धार्मिक

तुम मौलाना से शादी कर रही हो ?

“रोज़ी! अरे ओ रोज़ी!” आलिया ने ज़ोर से चीखते हुए कहा, “जल्दी करो, देर हो रही है!” जवाब में रोज़ी ने थोड़े धीमे स्वर में कहा, “आ रही हूं, तुम तो हथेली पर सरसों जमाती हो। अभी पंद्रह मिनट बाकी हैं, आराम से स्कूल पहुंच जाएंगे। न जाने तुम्हें हमेशा इतनी जल्दी क्यों रहती है।”

आलिया ने रोज़ी का हाथ पकड़ते हुए धीरे से कहा, “मुझे मालूम है कि पंद्रह मिनट हैं, लेकिन मैं अपने आप को रोक नहीं पा रही हूं। मेरा बस चलता तो मैं रात में ही तुम्हारे घर आ जाती।” रोज़ी ने थोड़ी अनजान बनते हुए कहा, “ऐसा क्यों?”

आलिया बोली, “अच्छा, अब ये भी पूछने की बात है? चलो, बताओ, कल क्या हुआ?”
रोज़ी ने फिर ठंडे लहजे में कहा, “क्या हुआ?”
“अरे बहन, मुझे बेवकूफ़ समझा है क्या? अगर तुम नहीं बताओगी तो क्या हमें पता नहीं चलेगा? कल तुम्हारे घर मेहमान आए थे। क्या हुआ उस लड़के का? वो कैसा है? क्या करता है? कहां का रहने वाला है? अच्छा दिखता है? हैंडसम, डैशिंग, चार्मिंग है या नहीं? मुझे यकीन है कि तुमसे तो कम ही खूबसूरत होगा,” आलिया ने एक ही सांस में सारे सवाल कर डाले ।

रोज़ी ने पूछा, “तुम्हें ये सब कैसे पता चला?”
आलिया मुस्कुराते हुए बोली, “ये बाद में बताऊंगी। पहले तुम बताओ कि कल क्या हुआ। और हां, ये बात स्कूल में सबको बताऊंगी , तुम्हें हम सबको मिठाई खिलानी पड़ेगी। आखिर हमारी टोली में सबसे पहले तुम्हारा नंबर आया है!”

रोज़ी ने देखा कि अब बात छिपाने का कोई रास्ता नहीं है। तो उसने कहा, “ठीक है, बताऊंगी लेकिन एक शर्त पर।”
आलिया ने उत्सुकता से कहा, “क्या शर्त है?”
रोज़ी ने कहा, “तुम स्कूल में किसी से इस बारे में बात नहीं करोगी।”
आलिया ने हंसते हुए कहा, “ये तो मुश्किल काम है। वादा नहीं कर सकती, लेकिन कोशिश जरूर करूंगी कि मुंह बंद रहे। अब जल्दी बताओ!”

रोज़ी ने कहा, “हमारी दूर की फूफी के लड़के का रिश्ता आया है। वो चाहती हैं कि ये रिश्ता तय हो जाए ताकि गांव आना-जाना बना रहे। पुराने रिश्ते तो खत्म हो चुके हैं, इसलिए नए रिश्ते की बात चल रही है। अब्बा ने लगभग मान ही लिया है, लेकिन भाई, अम्मी और मैं गांव में रिश्ता नहीं करना चाहते।”

आलिया ने बात काटते हुए पूछा, “अच्छा, ये बताओ कि लड़का करता क्या है?”
रोज़ी ने कहा, “मौलाना है।”

इतना सुनते ही आलिया सड़क पर ही जोर से चीख़ी “मौलाना है? तुम मौलाना से शादी करोगी ?”
रोज़ी ने घबराते हुए उसे खींचा, “क्या कर रही हो? ये सड़क है!”
आलिया हंसते हुए बोली, “तुम दाढ़ी वाले से शादी करोगी?”

