गागरिया स्टेशन से सेहलाऊ दरगाह शरीफ तक विशाल जुलूसे मुहम्मदी निकाला गया।
इलाक़ा-ए-थार(खावड़) तौहीद व रिसालत और सरकार की आमद… मरहबा जैसे नारों से गूंज उठा।
हर साल की तरह इस साल भी 12 रबीउ़ल अव्वल शरीफ के मौक़े पर इलाक़ा-ए-थार के ज़ैली इलाक़ा “खावड़” के मरकज़ी क़स्बा गागरिया और इलाक़ा-ए- गपन से सेहलाऊ शरीफ तक बहुत ही अ़ज़ीमुश्शान और विशाल जुलूसे मुहम्मदी निकाला गया!
इस जुलूस में पूरे इलाक़ा-ए-खावड़ के मोअ़ज़्ज़िज़ीन और अ़वामे अहलेसुन्नत ने शिरकत करके अपनी ग़ुलामी और बेदारी व अ़कीदत व मुहब्बत का षुबूत पेश किया- मुख्तलिफ मवाज़आ़त(गांवों)के नौजवानों ने बहुत ही जोश व अ़क़ीदत और मुहब्बत के साथ इस जुलूस की निगरानी की! जुलूस की सदारत व सरपरस्ती शैखे तरीक़त नूरुल उ़ल्मा हज़रत अ़ल्लामा अल्हाज सय्यद नूरुल्लाह शाह बुखारी ने की!
जुलूस सुबह 8:30 पर गागरिया व गपन से रवाना हो कर लगभग 10 बेजे इलाक़े की मरकज़ी दर्सगाह “दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा सेहलाऊ शरीफ” के वसीअ़ व अ़रीज़ वादी-ए-नूर (ग्राउंड)में पहुंचा,यहाँ दारुल उ़लूम के मुहतमिम व शैखुल हदीष के सरपरस्ती में दारुल उ़लूम के असातेज़ा व तल्बा और अतराफ के लोगों ने जुलूस का शान्दार इस्तिक़बाल किया!……यहाँ के एलावा रास्ते में भी मुख्तफलिफ गाँवों के लोगों ने इस जुलूस का इस्तिक़बाल कर के जुलूस में शरीक हुए!
याद रहे कि इन दोनों मरकज़ी जुलूसों में कई गाँव के जुलूस रास्ते में शामिल होते हैं जैसे ग़ुलामाने सरवरी कमेटी आसाड़ी सिंधियान, आगासड़ी, उनरोड़,आचारानियों की ढाणी, राणासर,सोलंकिया, गफन नाडी, लखड़ियाली, मेकरन वाला, लदहे का पार, बुकड़, बेंडे का पार, हिंडिया वग़ैरह।
जुलूस दारुल उ़लूम पहुंचने के बाद “जल्सा-ए-ईद मीलादुन्नबी” में तब्दील हो गया,
जल्से की शुरुआ़त तिलावते कलामुल्लाह से की गई।
फिर दा:उ़लूम के होनहार तल्बा ने बारगाहे रिसालत में नअ़तों के नज़राने पेश किए।
बादहु इफ्तिताही तक़रीर हज़रत मौलाना रियाज़ुद्दीन सिकन्दरी अनवारी ने की।
फिर बासनी से तशरीफ लाए मुस्लिहे क़ौम व मिल्लत हज़रत अ़ल्लामा मौलाना हाफिज़ अल्लाह बख्श साहब अशरफी खतीब व इमाम नगीना मस्जिद ने हुज़ूर नबी-ए-अकरम सल्लाल्लाहु अ़लैहि वसल्लम की सीरत के मुख्तलिफ गोशों पर उ़म्दा खिताब किया।
बादहु फख्रे सहाफत हज़रत अ़ल्लामा व मौलाना मुफ्ती फय्याज़ अहमद साहब रिज़्वी एडीटर माहनामा माहे तैबा जोधपुर ने जाने काइनात रहमतुल्लिल आ़लिमीन सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम के मीलादे मुबारका के तअ़ल्लुक़ से खुसूसी खिताब किया।
आप ने अपने खिताब के दौरान लोगों को हुज़ूर की सीरते तय्यबा पर नज़र रखते हुए अपनी ज़िंदगी गुज़ारने की ताकीद कि।
साथ ही साथ आप ने मुख्तलिफ क़ौमों के दरमियान इत्तिहाद व इत्तिफाक़ और मुल्क व वतन से मुहब्बत व वफादारी पर खिताब करते हुए फरमाया कि हमारा मज़हब हमें यह तालीम देता है कि हम अपने मुल्क और वतन से अ़क़ीदत व मुहब्बत रखें, लिहाज़ा हमारे मुल्क को अगर खून देने की ज़रूरत पेश आई तो हम मुसलमान अपना खून पेश कर के अपने मुल्क की हिफाज़त करेंगे।
आखिर में दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा सेहलाऊ शरीफ के मुहतमिम व शैखुल हदीष नूरुल उ़ल्मा पीरे तरीक़त हज़रत अ़ल्लामा अल्हाज सय्यद नूरुल्लाह शाह बुखारी ने दा:उ़: के जुम्ला अरकान व असातज़ा और दरगाह हज़रत पीर सय्यद हाजी आ़ली शाह बुखारी की इंतिज़ामिया कमेटी की तरफ से जल्सा व जुलूसे ईद मीलादुन्नबी में शामिल सभी हज़रात बिलखुसूस ग़ुलामाने बुखारी कमेटी गागरिया व इलाका-ए-गपन का शुक्रिया अदा किया जिन के बैनर तले यह दोनों मरकज़ी जुलूस पुर अमन तरीक़े पर अपने मुतअ़य्यना मक़ामात से होते हुए दरगाह ग्राउंड में बखैर व आ़फियत पहुंचे।
खुसूसी नअ़त ख्वानी का शर्फ मद्दाहे रसूल हज़रत मौलाना क़ारी मुहम्मद जावेद सिकन्दरी अनवारी व वासिफे शाहे हुदा हज़रत मौलाना रहमतुल्लाह अनवारी ने हासिल किया।
निज़ामत के फराइज़ हज़रत मौलाना मुहम्मद हुसैन साहब अनवारी ने बहुस्न व खूबी निभाई।
फिर सलातो सलाम और क़िब्ला सय्यद साहब की दुआ़ पर यह मज्लिस इख्तिताम पज़ीर हुई!
रिपोर्टर:मुहम्मद शमीम अहमद नूरी मिस्बाही
खादिम:दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा सेहलाऊ शरीफ,पो: गरडिया, तह:रामसर, ज़िला:बाड़मेर(राज)