धार्मिक

क़ुरआन ए करीम की हिफ़ाज़त

اِنَّا نَحْنُ نَزَّلْنَا الذِّكْرَ وَ اِنَّا لَهٗ لَحٰفِظُوْنَ(۹)۔
बेशक हम ने उतारा है ये क़ुरआन और बेशक हम ख़ुद इसके निगेहबान हैं।

तफ़सीर ख़ज़ाइनुल इरफ़ान :- तहरीफ़ व तब्दील व ज़्यादती व कमी से उस की हिफ़ाज़त फ़रमाते हैं। तमाम जिन्न व इन्स और सारी ख़ल्क़ के मक़दुर में नहीं है कि उस में एक हर्फ़ की कमी बेशी करे या तग़य्यीर व तब्दील कर सके और चुंके अल्लाह तआला ने क़ुरआन ए करीम की हिफ़ाज़त का वादा फ़रमाया है इसलिए ये ख़ुसूसीयत सिर्फ़ क़ुरआन शरीफ़ ही की है दुसरी किसी किताब को ये बात मयस्सर नहीं। ये हिफ़ाज़त कई तरह पर है एक ये क़ुरआन ए करीम को मोजज़ा बनाया कि बशर का कलाम इस में मील ही ना सके, एक ये कि इसको मोआरेज़े और मुक़ाबला से महफ़ूज़ किया कोई उस की मिस्ल ए कलाम बनाने पर क़ादीर ना हो, एक ये कि सारी ख़ल्क़ को उसके निसतो नाबुद और मअ़दुम करने से आजीज़ कर दिया कि कुफ़्फ़ार बावजुद कमाल अदावत के उस किताब ए मुक़दस को मअ़दुम करने से आजीज़ हैं।
सुरत उल हिज्र, आयत 9, कन्ज़ुल ईमान फ़ी तर्जमा तिल क़ुरआन मअ़ ख़ज़ाइनुल

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