पूरे रास्ते आलिया कनखियों से रोज़ी को देखकर हंसती रही। रोज़ी खुद भी इस रिश्ते से खुश नहीं थी, इसलिए आलिया की हरकतें उसे और ज्यादा खल रही थीं। दोनों स्कूल पहुंचीं और क्लास अटेंड की। इंटरवल में जब सारी सहेलियां इकट्ठा हुईं, तो आलिया की हंसी फिर से छूट गई। सबने वजह पूछी, तो रोज़ी के मना करने के बावजूद आलिया ने बता दिया कि उसकी शादी एक मौलाना से हो रही है।

बस, फिर क्या था! सब सहेलियों का हंसना आसमान चीर गया।

रज़िया, जो उम्र में सबसे बड़ी थी, बोली, “इसमें हंसने की क्या बात है? शादी तो किसी न किसी से होनी ही है, तो मौलाना से होने में क्या बुराई है? आखिर मौलाना भी इंसान ही होते हैं और मुझे तो लगता है कि समाज में सबसे ज्यादा इज्ज़त वाले और शरीफ लोग यही होते हैं।”

रज़िया की बात पर कुछ सहेलियों ने माथा पकड़ लिया, तो कुछ ने सवालिया निगाहों से उसे देखा। अब सहेलियों के दो गुट बन गए—एक आलिया के पक्ष में और दूसरा रज़िया के साथ। आलिया का गुट लगातार हंसी-मजाक कर रहा था।
रज़िया ने कहा, “जरा ये बताओ कि मौलाना से शादी करने में बुराई क्या है? अगर तुम्हें मौलाना पसंद नहीं, तो ये तुम्हारी पसंद हो सकती है, लेकिन दूसरी तरफ से भी तुम्हें रिजेक्ट किया जा सकता है। ये उनकी पसंद की बात होगी।”
जब आलिया को कोई जवाब नहीं सूझा, तो उसने वही पुराना सवाल उठा दिया, “मौलाना लोग हर चीज़ से मना करते हैं—लिपस्टिक मत लगाओ, नेल पॉलिश मत लगाओ, यहां मत जाओ, वहां मत जाओ, पर्दे में रहो। किसी तरह की आज़ादी नहीं मिलती।”
जैसे ही रोज़ी ने अपनी बात पूरी की, रज़िया ने कहा, “तो असल परेशानी यह है। अब मुझे यह बताओ कि जब हम लड़कियाँ कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं, ऐसे में अगर वह हमें बाहर अकेले घूमने-फिरने से मना करते हैं तो इसमें क्या गलत है? क्या हमारे माँ बाप भी ऐसा ही नहीं करते? और पर्दे का हुक्म तो मौलवी लोगों का नहीं है, यह अल्लाह का हुक्म है। तो क्या अब अल्लाह के हुक्म पर भी सवाल उठाया जाएगा? लिपस्टिक या नेल पॉलिश को मना करना कौन सी बुरी बात है? अगर नेल पॉलिश लगी हो तो ग़ुस्ल ही नहीं होगा। लिपस्टिक में भी कुछ खराबी होगी, तभी तो मना किया जाता है। उन को हमसे कोई दुश्मनी है ? या हमें रोकने में उनका लाखों का कोई फायदा हो रहा है?” रज़िया के इन सवालों पर सब चुप हो गईं।
रज़िया ने सबकी खामोशी को देखते हुए असल सवाल दाग दिया, “आप सब यह बताओ कि लड़का अच्छा होना चाहिए या बुरा?” सबने एक सुर में कहा, “बेशक, अच्छा होना चाहिए।” रज़िया बोली, “अब अच्छे की परिभाषा ( तारीफ) भी हो जाए ताकि बात समझने में आसानी हो। अच्छा चलो, मैं ही परिभाषा करती हूँ, आप लोग हाँ या ना में जवाब दें। अच्छे की परिभाषा यही तो है कि लड़का जुआरी, शराबी, बुरी आदतों वाला, नशेड़ी और आवारा न हो, कुछ काम करता हो ताकि बीवी, बच्चों की परवरिश कर सके।” सबने कहा, “बिल्कुल ऐसा ही है।” रज़िया ने जोर देकर कहा, “यही है न? मैं सही कह रही हूँ?” सबने कहा, “बिल्कुल यही बात है।”

