वसीम रिज़वी पर उलेमा व अवाम का फूटा गुस्सा, याचिका खारिज करने की मांग
गोरखपुर। क़ुरआन से 26 आयतें हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले वसीम रिज़वी के खिलाफ मुसलमानों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। वसीम रिज़वी की गिरफ्तारी व सुप्रीम कोर्ट से याचिका खारिज करने की मांग जोर पकड़ रही है। तंजीम उलेमा-ए-अहले सुन्नत के बैनर तले रविवार को नार्मल स्थित दरगाह हज़रत मुबारक खां शहीद परिसर में औरतों के जलसे के बाद पुरुषों का जलसा हुआ। जिसमें बड़ी संख्या में उलेमा व अवाम ने शिरकत की। जलसे में उलेमा-ए-किराम ने क़ुरआन-ए-पाक की अजमतों का खुतबा पढ़कर वसीम रिज़वी की निंदा करते हुए जमकर भड़ास निकाली। तिलावत-ए-कुरआन से जलसे का आगाज़ हुआ। नात-ए-पाक पेश की गई।
संतकबीरनगर के मुफ्ती अलाउद्दीन मिस्बाही ने कहा कि अल्लाह तआला क़ुरआन-ए-पाक का मुहाफिज है। ‘है कौले मोहम्मद, कौले खुदा फ़रमान न बदला जाएगा, बदलेगा ज़माना लाख मगर क़ुरआन न बदला जाएगा’। कुरआन-ए-पाक, पैगंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम, सहाबा व अहले बैत की अज़मत पर मुसलमान हर तरह से कुर्बान हैं। अदना सी गुस्ताखी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट से हमारी मांग है कि याचिका खारिज कर वसीम रिज़वी की गिरफ्तारी का आदेश जारी किया जाए।
कारी अफज़ल बरकाती ने कहा कि इंसानियत व देश के दुश्मन वसीम रिज़वी को तत्काल गिरफ्तार किया जाए। फांसी की सजा दी जाए। ताकी फिर कोई ऐसा करने की हिम्मत न कर सके। क़ुरआन की किसी भी आयत से समाज को किसी तरह का गलत संदेश नहीं पहुंचता। कमी क़ुरआन-ए-पाक की आयत में नहीं, कमी वसीम रिज़वी के दिमाग में है। उसे इलाज की जरूरत है।
मुफ्ती अख्तर हुसैन मन्नानी (मुफ्ती-ए-शहर) ने कहा कि क़ुरआन-ए-पाक का एक नुक्ता भी बदलना नामुमकिन है। यह अल्लाह की किताब है। क़ुरआन-ए-पाक जैसा नाज़िल हुआ था हमेशा वैसा ही रहेगा। कुरआन-ए-पाक के सभी हुरुफ और आयात हक और अल्लाह की तरफ से नाज़िल की हुई हैं। किसी भी खलीफा ने घटाया बढ़ाया नहीं, कुरआन-ए-पाक इसकी खुद गवाही देता है। किसी भी खलीफा के ऊपर घटाने, बढ़ाने का इल्ज़ाम कुरआन-ए-पाक, खलीफा और दीन-ए-इस्लाम की तौहीन है, जिसे कोई भी मुसलमान बर्दाश्त नहीं करेगा।
मुफ्ती खुश मोहम्मद मिस्बाही ने कहा कि क़ुरआन-ए-पाक, पैगंबर-ए-आज़म, सहाबा-ए-किराम की तौहीन किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। क़ुरआन-ए-पाक व सहाबा का दुश्मन दीन-ए-इस्लाम व पूरी इंसानियत का दुश्मन है।
मुफ्ती मो. अज़हर शम्सी (नायब काजी) ने कहा कि क़ुरआन-ए-पाक में बदलाव की बात सोचना भी कुफ्र है। क़ुरआन से 26 आयत तो दूर की बात एक नुक्ता भी न ही हटाया जा सकता। अल्लाह की आख़िरी किताब क़ुरआन का जलवा आज तक बाकी है और कयामत तक बाकी रहेगा।
मौलाना जहांगीर अहमद अज़ीज़ी ने कहा कि क़ुरआन-ए-पाक की हिफाजत का जिम्मा खुद अल्लाह ने लिया है। मुसलमान न क़ुरआन-ए-पाक की तौहीन बर्दाश्त करेगा और न ही सहाबा की। अल्लाह की किताब क़ुरआन-ए-पाक में न पहले बदलाव हुआ, न आज बदलाव होगा और न ही कयामत तक बदलाव मुमकिन है।
अंत में सलातो सलाम पढ़कर दुआ मांगी गई। जलसे में कारी निज़ामुद्दीन, हाफिज़ शाबान, कारी मोहसिन, मौलाना रजिउल्लाह, असगर अली, इकरार अहमद, मंजूर आलम, हाजी कलीम फरजंद, कारी नज़रे आलम, कारी बदरे आलम, मौलाना रियाजुद्दीन, मौलाना मोहम्मद अहमद, मौलाना असलम, अब्दुल्लाह आदि मौजूद रहे।