सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफ़रा बाज़ार व मकतब इस्लामियात तुर्कमानपुर आदि में अकीदत के साथ मनाया गया। कुरआन ख्वानी व फातिहा ख्वानी हुई।

चिश्तिया मस्जिद में मौलाना महमूद रज़ा कादरी ने कहा कि हज़रत अबू बक्र सिद्दीके़ अकबर रदियल्लाहु अन्हु मुसलमानों के पहले ख़लीफा हैं। आप इमामत व ख़िलाफत दोनों में अव्वल हैं। आपने पैग़ंबरे इस्लाम की ज़िंदगी में उनके हुक्म से 17 वक्तों की नमाजें पढ़ाईं। इंतक़ाल के दिन पैग़ंबरे इस्लाम ने आपके साथ मिलकर नमाज़े फज्र की इमामत की।

सब्जपोश हाउस मस्जिद में हाफिज रहमत अली निजामी ने कहा कि हज़रत अबू बक्र सिद्दीक़ अरब के मशहूर और अमीर दौलतमंद लोगों में शुमार किए जाते थे। आपने सारी दौलत अल्लाह के रास्ते में लगा दी। आपको अल्लाह ने पाकीज़ा व उम्दा अखलाक से नवाजा था। आपने तन, मन, धन से दीन-ए-इस्लाम की खिदमत की। आपने बेशुमार गुलामों को खरीद कर आज़ाद किया।

मकतब इस्लामियात में कारी मोहम्मद अनस रजवी व हाफिज अशरफ रज़ा ने कहा कि हज़रत अबू बक्र सिद्दीक़ की मेहनत से बेशुमार सहाबा किराम ने दीन-ए-इस्लाम अपनाया। आप उन दस खुशनसीब सहाबा किराम में शामिल हैं जिन्हें पैग़ंबरे इस्लाम ने उनकी ज़िंदगी में ही जन्नत की खुशखबरी सुना दी थी। पैग़ंबरे इस्लाम के साथ आपने मदीना की तरफ हिजरत किया। क़ुरआन-ए-पाक की आयतों में आपका ज़िक्र है। आपका 13 हिजरी में इंतक़ाल हुआ। हज़रत आयशा के हुजरे में पैग़ंबरे इस्लाम के पहलू में दफ़न हुए। आपकी उम्र तक़रीबन 63 साल और खिलाफत 11 हिजरी से 13 हिजरी तक दो साल सात महीने रही। अंत में सलातो सलाम पढ़कर मुल्क में अमन ओ अमान की दुआ मांगी गई। उर्स में समद खान, अब्दुल रहमान, समद अली, शुएब, अलहम्द, अबान, अहान, आमिर, मुनीर, अजहान, रेहान, इरशाद, सादिक, शम्स, सुफियान, अफान आदि शामिल रहे।

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