रज़िया ने कहा, “अगर मामला ऐसा है, तो फिर ध्यान से सुनो! आलिम या हाफ़िज़ से अच्छा कोई लड़का हो, मुझे ऐसा नहीं लगता। ये लोग दीन और दुनियावी दोनों नज़रिये से अच्छे होते हैं।” सबने हैरान होकर आँखें फाड़ दीं। आलिया ने बात काटते हुए कहा, “अब इतना भी मत फेंको जो लपेटा न जा सके।” रज़िया ने कहा, “मेरी पूरी बात तो सुन लो,” और फिर रजिया बोलती चली गई, “बताओ जरा, दुनिया में कौन ऐसा है जिसके बारे में ये कहा जा सके कि शादी के बाद भी वो जुआ, शराब या बुरे अमाल नही करेगा ? आप लोग बताओ, क्या कोई गारंटी है?” सबने कहा, “नहीं!”

रज़िया ने कहा, “शादी से पहले उनके बुरे काम माँ बाप छुपाते हैं, लेकिन मौलवी लोगों के साथ ऐसा नहीं है। वो जैसे शादी से पहले इन बुराइयों से दूर होते हैं, वैसे ही शादी के बाद भी दूर रहते हैं। और यह सोचा भी नहीं जा सकता कि कोई मौलाना ऐसा करेगा। हमने आज तक नहीं देखा। हाँ, कुछ दाढ़ी-टोपी वाले कभी-कभी ग़लत काम करते हैं, पर इसमें मौलवी लोगों का क्या कसूर? यह तो वही बात हुई कि करे कोई, भरे कोई।”

“जहाँ यह पक्का यकीन है कि हमारा शौहर ग़लत कामों में शामिल नहीं होगा, वहाँ हम शादी करने से डरते हैं। जहाँ कोई भरोसा नहीं है, वहाँ हम शादी के लिए मरे जाते हैं। जिंदगी वहाँ सुकून से कटेगी, जहाँ हमारा शौहर और उसके परिवार वाले सुकून से रहें। वहाँ नहीं, जहाँ आए दिन शराब और जुआ करने वाले लोग हों। घर का एक भी सदस्य अगर जुआरी या शराबी है, तो पूरा घर जिंदगी भर परेशान रहता है।”
रही बात आज़ादी की तो यह भी सफेद झूठ है। क्या मौलाना लोग अपनी बीवी और बच्चों को लेकर कहीं नहीं जाते? बिल्कुल जाते हैं, लेकिन वहीं जाते हैं जहाँ उन्हें बेहतर लगता है। हां! मेलों, ठेलों, झूलों या बार वगैरह में ले जाना अच्छा नहीं समझते। इन सारी जगहों के हालात आप भी अच्छी तरह जानती हैं। अब अगर आपकी आज़ादी से मुराद यह है कि वो आपको काला जादू, सर्कस या ऑर्केस्ट्रा दिखाएँ, तो फिर ऐसे ही लोगों से शादी करनी चाहिए ताकि आपकी जिंदगी सर्कस बनी रहे। अगर इज़्ज़त चाहती हैं और अल्लाह और उसके रसूल के बताए हुए तरीके पर अच्छी जगहों पर जाना चाहती हैं, तो अच्छे लोगों से शादी कीजिए। मौलाना लोग आपको इन जगहों से नहीं बचाते, बल्कि आपकी इज़्ज़त की हिफाज़त करते हैं, जहाँ मेलों में लुच्चे लफंगे आपकी इज़्ज़त को तार-तार करने के लिए घूमते रहते हैं।”
“बोलो, ऐसा ही है?” सबने कहा, “हाँ, एसा ही है।” रज़िया बोली, “अब एक फायदे की बात और सुन लो! और रोज़ी, तुम इस रिश्ते से बिलकुल परेशान मत हो। तुम कभी भी इस रिश्ते से बे बेचैनी महसूस नहीं करोगी।” “रिज़्क का जिम्मा अल्लाह का है। एक पल में करोड़पति गरीब हो जाते हैं और चाय बेचने वाले करोड़ पति हो जाते हैं।”

