गोरखपुर

बिजली विभाग के निजीकरण के विरोध में उतरा दिशा छात्र संगठन

गोरखपुर। दिशा छात्र संगठन की ओर से मंगलवार को बिजली विभाग के कार्यालयों में निजीकरण के ख़िलाफ़ अभियान चलाया गया। इस दौरान उपभोक्ताओं और कर्मचारियों के बीच में पर्चा वितरण करके निजीकरण का विरोध करने की अपील की गई।

ग़ौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के बिजली विभाग को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी शुरु हो चुकी है। संगठन की अंजलि ने कहा कि बिजली विभाग के घाटे में होने का हवाला देकर सरकार इसे पूँजीपतियों को औने-पौने दामों पर बेच रही है। सत्ता में आने के बाद से ही सरकार किसी-न-किसी बहाने से बिजली विभाग को निजी हाथों में सौंपने की पूरी कोशिश में जुटी हुई है। इसके पहले कर्मचारियों ने जुझारू आन्दोलन के दम पर सरकार को पीछे हटने के लिए बाध्य किया था। लेकिन सत्ताधारी योगी सरकार अपने द्वारा ही किये गये समझौते से मुकरते हुए कर्मचारियों के साथ धोखेबाजी पर उतर आयी है।

निजीकरण करने के पीछे बिजली विभाग के घाटे में होने का हवाला दिया जा रहा है लेकिन सच यह है कि बिजली विभाग के घाटे में होने के लिए सरकार की नीतियाँ ही ज़िम्मेदार हैं। उत्तर प्रदेश में निजी कम्पनियों से ऊँची दरों पर बिजली ख़रीदी जा रही है, जिसकी वजह से बिजली विभाग लगातार घाटे में जा रहा है। योगी सरकार की असली मंशा अपने आका पूँजीपतियों की तिजोरी भरना है जिसके लिए वह उनकी कम्पनियों से ऊँचे दामों पर बिजली ख़रीद रही है और अब बिजली के वितरण की ज़िम्मेदारी भी उन्हीं को सौंप कर जनता को लूटने की खुली छूट दे रही है। साफ़ है कि अगर सरकारी बिजली कम्पनियों को बढ़ावा दिया जाये और सरकारी विभागों को दुरुस्त किया जाये तो बिजली की लागत को बहुत कम किया जा सकता है और बिजली विभाग के घाटे को कम या बिल्कुल समाप्त किया जा सकता है।

संगठन के धर्मराज ने कहा कि निजीकरण केवल कर्मचारियों के लिए ही नहीं बल्कि आम जनता के लिए भी बहुत घातक है। देश के जिन भी राज्यों में प्राइवेट कम्पनियों को बिजली सौंपी गयी है, वहाँ जनता को अधिक दाम पर बिजली ख़रीदनी पड़ती है। इतना ही नहीं, बिजली की क़ीमतें बढ़ने से उन सभी चीज़ों की क़ीमतें भी बढ़ जायेंगी जिनको बनाने में बिजली का इस्तेमाल किया जाता है। मतलब साफ़ है कि निजीकरण पूँजीपतियों की तिजोरी भरने के लिए आम जनता की जेब से पाई-पाई वसूलने की योजना है। दूसरी बात यह भी है कि आम घरों से आने वाले जिन लोगों को सरकारी विभागों में पक्की नौकरियाँ मिलती थीं, बिजली समेत तमाम विभागों के प्राइवेट हाथों में बेचे जाने से यह सारे अवसर समाप्त हो जायेंगे। अभियान में अंबरीश, सौम्या आदि शामिल रहे।

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