“हमारी बड़ी बहन की हमारे अब्बा ने एक बड़े घर में शादी की है। पैसा जरूर है, लेकिन एक पल सुकून का साँस नहीं ले सकतीं, क्योंकि हमारे भाईसाहब हर तरह के नशे के आदी हैं। जबकि शादी से पहले सब लोग उनकी तारीफ करते नहीं थकते थे। रिश्तेदार तारीफ करते थकते नहीं थे। शादी की तारीख तय हुई, उस दिन हमारे मोहल्ले में दो शादियाँ थीं, एक हमारी बहन की और दूसरी हमारे पड़ोस में आदिल चाचा की बेटी की। उनकी शादी भी एक मौलाना से हो रही थी। हमारी शादी में अब्बा ने कोई कमी ना उठा रखी थी। दस लाख कैश और एक फोर-व्हीलर भी दी थी। लेकिन आज पूरा मोहल्ला हमारी बहन की हालत और आदिल चाचा की बेटी की हालत देखकर कहता है कि चार दिन की चाँदनी से बेहतर है कि हमेशा की रौशनी वाला काम किया जाए।”

आलिया! उसकी शादी में भी तुम्हारी तरह मोहल्ले की लड़कियाँ मजाक उड़ाती थीं, लेकिन सुकून और आराम की बात की जाए तो आज आदिल चाचा की बेटी से बेहतर हालत मोहल्ले की किसी लड़की की नहीं है।

काश ऐसा हो!

रज़िया बोली, “सच कहूँ तो मुझे माता-पिता की उल्टी समझ पर अफसोस होता है। हम लड़कियाँ हैं, ज्यादा कुछ कह तो नहीं सकतीं, लेकिन हमारे माँ बाप ने तो दुनिया देखी होती है फिर भी ऐसी ग़लतियाँ कैसे कर जाते हैं? हमारे अब्बा ने जितना पैसा शादी के बाद से लड़के वालों पर खर्च किया, वह करीब 20 लाख से ऊपर होता है। किसी आलिम से शादी करो तो उनकी कोई माँग नहीं होती। माँ बाप पर बोझ नहीं डालते। छोटी-मोटी बातों पर कोई एतराज नहीं होता। इज़्ज़त करते हैं, दस लाख से कम में एक मिडिल क्लास अच्छी शादी हो सकती है, पर क्या करें, उनकी समझ है।”

मौलाना से शादी करने से कतराने का कारण
जब भी किसी लड़की का रिश्ता किसी मौलाना से तय होता है, तो सबसे पहले यही बात आती है कि उनकी तनख्वाहें कम होती हैं। मौलाना लोगों से शादी के लिए लोग जल्दी तैयार नहीं होते। काश थोड़ी दिमाग़ लगाएं । जो पैसा आप शादी में दिखावे पर खर्च करते हैं, वह अपनी बेटी या दामाद के नाम कर दें। अगर आपका कारोबार अच्छा है तो दामाद को भी कारोबार करा दें। अगर वो कारोबार नहीं करना चाहते तो जहाँ वो मस्जिद या मदरसे से जुड़े हैं, उसी में लगे रहें। बाकी पैसा जरूरत के लिये रखें। जितना पैसा दूसरों को देते हैं, उतना ही मौलाना लोगों को दें, तो वो बेटियों को रानी बनाकर रखेंगे। मौलाना लोग न नशा करते हैं, न मारपीट करते हैं, न रोज के झगड़े होते हैं, न तलाक की नौबत आती है। फिर भी माँ बाप और लड़कियाँ दोनों इन लोगों की तरफ ध्यान नहीं देते!!!”

लड़कियों ने जब रज़िया की बात को ठंडे दिमाग से सुना, तो उन्हें लगा कि रज़िया बाजी बिल्कुल सही कह रही हैं। अब सहेलियाँ रोज़ी का मजाक उड़ाने की बजाय उसकी खुश किस्मती पर रश्क कर रही थीं और उसे मुबारकबाद भी दे रही थीं। रोज़ी के मन का बोझ भी उतर चुका था, चेहरे पर मुस्कान देखी जा सकती थी। अभी सब हंस ही रही थीं कि ‘टन… टन… टन…’ स्कूल की कान-फोड़ू घंटी बजी और सब फिर से क्लास की तरफ दौड़ गईं।

लेखक: मोहम्मद जाहिद अली
अध्यक्ष, तहरीक-ए-उलमा-ए-बुंदेलखंड

29/10/2024
24/04/1446

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